साम्हो लड़्यो शैतान

बाणासर री वीर भू, मरटधारी नर मान।
दीठो जग सह दाखलो, सांप्रत जदु शैतान!!1
पाधर पग रोप्या सुपह, सज धर राखण शान।
चीन -हीण दल़ चींथिया, सज रण सूर शैतान।।2
आडा नित उतराध रै, जाडा धिन जदुरान।
एकर कथ पाछी अवस, साच करी शैतान!!3
आडा रह्या कपाट इम, अरि दल़ थँभण अचान।
पुनि कहावत रोप पग, सच रण रचि शैतान!!4[…]

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धिन्न विशणु प्रगट्यो धरा

धिन्न विशणु प्रगट्यो धरा, देव मिनख री देह।
जंभ नाम जग जाणियो, गुणधर लोहट गेह।।१
गौ भगती कीधी गहर, अहर निसा कर आप।
महर करी नैं मोचिया, पींपासर में पाप।।२
समराथल़ तपियो समथ, धोरै ऊजल़ धिन्न।
अन्न जल़ दियो अहर निस, भूखां नैं भगवन्न।।३
ग्यान नदी खल़की गहन, नित उपदेस नवल्ल।
पसरी चहुंदिस पहुम पर, गुरु जंभै री गल्ल।।४[…]

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बदलते हैं – ग़ज़ल – राजेश विद्रोही (राजूदान जी खिडिया)

बदलने को बहुत कुछ आज भी अक्सर बदलते हैं।
न शीशे हम बदलते हैं न वो पत्थर बदलते हैं।।

ज़मीं फिरती है बरसों और फ़लक बरसों बरसता है।
कसम से तब कहीं जाकर ये पसमंजर बदलते हैं।।

हमें ख़ौफ़े ख़ुदा है और तुम्हें ज़ालिम जहाँ का डर।
चलो कुछ देर की ख़ातिर हम अपने डर बदलते हैं।।

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किनियाणी करनल्ल!!

पाप हरण जग जणण पुनि, दरण दूठ दाकल्ल।
करण काज दुख काटणी, किनियाणी करनल्ल!!1
धिन जंगल राखी धरा, सात्रव सारा सल्ल।
मंगल़ करणी मावडी, किनियाणी करनल्ल!!2
अहर निसा रख महर इम, गहर रखी धर गल्ल।
आवै हेलै आध सूं, किनियाणी करनल्ल!!3
परी करै पातक सबै, हरि चढ आवै हल्ल।
धरि आपरां ध्यान धुर, किनियाणी करनल्ल!!4[…]

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नैणां उडगी नींद

लूट लूट घण लालची, भरिया भ्रष्ट भँडार।
लेखै धन लाली गयो, हिरदै हाहाकार!!1
काल़ी कर करतूतियां, धुर घर सँचियो धन्न।
सो तो हुयग्यो धूड़ सम, हुई सो जाणै मन्न!!2
वीसलदे ज्यूं बावल़ां, ऊंडो धरियो आथ।
खायो नकोज खरचियो, विटल़ां रखी न बात!!3
कण घण सँचिया कीड़ियां, खट चुग तीतर खाय।
पापी वाल़ो पेखलो, जर तो परल़ै जाय!!4[…]

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ज्यूं-ज्यूं लाय लपरका मारे!!

500-1000 के पुराने नोटों के नहीं चलन की घोषणा के बाद मजदूरों, व अध्यापकों के सिवाय सभी जगह मायूसी छाई नजर आ रही है। आजसे पहले जब धन या धनवानों पर अध्यापकों की दृष्टि जाती तो वे भी झिझक महसूस करते थे कि काश हम भी इनके रिस्तेदार या रिस्तेदारी में होते तो कितना अच्छा रहता ! लेकिन जैसे ही मोदीजी ने कहा कि कोयलों की दलाली करने वालों के हाथ ही नहीं, मुंह भी काला होगा !! तो इस वर्ग ने बड़ी राहत महसूस की और मन ही मन में कहा कि भई हम तो ‘घणो खावां न को कुवेल़ा जावां।’ घाटा भी सुखदायक और आनंदित करने वाला होता है इसका अहसास माननीय मोदीजी ने करवाकर मजदूरों व अध्यापकों में जोश का संचार कर दिया। […]

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बदळण रो हेलो कर बेली

तन भूखो अर मन उदियासू,
जीवण धारा डंक डसेली।
समय शंख में मंत्र फूंक अब,
बदळण रो हेलो कर बेली।।

जनशोषक सत्ता गळियारा,
जनगण मंगळ यूं गावै है।
शेषनाग री बांबी जाणै,
इमरत रो घट ढुळकावै है।
जनपथ सूळ, धूळ जन आंख्यां,
सपनां में जहरल गुळ भेली।
समय शंख में मंत्र फूंक अब,
बदळण रो हेलो कर बेली।।01।।

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बच्चे – ग़ज़ल – राजेश विद्रोही

हमारे मुल्क में मासूमियत खोते हुये बच्चे .
लङकपन में बुजुर्गों की तरह होते हुये बच्चे ..

कहीं से भी किसी उम्मीद के वारिस नहीं लगते .
घरौंदो की बगल में बेबसी बोते हुये बच्चे ..

उदय होते हुये भारत की शाईनिंग पे धब्बा हैं.
अभावों की सङक पर गिट्टियाँ ढोते हुये बच्चे .[…]

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सम्बन्धों की फुहारें-भाटी नीम्बा और रतनू भीमा – डा. आईदान सिंह जी भाटी

मारवाड़ के चाणक्य कहे जाने वाले भाटी गोयन्ददास के दादा की कथा है यह। उनका नाम नीम्बा था। यह नीम्बा उस समय उचियारड़े नामक ग्राम में रहता था, जहां सोलंकी राजपूतों का आधिक्य था। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि यह नीम्बा भाटी ‘जैसा’ का पौत्र था। इस जैसा को राव जोधा अपने संकट काल में इस वचन के साथ अपने साथ जैसलमेर रियासत से लाये थे कि वे राजकीय आय का चौथा हिस्सा उसे देंगे। यह ‘जैसा’ जैसलमेर के रावल केहर का पौत्र और राजकुमार कलिकर्ण का पुत्र था व सुप्रसिद्ध हड़बू सांखला का दोहिता था। पर मंडोर हाथ […]

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गीत सोहणो

कंत सूं लुका राखिया कामण
नोट पांचसौ पांच नवा।
मोदी करी मसकरी मांटी।
हिवविध भूंडा हाल हुवा।।1
अहर बितायो आमण-दूमण
नैणां रातां नींद नहीं।
देवा डंड किसोड़ो दीधो?
कल़पी बातां ऐह कही।।2[…]

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