नमो जुड़दै नाम

सुण मोदी सरकार, सुणो तो दरद सुणावां।
मुलक आजादी मांय, क्यूं न आजाद कहावां।
रहां भोम रजथान, मान-मरजाद न मोड़़ां।
हरदम रह हद मांय, जस्स रा आखर जोड़ां।।
मदद कर्यां गुण मानस्यां, अदद अेक अरदास है।
गजराज कहै मोदी गुणो, (म्हानैं) थांसूं अणहद आस है।। 01।।[…]

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करनी बिन कुण मदत करे!

करनी बिन कुण मदत करै।।टेर।।

कल़जुग राह कठण हुई कटणी
डग मन धरत डरै
थल़वट राय भरोसै थारै
तरणी दास तरै।।१
करनी बिन कुण मदत करै।।[…]

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वैर सगतो किनियो लेवैला!!

एक किस्सो है ‘किनियां री बस्ती’ (किनियां रो गांम, बीकानेर) रो। घणै वरसां पैली किनियां री बस्ती रा चेलोजी किनिया आपरै घोड़े चढिया खेतां सूं गांम कानी जावती बगत आपरो घोड़ो एक नाडियै माथै पावण लागा तो उणां नै अचाणचक एक ओपरी छाया दीसी।

विशालकाय छाया मिनख वाणी में बोली कै ‘चेला तूं लांठो मिनख है भाई ! म्हनै पाणी पा ! वरसां सूं तिस मर रैयो हूं !’

एकर तो चेलेजी रै समझ में नीं आई पण दूजै पल बे समझग्या कै कोई भूता चाल़ो है। चेलोजी बिनां डरियां बोलिया ‘ओ नाडियो थारै आगे पड़ियो, पीवै नीं पाणी। कुण हाथ झालै ?’

‘म्हैं इंयां पाणी नीं पी सकूं, पाणी तो तूं पगां हेठकर फेंकेला जद म्हैं पी सकूंला। ‘ बा छाया बोली।[…]

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श्री करणी रक्षा कवच – कविराजा बाँकीदास आसिया

ऊंडे पाणी नदियां उतरतां, झड़ मंडियां खग झाटां।
शक्ति करजे सहाय सेवगां, बहतां घाटां बाटां।।
मेवाशा मांझल ठग मिलियां, नाहर आयां नैड़ा।
कुशल आपरा राखे करणी, बहतां सायर बैडा।।
बैरी बिषधर सरप निवारै, बल़ती लाय बुझावै।
लोहड़याल तणां भुज लंबा, आंच न दासां आवै।।[…]

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राजस्थानी साहित्य रा थंभ सौभाग्य सिंहजी शेखावत ने श्रद्धांजलि

परम श्रद्धेय सौभाग्य सिंहजी शेखावत, राजस्थानी साहित्य रा थंभ हा। उणां डिंगल़ अर विशेषकर चारण साहित्य री जिकी सेवा करी, बा अनुपम अर अद्वितीय ही। म्हारै माथै उणांरी घणी मेहरबानी ही। म्हारी पोथी ‘मरूधर री मठोठ’ में आप आशीष सरूप अंजस रा आखर लिखिया। बीकानेर विराजता जितै, म्हनै फोन करर बंतल़ सारू बुलावता। लारलै वरस पोतै नै परणावण पधारिया जणै व्यक्तिगत फोन करर मिलण रो आदेश दियो पण दुजोग सूं मिल नीं पायो। अणुंतो स्नेह हो। म्हारी उण पुण्यात्मा अर दिव्यात्मा नैं सादर श्रद्धांजलि। 2003 में म्हारो निबंध संग्रह ‘मरूधर री मठोठ’ छप्यो। आदरणीय नाहटाजी री भूमिका अर शेखावत साहब […]

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बोल रबारी ! जै बाबा री

🍀ग़ज़ल🍀
मतकर ज्यादा थारी मारी,
बोल रबारी! जै बाबारी!
बाट बेव बस ह्वै अलगारी,
बोल रबारी! जै बाबारी!१

छाल़्यां थूं संभाल़ बावल़ा,
औ थारौ अणमोल खजानो,
हवल़ै. जा देतौ टीचकारी,
बोल रबारी जै बाबा री!२[…]

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भोर भई अब जाग जीव तू

भोर भई अब जाग जीव तू, आदीतो अम्बर आयो।
अरुण-किरण उठ आभै आई, हर पंछी मन हरसायो।।
चहकत द्वार चारु चिड़कलियां, कलियां चटकत सुख चायो।
गलियां महकत गुल-सोरम सूं, अलिसुत रलियां हित आयो।।
हिमकर उतर तजी असवारी, हिरणी रो मन हरसायो।
दधिसुत खिलत छूटियो अलिसुत, कौमुदसुत मन कुमलायो।।
नव किसलय निरखत सुख निपजै, दरखत-दरखत सरसायो।
सीतल-मन्द-सुगंध समीरण, घर-घर बांटन को आयो।।[…]

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रीत-नीत तज राड़ करै

रीत-नीत तज राड़ करै,
बाखळ में ऊभ बोबाड़ करै,
परिवार दुखी वां पूतां सूं,
कुळ नै रिगदोळ कबाड़ करै।
सावळ कावळ रो भान नहीं,
कुळ गौरव रो अभिमान नहीं,
लालच रै लपकां लाग्योड़ा,
ऐ गिणै कोई अहसान नहीं।[…]

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चिरजा: बिड़द रख बीसहथी वरदाई

बिड़द रख बीसहथी वरदाई,सेवग दुख हर लीजे सुरराई।

खल को खंडन कर खलखंडनि, मेछां उधम मचाई।
संतन के मन गहरो सांसो, पुनि-पुनि-पुनि पछताई।।1।।

खल संग निर्मल होय सफल कब, अंत मिलत अफलाई।
दुष्ट दलन कर हे दाढाळी, एक आसरो आई।।2।।[…]

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