राणी पदमावती री गौरव गाथा

चित्तौड़ दुर्ग री बात चल्यां,
मन भारत माता मोदीजै।
पदमण रो पावन प्रेम पढ्यां,
हर हिंदुस्तानी गरबीजै।

वा रतन सिंह री रजपूती,
वा साख सपूती पदमण री।
गौरा-बादळ रो साम-धरम,
वा सीख सदीनै भलपण री।[…]

» Read more

बाजीसा! आप तो म्हांरी भली रा चाऊ हो!! ओ कांई….

जैसलमेर माथै महारावल़ गजसिंहजी (सन 1820-45) रो शासन। सालमसिंह मेहता उणां रो दीवाण। उण बगत राज री पौची हालत। दीवाण रै घालियो लूण पड़ै। उणरी अज्ञा बिनां पत्तो तक नीं हिलै। मेहतो अन्याय, अत्याचार, अर अनाचार रो साक्षात पूतलो। उण बगत उणरो विरोध करण रो मतलब हो मोत नै बुलावणो। महारावल रो एक ब्याव उदयपुर महाराणा भीमसिंहजी री बेटी रूपकंवर साथै होयो। उण बगत सालमसिंह आपरै रचियै तोतक अर आतंक सूं महारावल़ री जान उदयपुर में छव महीणा रोकाय राखी अर लारै सूं आपरी विश्व विख्यात ‘सालमसिंह री हवेली’ लूट लूट र भेल़ै कियै धन सूं चिणाई। ओ बो ई सालम सिंह हो जिणरै अत्याचार सूं आंती आय जैसाण धरा रै पालीवाल़ां एक ई रात म़े उछाल़ो (उचाल़ो) कियो।[…]

» Read more

शारदा स्तुति

।।रोमकंद।।
उर दैण उगत्तिय जोड़ जुगत्तिय, दांन सुदत्तिय बांण दहै।
कवि कीरत कथ्थिय साज सुमत्तिय, लम्ब सूं हत्थिय भीर लहै।
कर वीणबजत्तिय काज करत्तिय, पांण धरत्तिय दास परै।
सिमरू सुरसत्तिय साय सगत्तिय, हंस चढत्तिय दोस हरै।।१

शुकळा पट धारण हंस सवारण, वाणिय हारण तूं विपदा।
घट ग्यांन बधारण औगण गारण, बात सुधारण तूं वरदा।
पह संत पुकारण आय उबारण, तुंही उतारण पार तरै।
सिमरू सुरसत्तिय साय सगत्तिय, हंस चढत्तिय दोस हरै।।२[…]

» Read more
1 2 3