पांडव यशेन्दु चन्द्रिका – चतुर्दश मयूख
।।चतुर्दश मयूख।। कर्णपर्व (उत्तरार्द्ध) दोहा अर्जुन के द्रष्ट न पर्यो, धर्मपुत्र ध्वजदंड। कह्यो भीम तैं शोधि करि, कित हैं नृप बलबंड।।१।। संजय बताने लगा कि हे राजा! दुःशासन के वध के पश्चात् अर्जुन ने रणभूमि में चारों ओर देखा और जब उसे युधिष्ठिर का ध्वजदंड नजर नहीं आया तो उसने भीमसेन से पूछा कि हे भाई! बलवान धर्मराज कहाँ हैं? जाओ उनकी खबर लाओ। भीमोवाच मो अरि भर्गल मानिहैं, तुम ही शोधहु तात। आयो डेरन बीच रथ, लखि नृप चित हरखात।।२।। यह सुन कर भीमसेन ने कहा कि हे भाई! मेरे जाने से शत्रु यह कहेंगे कि मैं भाग गया […]
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