म्हारी तिणखा इसड़ी राणी

म्हारी तिणखा इसड़ी राणी
(ज्यूं) तातै तवै पडंतो पाणी।

नातो हार-थकेलै वाळो, है कड़वी कैंटीन साथ में।
तणखां रै दिन दांईं नहचै, बिल इणरो आ जाय हाथ में।
उमर, उधारी रीत अेकसी, लीनी जकी पड़ै लौटाणी।।
म्हारी तिणखा इसड़ी राणी
(ज्यूं) तातै तवै पडंतो पाणी।[…]

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दे नादावत भीमड़ा

जोधपुर महाराजा गजसिंह जैड़ा दातार अर वीर हा वैडा ई दातार अर वीर इणां रा केई सामंत ई हा। इणां रै ऐड़ै ई एक दातार सामंत रो नाम हो पड़िहार भीम नादावत। भीम रै विषय में किणी कवि लिखियो है कै ‘सतजुग में बल़ि, द्वापुर में करन अर कल़जुग में विक्रमादित्य रै साथै भोज इण परंपरा नै सहेत टोरी पण हालती बखत में दातारगी री गाडी रा पहियां धसण लागा उण बखत भीम आपरो सबल़ खांधो देय जुतियो–

तिणवार भीम नादा तणो,
धुर जीतो ताडा धमल़।।

जाझीवाल़ रा जागीरदार भीम नादावत, नादै पड़िहार रा बेटा हा। भीम रो मन मोटो हो। कोई किणी वेल़ा आयग्यो तो ई नाकारो नीं कियो।[…]

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गायां तांझी नीं मांझी गी!!

दासोड़ी रै उतरादी कांकड़ रै कड़खै एक मोटो धोरो है, जिणनै गौयर धोरो कैवै। गौयर मतलब गायां रै स्थाई बैठण री जागा। रात री बखत चौमासै में गांम री गायां अठै बैठती अर इण गायां रो ग्वाल़ो मोहर अथवा मेहर जात रो मुसल़मान हो। पैला दासोड़ी में इण जातरै मुसल़मानां रा खासा घर हा।
एक दिन रात री गायां बैठी अर बो सूतो हो कै अचाणचक उणनै लागो कै कोई गायां नै टोर रैयो है। बो हाकल करर उठियो कै उणनै तीन -च्यार जणां पकड़र बांध दियो। उण पड़ियै पड़ियै ई किरल़ी (जोर से किसी को हेला करना या आवाज देना) करी।

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दोय उदैपुर ऊजल़ा!!

उण दिनां उदयपुर माथै महाराणा जगतसिंह राज करै। उदार अर मोटै मन रा राजा। जिणां रै विषय में ओ दूहो घणो चावो है-

पारेवा मोती चुगै,
जगपत रै दरबार!!

एक दिन उणां रो दरबार उमरावां अर कवियां सूं थटाथट भरियो। बात चाली कै ‘आज री बखत महाराणा जगतसिंह री बराबरी रो कोई दातार नीं!! जितै किणी कैयो कै एक है!! उदयपुर छोटा(शेखावाटी) रा धणी टोडरमल!!’
किणी कैयो कै ‘कठै बापड़ो उदयपुरियो अर कठै उदयपुर!! तुलै सोनो अर मींडीजै ईंटां!!’

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