Month: April 2019
કંઠ કહેણીના મશાલચી : મેરૂભા ગઢવી (લીલા)

મેઘાવી કંઠના ગાયક શ્રી મેરૂભા ગઢવીનો જન્મ સૌરાષ્ટ્રમાં લોકવાર્તાઓ દ્વારા લોકસાહિત્યના સંસ્કાર ચેતાવનારા છત્રાવા ગામના લોકસાહિત્યના આરાધક પિતા મેઘાણંદ ગઢવી લીલા શાખાના ચારણને ખોરડે માતા શેણીબાઈની કૂખે સંવત ૧૯૬૨ના ફાગણ સુદ ૧૪ ના રોજ થયો. ગામડા ગામની અભણ માતાએ ગળથુથીમાં જ ખાનદાની, સમાજસેવા અને ભક્તિના સંસ્કારો બાળકમાં રેડ્યા. ચાર ગુજરાતીનું અક્ષરજ્ઞાન પ્રાપ્ત કરી બાળક મેરૂભાએ શાળાને સલામ કરી અને પછી આછી-પાતળી ખેતીમાં જોડાયા. પિતાની વાર્તા કથની મુગ્ધભાવે અને અતૃપ્ત હૈયે માણતા મેરૂભા લોકસાહિત્યના સંસ્કારોના રંગે રંગાઈ ગયા.[…]
» Read moreश्री करणी स्तुति – जय जय भवानी अम्बिके – ठा. केसरी सिंह बारहट
वंश-भास्कर अपूर्ण क्यों रह गया? – डॉ. ओंकारनाथ चतुर्वेदी

वंश-भास्कर तो महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण की अक्षय कीर्ति का आधार स्तम्भ है, ग्रन्थ रचना के समय ही कवि की ख्याति यातायात एवं संचार के अभाव में भी दूर दूर तक फैल चुकी थी। सूर्यमल्ल एवं कर्नल टॉड विगत शताब्दी के महान इतिहासकार रहें हैं। कर्नल टॉड के साथ राजकीय प्रतिष्ठा एवं शासन का प्रभाव था, जबकि सूर्यमल्ल के पास थी अपनी असाधारण लोकोसर प्रतिभा जिसने उन्हें प्रतिष्ठित किया था। “वंश-भास्कर” के प्रकाशन के पूर्व ही इसकी ख्याति दूर दूर तक फैल चुकी थी।[…]
» Read moreस्नेह, संवेदना व सादगी का संगम रामदयालजी बीठू

सींथल गांव का नाम आते ही मेरे मनमें गर्व व गौरव की अनुभूति इसलिए नहीं होती कि वहां मेरे समुज्ज्वल मातृपक्ष की जड़ें जुड़ती हैं बल्कि इसलिए भी होती है कि इस धरती ने साहस, शौर्य, उदारता, भक्ति, के साथ ही मातृभूमि के प्रति अपनी अनुरक्ति का सुभग संदेश परभोम में भी गर्वोक्ति के साथ दिया है–
“लिखी सहर सींथल़ सूं आगै गांम कल़कतिये”[…]
» Read moreवां संतां थांनै आदेस!

आपां केई बार पढां कै सुणां हां कै ‘जात सभाव न मुच्यते’ यानी जात रो स्वभाव कदै ई जावै नीं। इणनै ई ‘तुखम तासीर’ कैवै।
ऐड़ा घणा ई दाखला लोक री जीभ माथै मिलै जिणसूं ई बात री पुष्टि हुवै कै मिनख भलांई कैड़ी ई परिस्थितियां में रैवो पण अवसर आयां आपरी जात रो रंग अवस बतासी। ऐड़ो ई एक किस्सो है। संत हीरादास अर उणांरै चेले दामोदरदास रो।[…]
» Read moreरातीजगा चिरजा – सायर माँ म्हाने बगसो अमर सवाग
खाख हुवै सो लाख बणै

जोगा मिनखां नैं आ जगती,
पीढ्यां पलकां पर राखै है।
कोई पण बात बिसारै नीं,
हर बात चितारै भाखै है।।
कुण कह्वै जगती गुण भूलै,
कुण कह्वै साच नसावै है।
जोगां री जोगी बातां रा,
जग पग-पग ढोल घुरावै है।।[…]
अंबा स्तवन

।।छंद त्रिभंगी।।
अयि!उमा अपरणा, हर मन हरणा, वेद सु बरणा, सुर सरणा।
उर आनंद भरणा, करुणा करणा, नेह निझरणा, बहु वरणा।
वपु गौर सुवरणा, पाप प्रजरणा, सौख्य सुभरणा, सुख स्तंभा।।
भज मन भुजलंबा! कृपा कदंबा! जय जगदंबा! श्री अंबा!
जय जय जगजननी जगदंबा!!१[…]
कांई धरती माथै अजै राठौड़ है?

एक बारोटियो नाहरखान हो। किण जातरो राजपूत हो ओ तो ध्यान नीं पण हो राजपूत। उवो आपरै लाव-लसकर साथै सिंध रै इलाके में धाड़ा करतो अर मौज माणतो। इणी दिनां मेवाड़ सूं आय एक रामसिंह मेड़तियो ई इणरै दल़ में भेल़ो हुयो।रामसिंह मन रो मोटो अर साहस रो पूतलो। डील रो डारण अर खाग रो धणी हो सो नाहरखान इणनै धाड़ै में मिनखां दीठ पांती दैणी तय कर राखियो।[…]
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