पहले राष्ट्र बचाना होगा

साथ समय के आना होगा
सच को गले लगाना होगा
फिर जो चाहे भले बचाना,
पहले राष्ट्र बचाना होगा।

समय-शंख का स्वर पहचानो!
राष्ट्रधर्म निभाना होगा
तेरी मेरी राग छोड़कर
हिंद-राग को गाना होगा[…]

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कलंक री धारा ३७०

पेख न्यारो परधान, निपट झंडो पण न्यारो। सुज न्यारो सँविधान, धाप न्यारो सब ढारो। आतँक च्यारां ओर, डंक देश नै देणा। पड़िया छाती पूर, पग पग ऊपरै पैणा। पनंगां दूध पाता रह्या, की दुरगत कसमीर री। लोभ रै ललक लिखदी जिकां, तवारीख तकदीर री।। कुटल़ां इण कसमीर, धूरतां जोड़ी धारा। इल़ सूं सारी अलग, हेर कीधो हतियारां। छती शांती छीन, पोखिया ऊ उतपाती। घातियां घोपीयो छुरो मिल़ हिंद री छाती। करता रैया रिल़मिल़ कुबद्ध, परवा नह की पीर री। वरसां न वरस बुरिगारियां, की दुरगत कसमीर री।। कासप रो कसमीर, उवै घर अरक उजासै। केसर री क्यारियां, बठै वनराय विकासै। […]

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बणसूर, जुगतावत गोत री सुभराज

घर जुगता गरजी घणा,अरजी करे अपार।
मरजी राजा मान री,सरजी सरजण हार।।
ऊगै रिव ऐतीह,पूगै ताय सेती पवन।
जुगता धर जैतीह,तेती कीरत ताह री।।
मरजी राजा मान री,जुगता ऊपर जोर।
कर रीझां अनरिण कियो, रयो न कबडी रोर।।
पाडलाऊ तांबांपत्रा,मौने बगसी मांन।
दै हाथी सांसण दिया,दीना लाखां दान।।[…]

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श्रीकृष्ण-सुदामा प्रीत का गीत – दुर्गदानजी जी

ठहीं भींत सोवण तणी तटी रे ठकाणे,
कुटि रे ठकाणे महल कीना।।
मिटी रे आंगणे जड़ी सोनामणि,
दान कंत रूखमणी तणे दीना।।1।।

झांपली हती ओठे प्रोळ आवे झकी,
जिका न ओळखी विप्र जाहे।।
बाँह गहे सुदामो तखत बेसाड़ियो,
मलक रो धणी कियो पलक मांहे।।2।।[…]

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घनघोर घटा, चंहु ओर चढी – कवि मोहन सिंह रतनू

।।छंद – त्रोटक।।
घनघोर घटा, चंहु ओर चढी, चितचोर बहार समीर चले।
महि मोर महीन झिंगोर करे, हरठोर वृक्षान की डार हले।
जद जोर पपिहे की लोर लगी, मन होय विभोर हियो प्रघले।
बन ओर किता खग ढोर नचै, सुनि शोर के मोहन जी बहलै।[…]

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