अजै ई कर रह्यी है कल़ाप कविता!!

आद कवि रै
करुण क्रंदन रै संजोग सूं
उपजी कविता !
अजै ई कर रह्यी कल़ाप!
कणै ई बुद्ध नै
थापण कै
कणै ई
उथापण रा!!
कर रह्यी है तरल़ा
कणै ई वामपंथ नै खंडण
कै
कणै ई
दक्षिणपंथ नै मंडण
रा!!
अधरबंब में अल़ूझी
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आद कवि रै
करुण क्रंदन रै संजोग सूं
उपजी कविता !
अजै ई कर रह्यी कल़ाप!
कणै ई बुद्ध नै
थापण कै
कणै ई
उथापण रा!!
कर रह्यी है तरल़ा
कणै ई वामपंथ नै खंडण
कै
कणै ई
दक्षिणपंथ नै मंडण
रा!!
अधरबंब में अल़ूझी
आजकल किसी चमत्कार की बात लिखते हुए ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, क्योंकि लोग अंधविश्वासी घोषित करते हुए जेज नहीं करते !! कुछ हद तक यह बात सही भी है कि आजकल स्वार्थी लोग मनगढ़ंत बातों को प्रचार का सहारा लेकर प्रसारित कर दुकानदारी चलातें हैं।
मैं आपसे उन लोगों के संस्मरण साझा कर रहा हूं जिनके हृदय में अगाध आस्था और भक्ति की भागीरथी प्रवाहित होती थी।
मेरे दादोसा (गणेशदानजी रतनू) का ननिहाल सुवाप था। वे अपने ननिहाल का एक संस्मरण सुनाते थे कि सुवाप में जंवारजी किनिया थे। उनके एक ही पुत्र था। पुत्र जवान हुआ और एक दिन दोपहर को अकस्मात काल कवलित हो गया। लोगबाग अर्थी बनाने लगे तो जंवारजी ने दृढ़ता से मना कर दिया और कहा कि “भूवा अवस हेलो सुणसी।”[…]
।।गीत।।
उरड़ अणतार बिच वार करती इधक,
बीसहथ लारली कार बगती।
आंकड़ै अखूं आधार इक आपरो,
सांकड़ै सहायक धार सगती।।
त्रिमागल़ रोड़ती थकी आजै तुरत,
आभ नै मोड़ती मती अटकै।
रसातल़ फोड़ती थकी मत रहीजै,
गोड़ती समुंदरां असुर गटकै।।[…]
गीत – जांगड़ो साणोर
उदध मुरधर तणो रतन अमोलख,
अवर मींढ नह आवै।
अवतंस दुरग वँश आसावत,
बसुधा साख बतावै।।1[…]
नह लीधो हर नाम, कपट अर कूड़ कमायो।
नह लीधो हर नाम, गरथ संचियो गमायो।
नह लीधो हर नाम, चपट सँग कीनी चोरी।
नह लीधो हर नाम, गात तकियो नित गोरी।
भूलियो नाथ भोदूपणै, बातां करी विवाद री।
मोचणी पाप गीधा मुदै, एको गल्ल ना आदरी।।1[…]
।।छंद रेंणकी।।
जस रो हद कोट जोड़ नह जिणरी,
रण चढिया अणमोड़ रह्या।
चावो चित्तौड़ पाट चक च्यारां,
वसुधा सतवाट घोड़ बह्या।
तांणी खग मोड़ तोड़ दल़ तुरकज,
कीरत कंठां कोड़ करै।
झूली सत झाल़ पदमणी जौहर,
भू धिन जाहर साख भरै।।1[…]
पापी के खपिया प्रिथी, विटळा केक विनास।
जस धिन दूणो जगमगै, पदमण तणो प्रकास।।
जिण झाळां री झाट सूं, खपियो खिलजी खास।
प्रिथमी सारी पसरियो, पदमण सुजस प्रकास।।
सत उर में साहस सधर, जबर वर्यो जसवास।
सांम नांम स्वाभिमान रो, पदमण तणो प्रकास।।
आय अलाऊदीन ऊ, निसचै हुवो निरास।
वर अगनी कीधो वसू, पदमण सुजस प्रकास।।[…]
जंगल़ थप थांन विराजै जांमण
देवी आप देसांणै।
द्रढकर राज बैठायो दाता,
बीको पाट बीकांणै।।1
अरजन विजै जांगलू आख्यो,
चारण जोड चरावै।
धारै नाय रोफ धणियां रो,
करनी हांण करावै।।2
चरती धेन जोड में चारो,
मन व्रदावन मांनै।
आयो दुसट बैठ अस आसण,
करी दूठ तंग कांनै।।3[…]
मन रो तिमिर हरैला दीपक,
उण दिन ही उजियाल़ी होसी!
मिनखपणो होसी जद मंडित ,
देख देश दीवाल़ी होसी!!
🚩
जात -पांत सूं ऊपर उठनै,
पीड़ पाड़ोसी समझेला!
धरम धड़ै में बांटणियां वै,
घोषित उण दिन जाल़ी होसी!![…]
।।छंद – रूपमुकंद।।
अरजी अग चूंड अखी ज अरोहड़,
सोहड़ गोग रु भ्रात सजै।
खटकै पितु वैर उरां खल़ खंडण,
लोयण बात चितार लजै।
भुजपांण अपांण रचूं चढ भारथ,
धूहड़ मांण बधांण धड़ै।
चढियो जस काज पखां जल़ चाढण,
लाल चखां भड़ गोग लड़ै।।1[…]