दातार अर दातारगी री बातां सुणां तो मन मोद सूं भर जावै कै इण धरती माथै एक सूं बधर एक दातार हुया है। जिणांरी उदात्त मानसिकता अर ऊजल़ चरित्र री ओट लेय ईश्वरीय शक्ति नै ई आपरो काम कढावण सारू इणांनै आदेश दैणो पड़्यो अर इधकाई आ कै इणां उण आदेशां री पाल़णा में रति भर ई ढील नीं करी।
ऐड़ी ई एक गीरबैजोग बात उण दिनां री है जिण दिनां जामनगर माथै जाम सत्रसालजी रो राज हो। सत्रसालजी, जाम रावल जैड़ै मोटै दातार री परंपरा में हुया। जिणां रै विषय में किणी कवि कह्यो है–
हाल हिया जा द्वारका, करां ज उत्तम कांम।
जातां जादम भेटसां, वल़ता रावल़ जांम।।
सत्रसालजी ई वीर, साहसी अर दातार नरेश हा।[…]
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