साध होयग्या तोई चारणपणो नीं गयो

जद- जद ई खत्रवट में खोट दीसी उण बगत चारणां खोट काढण खातर सबदां री चोट करण सूं नीं चूका। किणी कवि सही ई कैयो है – खत्रवट देखै खोट देखै दुख पावै दुसह। चारण चुभती चोट हिरदै सबदा री हणै।। ऐड़ो ई एक किस्सो है जोधपुर महाराजा विजयसिंह री बगत रो। महाराजा मारवाड़ रै च्यार मोटै सिरदारां नैं आपरो गुरु रै मोकाण रै मिस बुलाय मरा दिया। इण च्यारां में एक पोकरण ठाकुर देवीसिंह ई भेल़ा हा – केहर दोलो छत्रसल दोल़ो राजकंवार। मरतै मोडै मारिया चोटी वाल़ा च्यार।। देवीसिंह चांपावत नामी वीर पुरुष अर स्वामी भक्त राजपूत हा। […]

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खून रै रिस्तै सूं बतो संबंधां रो विश्वास

जद खून रो रिस्तो अन्याय माथै उतर आवै। नीति मग छोड देवै। उण बगत हार्यै नैं हरि नाम ई याद आवै या ऐड़ै रिस्तां री चितार करै जठै रिस्तो तो होवै पण पीढ्यां नीं पड़ै। ऐड़ो ई एक किस्सो आप री निजर कर रैयो हूं। बधाऊड़ो रतनूवां रो गांव। उठै रतनू मयाराम रैवै। उणां रै एक डीकरो होयो जिण रो नाम शंकरदान। जद उणां री जोड़ायत चालता रैया। दिन बीतां उणां पाछो ब्याव कियो। मोई मा केई दिनां तो दिखावो करती शंकरदान रो मन राखियो पण पछै आपरो असली रूप दिखाय शंकर नैं यातनावां देवणी शुरु कर दीनी। कीं वरस […]

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ओपै सूं रूठै ! बो म्हांरै सूं रूठै! अर म्हांरै सूं रूठै उण सूं सिरोही रूठै

कवि विश्वास अर सम्मान रो एक ऊजल़ो प्रेरक प्रसंग ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ सिरोही माथै वैरीसाल देवड़ा राज करै। उण रो एक सिरदार चांदो देवड़ो उण सूं रीसाय बारोटियो होयग्यो। सिरोही में घणा उजाड़ किया पण बख में नीं आयो। चांदो अपरबली । उण सूं कुण बाथां आवै – चांदा चोरंगवार उरल़ां बगलां ऊबड़ै। अरजण रो अवतार दुसासण तूं देवड़ा।। छेवट वैरीसाल दरबार बुलाय उमरावां सूं सलाह करी कै चांदै नैं कीकर वश में कियो जावै। उमरावां सलाह दीनी कै आप पेशवा रा आढा ओपाजी नैं चांदै कन्नै मेलो। बो इणां नै ओपो भाई कैय बतल़ावै सो हरगिज ई ओपैजी नैं नट नीं […]

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कीरत रै खातर कवि सूं कोरड़ा खाया

कवि अर कविता री कूंत रा मध्यकालीन उदाहरण आज ई बेजोड़ है। ऐड़ो ई एक उदाहरण है कणवाई रा ठाकुर खंगारसिंह लाडखानी अर मूंजासर रा बीठू उदयरामजी रो। उदयरामजी अमल रा जितरा मोटा बंधाणी। उतरा ई मोटा कवि। घण जोड़ै कवि रै रूप उदयरामजी री ख्याति चौताल़ै चावी। घूमता घूमता एकर कणवाई पूगा। कणवाई रा ठाकुर खंगारसिंह कविता रा कद्रदान अर कवियां रा गुणग्राहक। उदयरामजी ठिकाणै आयां ठाकुर साहब रो मन राजी होयो। जोरदार हथाई जची। इतिहास अर साहित्य री सरस चर्चा चाली। रात रा कवि विश्राम करण सोया। आधीक रात रा डोकरै रै होकै री बायड़ उठी। अजगर करै न चाकरी, पंछी करै न काम। वाल़ी बात डोकरै रै आधी रात रो कुण होको भरै। हाजरिया जाय सूता। डोकरै सूतै-सूतै ई हाजरियै नैं हेलो कियो पण आधी रात रा नींद में गैल़ीजिया हाजरिया किणरी गिनर करै! उणां कवि नै कोई पूगतो जवाब नीं दियो। कवि रो हेलो रावल़ै पोढिया ठाकुर साहब रै कानां पड़ियो।[…]

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आसू रो तो घर है !

आसू रो तो घर है ! चारण अर राजपूतां रा संबंध कितरा प्रगाढ हा, इणरो एक उदाहरण आपनै देवूं। लगै-टगै आजादी रै आवण री बगत रै आसै- पासै रो किस्सो है। जोधपुर अर बीकानेर री सीमाड़ै रूपावतां रो एक ठीकाणो हो ऊदट। उण दिनां ऊदट ठाकुर हा अमरसिंह।अमरसिंह चोखल़ै चावा। उणां रै मिनखपणै री घणी बातां चावी। उणां तीन ब्याव किया पण जोग सूं टाबर नीं होयो। चोथो ब्याव उणां भाटियां में कियो। ठाकुर जितरा ई उदार ठकराणीसा उतरा ई मन रा माठा। ऊदट ठिकाणै में दासोड़ी रा रतनू आसूदान रैवता। कंवारा हा सो नीं कोई जावण रो कैवणियो अर नीं […]

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छत्रिय मित्र रो वैर लेवणियो चारण कवि कान्हा आढा

सांई दीन दरवेस सही ई लिखियो है कै मित्र ई करणो है तो चारण नै करणो चाहीजै क्यूंकै वो ई जीवतै नै अर मरियां पछै ई समरूप सूं चितारै – मित्र कीजै चारणां, बाकी आल़ पँपाऱ। जीवतड़ां जस गायसी, मूवां लडावणहार।। इण बातरी सार्थकता सिद्ध करणिया घणा ई किस्सा है। ऐड़ो ई एक किस्सो है कविवर कान्है आढै रो। बीकानेर राव जैतसी रो समकालीन कवि कान्हो इणी रियासत रै गांव भालेरी रो वासी हो। मोटो अमल रो बंधाणी। एक सेर अमल रो मावो थित रो। कम आमदनी रो गांव अर इतरो नसो सो पार पड़णी दोरी। कणै किणी ठाकर रै तो कणै […]

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मतीरै री राड़, रोकण रै जतन में जूझणियो कवि चांदो बारठ

ईंदोकली (नागौर) गांव आपरी साहित्यिक अर सांस्कृतिक चेतना रै पाण चावो रैयो है। इण गांव में एक सूं बधर एक कवि अर सूरमा होया जिणां चारणाचार नै मंडित कियो अर जगत में सुजस लियो। बारठ अखैजी रै वंशजां रै इण गांव में आंकधारी जनमिया जिणां आपरी बांक नै कायम राखी। रणांगण में जूझण री इण घराणै री आदू ओल़ रैयी है।सिहड़दे सांखलै रै साथै रूण री राड़ में अलाऊदीन रै खिलाफ वीरगति वरणियो सांढल, आऊवै रै धरणै में चारणां री कीरत निकलंक राखणिया बारठ अखोजी, च़ंद्रसैण रै साथै जूझणियो बारठ भल्लण अर वीर रतनसी जैड़ै सपूतां री कड़ी में ई […]

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पितृ हंता नरेश नै मिलण सूं मना करणियो निर्भीक कवि तेजसी बारठ

“गुण पंखी प्रबोध” रा रचयिता केशरीसिंह जैतावत आपरी इण पोथी में चारण भक्त कवेसरां री साधना नै सरावता लिखै- रांम रिझायो चारणां, वडा वडा कथ वत्त। पंखियां तणो प्रबोध सुण, केहरि कहै कवत्त।। यूं तो चारणां में घणा ई भक्त कवि होया है पण चवदै भक्त कवियां रो नामोल्लेख घणो मिलै- चौरासी रूपग नरहर चवण, वरणत वाणी जू जुवा। चरण सरण चारण भगत, हरि गायक एता हुवा।। भक्त नरहरदास बारठ रो नाम ज्यूं चावो है उणी गत इणां रै कौटम्बिक सदस्य तेजसी बारठ टेला रो नाम घणो चावो है।रतनू वीरभाण आपरी पोथी “भागोत पुराण में लिखै है – संत कवेसर तेजसी, दूजो नरहरदास। जपियो कल़प […]

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जीवतै नै बोला दियो ! तो किसी इचरज री?

महाराजा मानसिंह जोधपुर, आपरी बगत रा महामनस्वी अर उदार नरेश हा। बै जितरा वीर अर अडर हा उतरा ई स्वाभिमानी। जितरा सहज हा उतरा ई संवेदनशील। महाराजा रै खास अर विश्वासी लोगां जद उणां रै साथै विश्वासघात अर छल़ कपट करणो शुरु कियो तो उणां नै इण रो अणूंतो खेद होयो। ऐड़ै समय में बै घणी वेल़ा गुमसुम हो ज्यावता तो घणी वेल़ा अबोला बैठा रैवता। ऐड़ै संक्रमण काल़ में एकर उणां सूं मिलण खातर अंग्रेज़ी सरकार रो एल ची अकबर अली आयो। महाराजा पागलपण रो नाटक करतां थकां गुमशुम अर अबोला बैठा रैया। नी तो उणां अकबर अली सूं […]

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ओऱंगजेब रै अत्याचारां रै खिलाफ अड़णियो महावीर नरु सौदा

राजपूती शौर्य री प्रतीक रूपनगढ री राजकुंवरी आपरै जातिय गौरव नै अखंडित राखण अर स्त्री स्वाभिमान नै मंडित करण सारू ओरंगजेब रै आतंक सूं नी डरर निशंक उणनै वरण सूं मना कर दियो। उणनै उण बगत आखै रजवाड़ां में एक मात्र आशा रो दीप दीखतो हो, बो हो उदयपुर महाराणा राजसिंह। जिण भांत रुकमणी, किसन नै संदेशो मेलर परणण खातर कैवायो उणी गत इण वीरांगना रजवट नै निकलंक राखण खातर राणै राजसिंह नै स़देशो पूगायो। एकर तो राणो ई ओरंग रै बोहरंगै पणै सूं संकियो पण उणनै पूर्वजां री गीरबैजोग परंपरा याद आई। उणां आई सोची कै एक राजपूत बाल़ा […]

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