करंत देवि हिंगळा

छंद: नाराच

विडारणीय दैत वंश सेवगाँ सुधारणी।
निवासणी विघन अनेक त्रणां भुवन्न तारणी।
उतारणी अघोर कुंड अर्गला मां अर्गला।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥1॥

रमे विलास मंगळा जरोळ डोळ रम्मिया।
सजे सहास औ प्रहास आप रुप उम्मिया।
होवंत हास वेद भाष्य वार वार विम्मळ।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥2॥[…]

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माताजी रा आवाहण रा चाडाउ छंद

।छंद : नाराच।

चंडी सुभद्र सद्र अद्र आसणं चडी चडी।
भुजाक डाक डैरवां वडां वडां वडां वडी।
करे हुंकार वार वार दाणवां डकारणी।
चितारतां सुपात मात चाढ आत चारणी॥1॥

नहीं सो माय बाप आप तैं ज आप ऊपणी।
सुसावित्री उमां रमां शचि अनूप रुपणी।
धिनो प्रचंड खंड मै अखंड जोत धारणी।
चितारतां सुपात मात चाढ आत चारणी॥2॥ […]

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सूर्य वंदना के भाव के – काळिया रा सोरठा

🌹सूर्य वंदना के भाव के🌹

वंदन कर विख्यात,जगत तात जगदीस ने।
प्हेली ऊठर प्रात,काछप सुत भज काळिया।111

अवनी भरण उजास,नह चूके नित ऊगणौ।
सदा- रथिन् सपतास,काछप सुत भज काळिया॥112

भास्कर आदित भांण, मित्र मिहिर मार्तंड वळ।
करवा जग कल्यांण,कायम ऊगै काळिया॥113 […]

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मां सूं अरदास -गिरधारी दान रामपुरिया

छंद – मोतीदाम

रटूं दिन रात जपूं तुझ जाप,
अरूं कुण नाद सुणै बिन आप
नहीं कछु हाथ करे किह जीव,
सजीव सजीव सजीव सजीव ।।1

लियां तुझ नांम मिटे सब पीर ,
पङी मझ नाव लगे झट तीर ।
तरै तरणीह कियां तुझ याद ,
मृजाद मृजाद मृजाद मृजाद ।।2 […]

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गीत जात अरटीयो-जगमाल सिंह ‘ज्वाला’ कृत

सोच रहयो हर रोज सीतावर, कैसा खेल रचाया।
मिळे कठे हर खोजो मंदिर,अजु समझ नही आया।1।

लोग कहे ओ मीरां ने लाधो,सुरती जाय समाणी।
आवत जात दिखी नह आँखे,पाणी मिळयो पाणी।2।

ईसर दास तो हतो खुद ईसर,घोडा समद धुमाया।
परभु य आय बांह ते पकड़ी,ले झट गळे लगाया।3। […]

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पोकरपुरी बाबै रो छंद

छंद त्रिभंगी
तज मोह संसारी तूं तपधारी, तपियो भारी ताप तदम
देखै दुखियारी हर दुख हारी, जोर विचारी दया जदम
प्रणमै नर नारी आय अपारी, साद उवांरी तुरत सुणै
अरजी सुण आबा लाज रखाबा, पोकर बाबा भीर बणै १ […]

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जंभेसर जस

।।छंद – रेंणकी।।
परमारां कोम भोम पींपासर, काट पाप निकल़ंक करी।
घणनामी रीझ आय लोहट घर, धर उण पावन देह धरी।
हंसा री गोद रम्यो कर हर हर, भू तर तर विसवास भयो
जगदीसर रूप नमो जग जाहर, जंभेसर गुरु नाम जयो।।१[…]

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टेलगिरीजी रा छंद

१९ वें सईके रै पूर्वार्द्ध में टेलगिरीजी महाराज हुया। दसनामी संप्रदाय रै बाबै टेलगिरीजी दासोड़ी में तपस्या करी। बाबै रै केई चमत्कारां री बातां लोक में प्रचलित है। बाबै दासोड़ी गांव में जीवित समाधि लीनी। बाबै रै लोक प्रचलित चमत्कारां माथै एक सांगोपांग किताब लिखी जा सकै। दासोड़ी अर आसै- पासै रै इलाके में बाबै रै प्रति घणी आस्था है। घणै समय पैला म्है एक छंद रचियो। हालांकि ओ छंद प्रकाशित है पण आपरी सेवा में इण खातर मेल रैयो हूं कै टेलगिरीजीै जैड़ै त्यागी अर तपस्वी रै नाम सूं आपरी ओल़खाण हो सकै- […]

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पद्मश्री भक्त कवि दुला भाया काग

दुला भाया काग (२५ नवम्बर १९०२ – २२ फ़रवरी १९७७) प्रसिद्ध कवि, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म सौराष्ट्र-गुजरात के महुवा के निकटवर्ती गाँव मजदार में हुआ था जो अब कागधाम के नाम से जाना जाता है। दुला भाया काग ने केवल पांचवी कक्षा तक पढाई करी तत्पश्चात पशुपालन में अपने परिवार का हाथ बंटाने में लग गए। उन्होंने स्वतन्त्रता आन्दोलन में भी हिस्सा लिया। उन्होंने अपनी जमीन विनोबा भावे के भूदान आन्दोलन में दान दे दी। उनके द्वारा रचित “कागवाणी” 9 खंडो में प्रकाशित वृहत ग्रन्थ है जिसमे भक्ति गीत, रामायण तथा महाभारत के वृत्तांत और गांधीजी […]

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कविते! मैं सजदा करूँ

कविते! मैं सजदा करूँ

कविते ! तुझको क्या कहूँ, छुई मुई या और ।
मन में गहरी पैठ कर, फिर फैलाती छोर ॥1॥

कविते ! तुझको दूँ सजा, आ मन की दहलीज़।
आज चाँद है ईद का, कल आषाढी बीज ॥2॥

कविते ! तुम कमनीय हो, कोमल है तव गात ।
आ फूलों से दूँ सजा, हँसकर कर ले बात ॥3॥

कविते ! तुम ही प्यार हो, तूँ ही जीवन सार ।
अलंकार रस से सजे, पहने नवलख हार ॥4॥

कविते ! तनिक दुलार दे, कर ले मुझसे प्यार ।
तेरे बिन तो फूल भी, लगते हैं अंगार ॥5॥[…]

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