खातो महाराज पदमसिंह रो साख सूरज री

सेल त्रिभागो झालियां मूंछां वांकड़ियांह। आंखड़ियां देखां पदम सुख्यारथ घड़ियांह।। इण दूहै रै रचणहार कवि एकदम सही कही है कै जिण बगत पदमसिंह नैं देखूं बा घड़ी सुख री होवै। बीकानेर महाराजा कर्णसिंह रा सपूत पदमसिंह महान वीर, उदार पुरुष अर क्षत्रिय गुणां सूं मंडित राजपूत हा। उदारता अर वीरता इणां नैं वंश परंपरा में मिली – दादो रायांसिंघ है नांनो राव रतन्न। प्रिथी वडाल़ा पदमसी दियण वडाल़ा दन्न। उणां री वीरता विषयक घणी ई बातां इतिहास में संकलित है पण म्है उणां री अदभुत उदारता री बात बताय रैयो हूं। मगरै रै गांव मोखां रा बीठू गोगदान रै घरै नादारगी […]

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म्है भाई नीं, बड जानी हूं

किणी कवि सही कैयो है कै देणो मरणै सूं ई दोरो। इणी कारण ओ दूहो चावो है कै जिकै समझदार होवे उणां सूं तीन काम संज नीं आवै दैणो, मरणो अर मारणो। ऐ काम तो काला होवै बै ई कर सकै –

नर सैणां सूं व्है नहीं, निपट अनैखा नाम।
दैणा मरणा मारणा, कालां हंदा काम।।

ऐड़ो ई एक प्रसंग है बीकानेर महाराजा गजसिंहजी रै खास मर्जीदान कवि गोपीनाथजी गाडण रो। गोपीनाथजी गाडण आपरी बगत रा मोटा कवि जिणां महाराजा गजसिंहजी री वीरता अर उदारता नै वर्णनीय विषय बणाय “ग्रंथराज ” नामक ग्रंथ बणायो। […]

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कवि री बात राखण नै, कियो जैसलमेर माथै हमलो

 बीकानेर रा राव लूणकरणजी वीर, स्वाभिमानी अर उदार नरेश हा। केई जंगां में आपरी तरवार रो तेज अरियां नैं बतायो तो दातारगी री छौल़ा ई करी। राव लूणकरणजी रै ई समकालीन कवि हा लालोजी मेहडू। बीकानेर रा संस्थापक राव बीकैजी रै साथै आवणियां में एक मेहडू सतोजी ई हा। इणी सतोजी रा बेटा हा लालोजी मेहडू। सतोजी नै राव बीकाजी खारी गांव दियो। लालोजी मेहडू आपरी बगत रो मोटा कवि अर बलाय रो बटको हा। एकर लालोजी जैसलमेर गया। जैसलमेर रावल देवीदासजी, बीकानेर राव लूणकरणजी रा हंसा उडाया अर आवल़िया बकिया। लूणकरणजी रा हंसा सुण र लालैजी नैं रीस आयगी बां […]

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ऐड़ो ई करड़ा हो तो भेल़ू जावो नीं

जूनी बगत री जूनी रीतां। कवियां री आपरी ठसक अर मठोठ क्यूंकै उण बगत री सत्ता अर सत्ता रै कर्णधारां रै अतंस में कवियां रै प्रति घणो सम्मान। कवियां रो सम्मान करणियो ऐड़ो ई एक ठिकाणो खिंदासर। बीकानेर महाराजा सुजाणसिंह रा समकालीन खिंदासर ठाकुर इंद्रसिंह। खाग अर त्याग सूं अनुराग। कवि रुघजी रतनू रै आखरां में – खींदासर खिंया दीपे रावां देवण रेस। अमलां वेल़ा आपनैं रँग भाटी इँदरेस।। इणां रा ई समकालीन कवि शंभुदान रतनू दासोड़ी। जिणां रो बीकानेर दरबार सुजाणसिंह ई घणो सम्मान करता। जिणां रो राजा सम्मान करै वांरो ठाकुर तो सम्मान करणो ई हा। शंभुदान रतनू […]

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पंथी एक संदेसड़ो तेजल नैं कहियाह

किणी कवि सही ई कैयो है कै जे प्रीत उत्तम सूं लाग ज्यावै तो कदै ई बोदी नीं पड़ैज्यूं पत्थरी सौ वरसां तक जल़ में रैवण पछै ई अग्नि रो साथ नीं छोडै – प्रीत पुराणी नह पड़ै जे उत्तम सूं लग्ग। सौ वरसां जल़ में रहे पत्थरी तजै न अग्ग।। ऐड़ो ई एक गीरबैजोग किस्सो है भाटी तेजमाल अर रतनू हरपाल रो। जैसलमेर री धरा माथै रामसिंह भाटी सपूत अर सूरमो मिनख। इणां एक ब्याव अमरकोट रै सोढै जोधसिंह री बेटी करमेती सूं कियो। करमेती आपरी कूख सूं पांच सूरमां नै जन्म दियो – करमेती कुंती जिसा जाया पंडव […]

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साध होयग्या तोई चारणपणो नीं गयो

जद- जद ई खत्रवट में खोट दीसी उण बगत चारणां खोट काढण खातर सबदां री चोट करण सूं नीं चूका। किणी कवि सही ई कैयो है – खत्रवट देखै खोट देखै दुख पावै दुसह। चारण चुभती चोट हिरदै सबदा री हणै।। ऐड़ो ई एक किस्सो है जोधपुर महाराजा विजयसिंह री बगत रो। महाराजा मारवाड़ रै च्यार मोटै सिरदारां नैं आपरो गुरु रै मोकाण रै मिस बुलाय मरा दिया। इण च्यारां में एक पोकरण ठाकुर देवीसिंह ई भेल़ा हा – केहर दोलो छत्रसल दोल़ो राजकंवार। मरतै मोडै मारिया चोटी वाल़ा च्यार।। देवीसिंह चांपावत नामी वीर पुरुष अर स्वामी भक्त राजपूत हा। […]

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लाखो फूलाणी तूं लछा

“ठगीजै सो ठाकर” री बात कुड़ी नीं है। हथाई रो कोड होवै उण नैं दमड़ा खरचणा पड़ै। ओ काम कोई मोटै मन रो मानवी ई कर सकै। इण में कौई जात रो कारण नीं है। ऐड़ै ई एक मोटै मन रै मिनख रो किस्सो। पोकरण रै पाखती गांव लालपुरो। रतनू जात रो जागीरी गांव। इण गांव रै रतनू भोजराज री उदारता विषयक ओ दूहो घणो चावो- लायक रतनू लालपुर गिरवर सुत बड गात। कवि भोजै री कोटड़ी रहै सभा दिन रात।। इणी गांव में लछीराम नाम रो सुथार रो घर। लछीराम री खातोड़ में आठूं पोर काम अर हथाई। लछीराम […]

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खून रै रिस्तै सूं बतो संबंधां रो विश्वास

जद खून रो रिस्तो अन्याय माथै उतर आवै। नीति मग छोड देवै। उण बगत हार्यै नैं हरि नाम ई याद आवै या ऐड़ै रिस्तां री चितार करै जठै रिस्तो तो होवै पण पीढ्यां नीं पड़ै। ऐड़ो ई एक किस्सो आप री निजर कर रैयो हूं। बधाऊड़ो रतनूवां रो गांव। उठै रतनू मयाराम रैवै। उणां रै एक डीकरो होयो जिण रो नाम शंकरदान। जद उणां री जोड़ायत चालता रैया। दिन बीतां उणां पाछो ब्याव कियो। मोई मा केई दिनां तो दिखावो करती शंकरदान रो मन राखियो पण पछै आपरो असली रूप दिखाय शंकर नैं यातनावां देवणी शुरु कर दीनी। कीं वरस […]

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ओपै सूं रूठै ! बो म्हांरै सूं रूठै! अर म्हांरै सूं रूठै उण सूं सिरोही रूठै

कवि विश्वास अर सम्मान रो एक ऊजल़ो प्रेरक प्रसंग ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ सिरोही माथै वैरीसाल देवड़ा राज करै। उण रो एक सिरदार चांदो देवड़ो उण सूं रीसाय बारोटियो होयग्यो। सिरोही में घणा उजाड़ किया पण बख में नीं आयो। चांदो अपरबली । उण सूं कुण बाथां आवै – चांदा चोरंगवार उरल़ां बगलां ऊबड़ै। अरजण रो अवतार दुसासण तूं देवड़ा।। छेवट वैरीसाल दरबार बुलाय उमरावां सूं सलाह करी कै चांदै नैं कीकर वश में कियो जावै। उमरावां सलाह दीनी कै आप पेशवा रा आढा ओपाजी नैं चांदै कन्नै मेलो। बो इणां नै ओपो भाई कैय बतल़ावै सो हरगिज ई ओपैजी नैं नट नीं […]

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कीरत रै खातर कवि सूं कोरड़ा खाया

कवि अर कविता री कूंत रा मध्यकालीन उदाहरण आज ई बेजोड़ है। ऐड़ो ई एक उदाहरण है कणवाई रा ठाकुर खंगारसिंह लाडखानी अर मूंजासर रा बीठू उदयरामजी रो। उदयरामजी अमल रा जितरा मोटा बंधाणी। उतरा ई मोटा कवि। घण जोड़ै कवि रै रूप उदयरामजी री ख्याति चौताल़ै चावी। घूमता घूमता एकर कणवाई पूगा। कणवाई रा ठाकुर खंगारसिंह कविता रा कद्रदान अर कवियां रा गुणग्राहक। उदयरामजी ठिकाणै आयां ठाकुर साहब रो मन राजी होयो। जोरदार हथाई जची। इतिहास अर साहित्य री सरस चर्चा चाली। रात रा कवि विश्राम करण सोया। आधीक रात रा डोकरै रै होकै री बायड़ उठी। अजगर करै न चाकरी, पंछी करै न काम। वाल़ी बात डोकरै रै आधी रात रो कुण होको भरै। हाजरिया जाय सूता। डोकरै सूतै-सूतै ई हाजरियै नैं हेलो कियो पण आधी रात रा नींद में गैल़ीजिया हाजरिया किणरी गिनर करै! उणां कवि नै कोई पूगतो जवाब नीं दियो। कवि रो हेलो रावल़ै पोढिया ठाकुर साहब रै कानां पड़ियो।[…]

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