आसू रो तो घर है !

आसू रो तो घर है ! चारण अर राजपूतां रा संबंध कितरा प्रगाढ हा, इणरो एक उदाहरण आपनै देवूं। लगै-टगै आजादी रै आवण री बगत रै आसै- पासै रो किस्सो है। जोधपुर अर बीकानेर री सीमाड़ै रूपावतां रो एक ठीकाणो हो ऊदट। उण दिनां ऊदट ठाकुर हा अमरसिंह।अमरसिंह चोखल़ै चावा। उणां रै मिनखपणै री घणी बातां चावी। उणां तीन ब्याव किया पण जोग सूं टाबर नीं होयो। चोथो ब्याव उणां भाटियां में कियो। ठाकुर जितरा ई उदार ठकराणीसा उतरा ई मन रा माठा। ऊदट ठिकाणै में दासोड़ी रा रतनू आसूदान रैवता। कंवारा हा सो नीं कोई जावण रो कैवणियो अर नीं […]

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छत्रिय मित्र रो वैर लेवणियो चारण कवि कान्हा आढा

सांई दीन दरवेस सही ई लिखियो है कै मित्र ई करणो है तो चारण नै करणो चाहीजै क्यूंकै वो ई जीवतै नै अर मरियां पछै ई समरूप सूं चितारै – मित्र कीजै चारणां, बाकी आल़ पँपाऱ। जीवतड़ां जस गायसी, मूवां लडावणहार।। इण बातरी सार्थकता सिद्ध करणिया घणा ई किस्सा है। ऐड़ो ई एक किस्सो है कविवर कान्है आढै रो। बीकानेर राव जैतसी रो समकालीन कवि कान्हो इणी रियासत रै गांव भालेरी रो वासी हो। मोटो अमल रो बंधाणी। एक सेर अमल रो मावो थित रो। कम आमदनी रो गांव अर इतरो नसो सो पार पड़णी दोरी। कणै किणी ठाकर रै तो कणै […]

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मतीरै री राड़, रोकण रै जतन में जूझणियो कवि चांदो बारठ

ईंदोकली (नागौर) गांव आपरी साहित्यिक अर सांस्कृतिक चेतना रै पाण चावो रैयो है। इण गांव में एक सूं बधर एक कवि अर सूरमा होया जिणां चारणाचार नै मंडित कियो अर जगत में सुजस लियो। बारठ अखैजी रै वंशजां रै इण गांव में आंकधारी जनमिया जिणां आपरी बांक नै कायम राखी। रणांगण में जूझण री इण घराणै री आदू ओल़ रैयी है।सिहड़दे सांखलै रै साथै रूण री राड़ में अलाऊदीन रै खिलाफ वीरगति वरणियो सांढल, आऊवै रै धरणै में चारणां री कीरत निकलंक राखणिया बारठ अखोजी, च़ंद्रसैण रै साथै जूझणियो बारठ भल्लण अर वीर रतनसी जैड़ै सपूतां री कड़ी में ई […]

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स्वामी गणेशपुरी कृत सूर्यमल्ल स्तुति

।।भाषा गुरु मिश्रण चारण सूर्यमल्ल स्तुति।।
।।मनोहर छंद।।
मित्र सनमान, सत्यवान, स्वर ज्ञान मध्य,
इक्क न समान, कहौं का सम करेरो में?।।
प्राकृत, पिसाची, सौरसेनि, अपभ्रंस पूर्न,
होसु हैं न, ह्वैं न हर हायन लौं हेरो मैं।।
देख्यो मुहि दीन विद्या दीन्ह त्यौं विवेक दीन्ह,
दिग्घ बर दीन्ह, घन आनंद को घेरो मैं।।
बारन बदन बर चारन बरन बीच,
तारन तरन रविमल्ल चर्न चेरो मैं।। […]

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पितृ हंता नरेश नै मिलण सूं मना करणियो निर्भीक कवि तेजसी बारठ

“गुण पंखी प्रबोध” रा रचयिता केशरीसिंह जैतावत आपरी इण पोथी में चारण भक्त कवेसरां री साधना नै सरावता लिखै- रांम रिझायो चारणां, वडा वडा कथ वत्त। पंखियां तणो प्रबोध सुण, केहरि कहै कवत्त।। यूं तो चारणां में घणा ई भक्त कवि होया है पण चवदै भक्त कवियां रो नामोल्लेख घणो मिलै- चौरासी रूपग नरहर चवण, वरणत वाणी जू जुवा। चरण सरण चारण भगत, हरि गायक एता हुवा।। भक्त नरहरदास बारठ रो नाम ज्यूं चावो है उणी गत इणां रै कौटम्बिक सदस्य तेजसी बारठ टेला रो नाम घणो चावो है।रतनू वीरभाण आपरी पोथी “भागोत पुराण में लिखै है – संत कवेसर तेजसी, दूजो नरहरदास। जपियो कल़प […]

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जीवतै नै बोला दियो ! तो किसी इचरज री?

महाराजा मानसिंह जोधपुर, आपरी बगत रा महामनस्वी अर उदार नरेश हा। बै जितरा वीर अर अडर हा उतरा ई स्वाभिमानी। जितरा सहज हा उतरा ई संवेदनशील। महाराजा रै खास अर विश्वासी लोगां जद उणां रै साथै विश्वासघात अर छल़ कपट करणो शुरु कियो तो उणां नै इण रो अणूंतो खेद होयो। ऐड़ै समय में बै घणी वेल़ा गुमसुम हो ज्यावता तो घणी वेल़ा अबोला बैठा रैवता। ऐड़ै संक्रमण काल़ में एकर उणां सूं मिलण खातर अंग्रेज़ी सरकार रो एल ची अकबर अली आयो। महाराजा पागलपण रो नाटक करतां थकां गुमशुम अर अबोला बैठा रैया। नी तो उणां अकबर अली सूं […]

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ओऱंगजेब रै अत्याचारां रै खिलाफ अड़णियो महावीर नरु सौदा

राजपूती शौर्य री प्रतीक रूपनगढ री राजकुंवरी आपरै जातिय गौरव नै अखंडित राखण अर स्त्री स्वाभिमान नै मंडित करण सारू ओरंगजेब रै आतंक सूं नी डरर निशंक उणनै वरण सूं मना कर दियो। उणनै उण बगत आखै रजवाड़ां में एक मात्र आशा रो दीप दीखतो हो, बो हो उदयपुर महाराणा राजसिंह। जिण भांत रुकमणी, किसन नै संदेशो मेलर परणण खातर कैवायो उणी गत इण वीरांगना रजवट नै निकलंक राखण खातर राणै राजसिंह नै स़देशो पूगायो। एकर तो राणो ई ओरंग रै बोहरंगै पणै सूं संकियो पण उणनै पूर्वजां री गीरबैजोग परंपरा याद आई। उणां आई सोची कै एक राजपूत बाल़ा […]

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चारण का वाक् चातुर्य – ठा. नाहरसिंह जसोल संकलित पुस्तक “चारणौं री बातां” से

कच्छ की राजधानी भुज के राजमहलों में कच्छ के राव गौडजी और ओखा का राणा तेजोजी चौपड़ खेल रहे हैं। खेल पूरे यौवनावस्था में हिलोरें ले रहा है। कभी कच्छ के राव के पौ बारह पच्चीस तो कभी, ओखा के राणा के। दाव पर दाव और गोटी पर गोटी उड़ रही थी। उस समय मांडवी तालुका के काठड़ा गांव का वारू चारण हिंगलाजदान सभा कक्ष में प्रवेश करता है। वारू चारण को गौडजी बावा का मरजीदान होने से राजदरबार में आने जाने की छूट की थी। उसने गौडजी को अभिवादन करते हुए अपना स्थान ग्रहण किया। थोड़ी देर में खेल […]

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घर कामिनी काग उडावती है

स्वर्गीय कवि शुभकरण सिंह जी उज्जवल (ग्राम भारोडी) पुलिस सेवा में थे। भीलवाडा में पोस्टिंग के वक्त वहाँ के एक सख्त एस पी साहब ने छुट्टियों पर प्रतिबंध लगा दिया। शुभकरण जी को घर जाना बहुत जरूरी था। उन्हें कहीं से पता चला कि एस पी साहब बड़े साहित्य रसिक हैं, तो उन्होंने साहित्यिक शैली में एस पी साहब तक छुट्टी की अर्जी पहुँचाई।

एस पी साहब ने तत्काल छुट्टी सेंक्शन कर दी। वह कविता आप सभी की नजर… […]

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‘आई’ लाधी गांगड़ी का न्याय

:::: ठा. नाहर सिंह जसोल द्वारा संकलित पुस्तक “चारणों री बातां” से ::::: माघ मास की धवल चांदनी में ‘वराणा’ नामक गांव के मां खोडियार के मंदिर के प्रांगण में चारणों का पूरा समुदाय इधर-उधर की बातों में मस्त है। उपलियाला गांव का लाभूदान चारण बीच में बैठा चुटकले, दोहे, छंद सुना रहा हैं। बातों ही बातों में लाधी गांगड़ी का प्रसंग आया तो किसी ने पूछाः ‘‘लाधी गांगड़ी तो खोडि़यार की भक्त थी ना!’’ ‘‘उनको तो लोग खोडि़यार की बड़ी बहन आवड़ स्वरूप मान के नमन करते थे, परन्तु वे खोडि़यार की परम उपासक थी।’’ चारणों की गांगड़ा शाखा […]

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