आवडजी महाराज रा नाराच छंद – मानदानजी कविया दीपपुरा, सीकर

॥छंद नाराच॥
बिमाण बैठ सात भाण आसमांण उत्तरी।
धिनो अछी छछी ज होल गैल लूंग लंगरी।
सुधाम धाम मांमडा जु धीव तूं कहावडा।
नमो ज मात बीस हाथ पात पाळ आवडा॥1॥

कलू असाधि की उपाधि व्याधि भोम पै छई।
सरूप हिंगळाज रो अनूप आवडा भई।
अखंड मंड तेमडै प्रचंड छत्र छाबडा।
नमो ज मात बीस हाथ पात पाळ आवडा॥2॥[…]

» Read more

माँ हिंगलाज का छंद – कवि अज्ञात

॥छंद: नाराच॥
भमंक अंज काळ भंज सिंघ संज सज्जियै।
झमंक झंझ ताळ खंज वीर डंज बज्जियै।
चौसठ्ठ मझ्झ रास रंझ स्याम मंझ सम्मियै।
गिरंद गाज बीण बाज हिंगळाज रम्मिये।
मां हिंगळाज रम्मिये जि हिंगळाज रम्मिये॥ 1॥[…]

» Read more

माताजी का छंद – कवि जय सिंह जी सिंढायच (मंदा)

!!छन्द: अर्ध-नाराच!!
नमामी मेह नन्दिनी! नमामी विश्व वन्दिनी!!
भुजा विशाल धारणी! दयाल दास तारणी!!1!!
क्रपानिधे क्रपालकम्! दयाल बाल पालकम्!!
विशाल बिन्द भालकम्! नयन्न नैह न्हालकम्!!2!!
न जाने भेद नारदम्! सदा जपन्त शारदम्!!
नमामि भक्त वच्छलम्! अनाद विर्द उज्ज्वलम्!!3!!

» Read more

🌹सरस्वती वंदना🌹- कवि स्व अजयदान जी लखदान जी रोहडिया

🌹छंद नाराच🌹
घनान्धकार नाशिनी विनाशिनी विमूढता।
प्रज्ञा प्रदायिनी प्रकाश वर्धनी प्रगूढता।
हरि हरादि पूजिता, विरंचि वंदिता अति।
प्रसन्न हो प्रयच्छ बुद्धि स्वच्छ मां सरस्वती।। १

» Read more

धरंत ध्यान आपको – गिरधारी दान रामपुरिया

।।छंद नाराच।।
धरंत ध्यान आपको, अणंद भाव आवतो।
नमंत नाम नेम सूं, जपंत रोग जावतो।।
करंत याद कीरती, मिटंत दोस मावड़ी।
करो सहाय आप आय, धाय बेल धावड़ी।।[…]

» Read more

शिव स्तुति – पन्नारामजी मोतीसर जुढिया कृत

छंद नाराच
करूं प्रणाम जोग धाम संग धाम गो सिरं।
भुजंग दाम कंठ ताम रक्त नाम लेररं।
महान थान छै अकाम मुक्ति ग्राम मगलं
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। १

नगन्न अंग सीस गंग धूत रंग धारणी।
अफीम भंग बीज चंग पान रंग पारणी।
मतंग चाल पे विराज साज ध्यान निस्चलं।।
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। २ […]

» Read more

करंत देवि हिंगळा

छंद: नाराच

विडारणीय दैत वंश सेवगाँ सुधारणी।
निवासणी विघन अनेक त्रणां भुवन्न तारणी।
उतारणी अघोर कुंड अर्गला मां अर्गला।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥1॥

रमे विलास मंगळा जरोळ डोळ रम्मिया।
सजे सहास औ प्रहास आप रुप उम्मिया।
होवंत हास वेद भाष्य वार वार विम्मळ।
करंत देवि हिंगळा कल्याण मात मंगळा॥2॥[…]

» Read more

माताजी रा आवाहण रा चाडाउ छंद

।छंद : नाराच।

चंडी सुभद्र सद्र अद्र आसणं चडी चडी।
भुजाक डाक डैरवां वडां वडां वडां वडी।
करे हुंकार वार वार दाणवां डकारणी।
चितारतां सुपात मात चाढ आत चारणी॥1॥

नहीं सो माय बाप आप तैं ज आप ऊपणी।
सुसावित्री उमां रमां शचि अनूप रुपणी।
धिनो प्रचंड खंड मै अखंड जोत धारणी।
चितारतां सुपात मात चाढ आत चारणी॥2॥ […]

» Read more

गुलाब लाजवाब है

छंद नाराच

हरी हरी ज पांनडी लगे घणी सुहावणी।
कळी फबै है फूटरी मनां तनां लुभावणी।
पणां सँभाळ कंटकां इ’रा घणा खराब है।
लख्यौ ललाम लाल वो गुलाब लाजवाब है॥1

कळी कळी महेकती गळी गळी सुबास है।
सुगंध चारू कूंट में हरेक रो औ खास है।
जणां जणां मनां तणो रिझावणौ जनाब है।
लख्यौ ललाम लाल वो गुलाब लाजवाब है॥2 […]

» Read more

आवड़ वन्दना – जोगीदान जी कविया सेवापुरा

।।छन्द नाराच।।
सुचित्त नित्त प्रत्ति व्है शिवा सकत्ति सम्भरै
सुधर्म कर्म ज्ञान ध्यान मर्म खोजते फिरै
तमाम रात दीह जाम नाम ले बितात है
सुपात मात आवड़ा जगत्त में विख्यात है।१।

बहन्न सात एक साथ व्योम पाथ ऊतरी
अछेह नेह देह मामड़ा सुगेह में धरी
कथा अशेष देश देश में विशेष गात है
सुपात मात आवड़ा जगत्त में विख्यात है।२। […]

» Read more
1 2 3 4