परिचय: राजकवि खेतदान दोलाजी मीसण – प्रेषित: आवड़दान ऊमदान मीसण

चारण समाज में ऐसे कई नामी अनामी कवि, साहित्यकार तथा विभिन्न कलाओं के पारंगत महापुरुष हुए हैं जो अपने अथक परिश्रम और लगन के कारण विधा के पारंगत हुए लेकिन विपरीत संजोगो से उनके साहित्य और कला का प्रसार न हो पाने के कारण उन्हें जनमानस में उनकी काबिलियत के अनुरूप स्थान नहीं मिल पाया। अगर उनकी काव्य कला को समाज में पहुचने का संयोग बेठता तो वे आज काफी लोकप्रिय होते।

उनमे से एक खेतदान दोलाजी मीसण एक धुरंधर काव्य सृजक एवं विद्वान हो गए है।[…]

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आप गिनायत हो! नीतर मांगता सो हाजर

कवि अर कविता री कूंत रो अद्भुत प्रसंग

किणी कवि कविता नै संबोधित करतां कविता नै चारणां रैअठै हालण रो सटीक कारण बतायो है, कै चारण प्राकृतिक रूप सूं काव्य रा प्रेमी होवै सो कविता अधूरी है तो पूरी करावैला अर जे पूरी है तो मुक्तकंठ सूं प्रशंसा करेला-

हाल दूहा उण देसड़ै, जठै चारण बसै सुजाण।
करै अधूरा पूरती, पूरां करै बखाण।।

ऐड़ो ई एक काव्य प्रेम रो अजंसजोग प्रसंग है ऊजल़ां रै गुलजी ऊजल़ (गुलाबजी) रो। ठिरड़ै रो गाम ऊजल़ां आपरी साहित्यिक अर सांस्कृतिक विरासत रै पाण चावो रैयो है। मोगड़ा रा संढायच गोपालजी रै तीन बेटा 1रानायजी 2सोढजी 3ऊदलजी (शायद ऊदलजी रो ई नाम ऊजल़जी होवैला) इणी ऊदलजी री वंश परंपरा में लालैजी नोखावत नै गोविंद नारावत ऊजलां गाम सांसण इनायत कियो। इणी गौरवशाली वंश परंपरा में[…]

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आवड मां रो रेणकी छंद – कवि केसरजी खिडीया

॥छंद: रेणकी॥
गहकत तर बिम्मर दादर सुर सहकत,
सगत नजर भर अठ तसणी।
झळहऴ कुंडळ उज्जळ मिळ झूलर,
दूठ निजर दामण दमणी।
मिळिया दळ सबळ तैमडै माथै
शगत नवै लख हेक समै।
झबकत कर चूड झणणणणण झांझर
रामत डुँगरराय रमै॥ 1 ॥[…]

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हनुमान तांडव – सुरताणिया जगमालसिंह ‘ज्वाला’

।।छंद रेणकी।।
रट रट मुख राम, निपट झट नटखट, परगट तांडव रुप रचे।
कट कट कर दंत, पटक झट तरु वट, लपट झपट कपि नाच नचे।
दट दट झट दोट, चोट अति चरपट, लट पट दाणव मार लहै।
जय जय हनुमान, जयति जय जय जय, बिकट पंथ बजरंग बहै।1। […]

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वंदनीय वीर बलूजी चांपावत रा छंद

।।छंद रेंणकी।।
चावो गोपाल़ चहुंदिस चांपो, सुतन आठ घर थाट सही।
सांप्रत रजवाट हाट उर साहस, मोद कोम जस खाट मही।
दुसमण दल़ दाट कोट नव दुणियर, भड़ अड़ लीधी आप भलू।
तोड़ण मुगलांण मांण कज तणियो, वणियो मरवा वींद बलू।।1 […]

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कुळ चारण लुळ नमन करै

हल़्दीघाटी अर स्वतंत्रता आंदोलन रै सौदा सूरां नैं समर्पित एक छंद –

।।छंद – रेंणकी।।
पातल रै उपर पातसा अकबर
दूठ जदै गज ठेल दिया।
सधरै पिंडपाण साहस सूं सूरै
लेस बीह बिन झेल लिया।
सौदा तिण दीह वंस रा सूरज
केसव जसियो मरण करै
सौदा परिवार सिरोमण सारै
कुळ चारण लुळ नमन करै।।1[…]

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हर मा नै समर्पित – कुण जामण री होड करै

।।छंद-रे़णकी।।
राखै नव मास उदर मँझ रक्षा,
सास सास हद कष्ट सहै।
सींचै तन वेल रगत सूं सांप्रत,
रीझ जिणी पर मुदित रहै।
खीजै नहीं, भाव भरण नित खम्या,
ध्यान आप सूं अधक धरै।
थिगती जिण देह अडग कर थामण,
कुण जामण री होड करै।।1[…]

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🌹शारदा स्तुति🌹- कवि स्व. अजयदान जी रोहडिया कृत

🌸छंद रेणंकी🌸
निरमल नव इन्दु बदन विलसत भल, द्रग खंजन मृग मद दलितम्।
कुम कुम वर भाल बिन्दु कल भ्राजत, तन चंदन चरचित पुनितम्।
झल़कत अरू झल़ल़ झल़ल़ चल लोलक, लसत सु श्रवण ललाम परम्।
शारद कर प्रदत सुक्ति यह सुखकर, किंकर पर नित महर करम्।।१

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🌹जय करनी जय शंकरनी🌹- कवि स्व. अजयदान जी रोहडिया

🌸दोहा🌸
जग करनी, हरनी जगत, जग भरनी जगदंब।
किनियांणी करनी नमो, काटनि क्लेश कदम्ब।। १
देत बुआ सिर डूचको, अंगुलिन भइ अनुरूप।
नाम करनी या तें दियौ, लख निज करनि अनूप।। २

🌸छंद रेणंकी🌸
बरनी नहि जाय विशद तव करनी, आदि शक्ति नति अघ हरनी।
हरनी मद मोह, कोह तम तरनी, युग युग अवतरनी धरनी।
धरनी कर त्रिशुल मुण्ड निर्जरनी, धूर्त धृष्ट जग वध करनी।
करनी जन कष्ट नष्ट कलि करनी, जय करनी!जय शंकरनी।। १[…]

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रंग धर मोखांराय रमै

मूंजासर रा बीठू नगराजजी रै नेम हो कै बै हर चानणी सातम रा जैसलमेर स्थित तेमड़ै थान दरसण करण जावता। नगराजजी प्रसिद्ध कवि बोहड़ बीठू रै भाई हरदानजी रा बेटा अर प्रसिद्ध कवि सूजा बीठू रा पिताजी हा। आखिर बूढापो आयो तो डोकरै नेम नीं छोडियो। छेवट डोकरी साक्षात दरसण दिया अर कैयो “बेटा हमें तूं आगै सूं अठै मत आई। हूं खुद थारै सागै हाल र उठै ई रैवूंली अर बो दूजो मोटो तेमड़ो बाजैला पण तूं जठै लारै जोवैला हूं उठै ई थंब जावूंली।”

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