राधारमण देव स्तवन

।।छंद त्रिभंगी।।
हे हरि मन हरणं, अशरण शरणं, राधा रमणं, गिरिधरणं।
आपद उद्धरणं, नित प्रति स्मरणं, सुधा निझरणं, बरु चरणं।
ब्रजधाम विचरणं, कुंडल़ करणं, वारिद वर्णं, जगवंद्या।
माधव मुचकुंदा!, नागर नंदा!, बालमुकुंदा! गोविंदा!!१!![…]
Charan Community Portal
।।छंद त्रिभंगी।।
हे हरि मन हरणं, अशरण शरणं, राधा रमणं, गिरिधरणं।
आपद उद्धरणं, नित प्रति स्मरणं, सुधा निझरणं, बरु चरणं।
ब्रजधाम विचरणं, कुंडल़ करणं, वारिद वर्णं, जगवंद्या।
माधव मुचकुंदा!, नागर नंदा!, बालमुकुंदा! गोविंदा!!१!![…]
।।छन्द – त्रिभंगी।।
धारै धक धोळा चंगा चोळा, बदळै खोळा नित बोळा।
जन-धन सूं झोळा भरै सबोळा, करै ठिठोळा ठग भोळा।
रुळपट कर रोळा करै किळोळा,कुरसी दोळा फिर केता।
मन रा ज मलीणा है लजहीणा, नाग सपीणा ऐ नेता।।1।।[…]
यह छंद महाकवि सूर्यमल्ल रचित खंडकाव्य राम रंजाट से लिया गया है। उल्लेखनीय है कि महाकवि ने इस ग्रन्थ को मात्र १० वर्ष की आयु में ही लिख डाला था।
।।छंद – त्रिभंगी।।
सौलह सिनगारं, सजि अनुसारं, अधिक अपारं, उद्धारं।
कौरे चख कज्जळ, अति जिहिं लज्जळ, दुति विजज्जळ, सुभकारं।।[…]
🌺दोहा🌺
जय गंगे! जय जाह्नवी, तरल तरंगे आप।
शंकरमौलि विहारिणी, सुरसरि हर संताप।।१
अच्युत-चरण-तरंगिणी, हिमगिरि करण विहार।
जय पातक हर जाह्नवी, हे! जग पाल़णहार।।२
🌷छंद त्रिभंगी🌷
अंबा-अरधंगे!, हणण अनंगे!, मस्त मलंगे!, मातंगे!
भूतावल़ स़गे!, कंठ भुजंगे!, भव! भसमंगे!, तन नंगे!
पीवत नित भंगे!, उण उतबंगे!, रमणी रंगे, मनहारी!
जय भगवति गंगे!, तरल तरंगे, सरल सुचंगे, अघहारी!!१[…]
।।छंद – त्रिभंगी।।
जय जय जग जरणी भव भय हरणी खळ दळ दरणी खग धरणी।
भू जळ खेचरणी पय निझरणी शंकर घरणी चख अरणी।
सेवक कज सरणी किरपा करणी मात प्रसरणी भुज लंबा।
तारण भव तरणी वेदां वरणी जय जग जरणी जगदंबा।
जिय जय मां करणी जगदंबा।।1।।[…]
।।छंद – त्रिभंगी।।
जय जगरायाजी, महामायाजी, शुचिकायाजी, छायाजी।
होवे शिशु पाजी, तउ क्षमाजी, कर तुं हाजी, हा हाजी।
प्रीति नित ताजी, नह इतराजी, वाह माताजी, वाह वाहजी।
रह राजी राजी, हमपर माजी, अजा ऊमाजी, अंबाजी।।1
धवळांबर धरणी, उजळ वरणी, शंकर घरणी, शं करणी।
निज जन निरझरणी, रक्षा करणी, अशरण शरणी, अघ हरणी।
वासी गिरिवरनी, शिव सहचरणी, हिम भूधरनी दुहिताजी।
रह राजी राजी, हमपर माजी, अजा ऊमाजी, अंबाजी।।2।।[…]
।।छंद -त्रिभंगी।।
कासीपुर नाथम सो समराथम, नमो अनाथम हे नाथम!
इहगां दे आथम सत सुखदातम, रसा ज बातम दिनरातम।
धिन हो जो ध्यातम माथै माथम, हर निज हाथम हरमेसर।
भगवन भूतेसर जयो जटेसर, नमो नंदेसर नटवेसर।।1
कन कुंडल़धारी कमँडलधारी, गिरजा नारी गिरनारी।
भोल़ो भंडारी विजया जारी, आपू भारी आहारी।
दुनिया दुखियारी सिमरै सारी, संकट हारी शंभेसर।
भगवन भूतेसर जयो जटेसर, नमो नंदेसर नटवेसर।।2[…]
।।छंद – त्रिभँगी।।
जन मन जयकारा, धन तन धारा, अवन उचारा अवतारा।
पिंपासर प्यारा, दीन दुलारा, पुन प्रजारा, परमारा।
तपस्या तन तारा, भव पर भारा, भल भंयकारा भूप भया।
परगट परमेश्वर, जय जांभेशवर, निज अवधेश्वर रूप नया।।
नव विसी न्याती, धर्म धराती, वर्ण विनाती विख्याती।
जम्भ देव जमाती, कर्म कराती, मेहनत भाती मन थाती।
खिति पर धन ख्याती, परमल पाती, जबरी जाती सूंप जयो।
परगट परमेश्वर, जय जांभेश्वर, निज अवधेश्वर रूप नयो।।[…]
।।छंद – त्रिभंगी।।
पैहाळ तिहारो भगत पियारो, निस थारो नाम रटै।
हिरणख हतियारो ले घण लारो, झैल दुधारो सिर झपटै।
हरनर ललकारो कर होकारो, दैत बकारो द्यो दरणम।
नमहूं घणनामी जय जगजामी, संतन स्वामी तो सरणम।।
इन्दर कोपायो ब्रिज पर आयो, वारिद लायो वरसायो।
धड़हड़ धररायो जोर जतायो, प्रळै मचायो पोमायो।
नख गिर ठैरायो इन्द्र नमायो, धिनो कहायो गिरधरणम।
नमहूं घणनामी जय जगजामी, संतन स्वामी तो सरणम।।[…]
।।दोहा।।
देवी दूलाईह, सुरराई शगत्यां शिरै।
मालण मंहमाईह, वसै विराई विसहथ।।
।।छंद – त्रिभंगी।।
देवी दूलाई, अंबे आई, परचां छाई प्रभुताई।
पावक प्रजाळाई, उठर आई, पग अरुणाई, प्रगटाई।
बाळापण बाई अम्ब उपाई पुनि पलटाई नींब प्रथी।
मालण महामाई, सदा सहाई, है सुरराई विशहथी।
जिय है वरदाई विशहथी॥1॥
टीकम टणकाई सुजस सवाई पह परणाई तिण पुलही।
गायां घेराई सिंध सराई वाहर धाई बिलकुल ही।
कव जीत कराई हुतब हलाई जमदढ खाई गळै जथी।
मालण महमाई सदा सहाई है सुरराई वीसहथी।
जिय है वरदाई वीसहथी॥2॥[…]