Tag: चिरजा
रातीजगा चिरजा – माताजी म्हाने बधाणु बताय
रातीजगा चिरजा – राखीजे प्रतिपाळ, काबाएं वाळी
चिरजा इंन्द्रबाईसा की – कवि हिंगऴाजदान जी जागावत

इंन्द्रबाई आये कृपा करि आप,
बड़ापण राज तणूं भारी।।टेर।।
पाप कोऊ प्रकट्यो मों पिछलो,
मैं मति भयो जु मंन्द।
मां मन बिलकुल कुटिल हमारो,
भूल गयो धज बन्द।
फेर फिर किरपा अणपारी।।1।।[…]
रातीजगा चिरजा – चाळराय शुभ री घड़ी म्हारे आई
रातीजगा चिरजा – म्हारा देव दुगाय जग जननी हे माय
चिरजा मंदिर की – कवि हिंगऴाजदान जी जागावत

आदरणीय जागावत हिंगऴाजदान जी सा चिरजावां में अनूठो प्रयोग करियो है। भगवती का मंदिर ने सम्बोधित करती दो रचनावां करी है जिणमें पहली में निवेदन है कि हे माँ भगवती आप भव्य मंदिर को निर्माण करवायो जिणमें कई भांत की विशेषता है, और दूसरी चिरजा में भवन ने कहियो है कि भवन तूं कितणो भाग्यशाली है जो बीसभुजाऴी भगवती आप में बिराजमान है। ।।प्रथम।। अम्बा हे गढ मानहु स्वर्ग बसायो। सो सह शकत्यां आय सरायो।।टेर।। दिशि पूरब झांकत दरवाजो, कोट तणो करवायो। ऊंचा पण देशाण अन्दाजै, लोयण भोत लखायो।।1।। बुरज उतर वारी पर भारी, “भगवती-भवन” बणायो। ताहि नजीक सरिस तैं […]
» Read moreमो पर करो कृपा करनेल – चिरजा

मो पर करो कृपा करनेल कृपानिधि, मात मेहाई ए।
मात मेहाई ए दयानिधि, मां महमाई ए।
मो पर करो कृपा करनेल कृपानिधि, मात मेहाई ए।। टेर।।
सुत कै और सहारो नांही, सुण सुरराई ए
एक तुंही आधार अंबिका, मां वरदाई ए
मो पर करो कृपा करनेल कृपानिधि, मात मेहाई ए।। 01।।[…]
आईनाथ(तैमड़ै राय)री ओलग – कवि स्व. भँवरदान जी वीठू “मधुकर” (झणकली)

पग पग ओरण डग डग परचा, सब जग सुजस सुणावै हो।
आद भवानी मात आवड़ा, अवलु थारी आवै हो।
दैवी हैलो दै।।(1)
वेद विधाता शेंष सुरसती, गणपत किरत गावै हो।
भुचर खेचर बावन भेरू, थारो हुकम वजावै हो।
दैवी हैलो दै।।(2)
ऊंचो देवल धजा ऊधरी, हरदम होरां खावै हो।
घोर नगारों निर्मल घाटी, गगन घुरावै हो।
दैवी हैलो दै।।(3)[…]
प्रसिध्द ऐतिहासिक चिरजा – कवि हिंगऴाजदान जी जगावत

।।दोहा।।
मंयकअंक पख मांगसिर, सिध्दियोग शनिवार।
कृष्ण पक्ष की चौथ कौ, ले देव्यां घण लार।।
।।चिरजा।।
जंग नृप जैत जिताबा, लागी असवारी लोवड़ वाऴ री।।टेर।।
शोभित आप शक्ति संग केती,
(अरू) जो जोगण जगमांय।
आसव लेण बेर हिय आंरै,
ना कारो मुख नांय।।1।।[…]