चिरजा – देशनोक दर्शन की आकांक्षा पुर्ती की – हिंगऴाजदानजी जागावत

।।चिरजा।।
करो जगदम्ब मोहि काबो,
हुवै नां दूर सूं आबो।।टेर।।
पङछायां पङियो रहूं, मन रहे मूरति मांय।
फिरूं फलांगां जा पङूं, छतरां हंदी छांय।।
कहै कुण मोद को माबो।।1।।
खेल करूं कदमां खनै, खटब्यंजन खांऊतीस।
कबुक होय बैठूं खुशी, सजनां हंदै सीस।।
सूरत को होत सरसाबो।।2।।[…]