गीत सोशल मीडिया रौ – पुष्पेंद्र जुगतावत वणसूर
गीत – बडो साणोर
अजब फेसबुक वाटसफ टवीटर ओपिया,
ग्राम इंस्टा गजब रचे गोटा।
सोसयल मीडिया तणा रांगड़ सजे,
मचाया मुलक में ख्याल म्होटा।।१[..]
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गीत – बडो साणोर
अजब फेसबुक वाटसफ टवीटर ओपिया,
ग्राम इंस्टा गजब रचे गोटा।
सोसयल मीडिया तणा रांगड़ सजे,
मचाया मुलक में ख्याल म्होटा।।१[..]
।।गीत – प्रहास साणोर।।
विगत रयो रूढीपणा तणे वड ग्रासगत,
मिळी हिंदवांण नै आज मुगती।
वरण विग्यान रौ चहुंदिश वापर्यौ,
संचरी रिवगरण रूप सगती।।1[…]
जिनके घर सदाचार, शिष्टाचार, मानवता, उदारता और परोपकार के भावों की सरिता सतत प्रवहमान रहती है, उसी घर में देवी अवतरण होता भी है तो कुलवधु के रूप में भी उस घर को पवित्र करने हेतु देवी आती हैं-
देवियां व्है जाके द्वार दुहिता कलत्र हैं।
आलाजी बारठ जिन्हें मंडोवर राव चूंडाजी ने भांडू व सिंयाधा नामक गांव इनायत किए थे के घर एक ही समय में दो महादेवियों का जन्म हुआ है। उनके पुत्र गोरजी के घर सूरमदे का जन्म वि.सं. 1451 में हुआ-[…]
» Read moreस्वमान व सत्य के प्रति आग्रही जितने चारण रहे हैं उतने अन्य नहीं। इनके सामने जब सत्य व स्वमान के रक्षण का संकट आसीन हुआ तब-तब इन्होंने निसंकोच उनकी रक्षार्थ अपने प्राण अर्पण में भी संकोच नहीं किया। चारणों ने सदैव अपने हृदय में इस दृढ़ धारणा को धारित किया कि सत्य सार्वभौमिक, शाश्वत, व अटल होता है। यही कारण था कि इन्होंने कभी भी सत्य के समक्ष असत्य को नहीं स्वीकारा। यही नहीं इन्होंने तो सदैव लोकमानस को यह प्रेरणा दी कि- ‘प्राणादपि प्रत्ययो रक्षितव्य’
यानी प्राण देकर भी विश्वास बनाए रखना चाहिए।[…]
।।गीत – साणोर।।
उरड़ उण तार बिच बार करती ईदग।
बीसहथ लारली कार बगती।।
आंकड़े अखूं आधार इक आपरो।
सांकड़े सहायक धार सगती।।[…]
।।गीत।।
विमल देह धारीयां सगत जांगल धर विराजै,
थांन देसांण श्री हाथ थाया।
उठै कव भेजियो राज करवा अरज,
जोधपुर पधारो जोगमाया।।१।।
विनती सुणै रथ जुपायो बेलीयां,
सहस फण सेलियां जदन सारा।
तेलीयां वीर सुत वाजता टांमका,
लाख नव फैलीया व्यूह लारा।।२।।[…]
।।गीत – प्रहास साणोर।।
अगै करहलां जोड रा वरी धिन कीरती,
तीखली तोड रा ढांण ताता।
हेरिया नहीं धर दूसरी होड रा,
महि मन पूरणा कोड माता।।1[…]
।।गीत – प्रहास साणोर।।
अयो अमर रो उगाहण वैर धुब आग रै
जाग रै क्रोध उर पाल जायो।
भुजां रै भरोसो, नको बल़ भागरै,
आगरै नाग रै रूप आयो।।1[…]
लखे घोर घमसांण ऊडांण ग्रीधण लहै,
अपछरां पांण बरमाऴ ओपै।
ऊगतो विचारै भांण आरंभ इसा,
किसा कुऴ भांण रै सीस कोपै।।
बाट उप्रवाट बहता थका बाहरू,
उरस अड़ि अबीढै घाट आया।
दाटणा जिका कुज्रबाट दीपक दहूं,
थाटणा थाट मुह मेऴ थाया।।[…]
।।दूहौ।।
सीर सनातन सांपरत, राखण रजवट रीत।
अमर सदा इळ ऊपरां, पातां हंदी प्रीत।।
।।गीत – प्रहास साणौर।।
पलटियौ समै पण छत्रियां मती पलटजौ,
राखजौ ऊजल़ी सदा रीती।
संबंधां तणी आ देवजौ सीख कै,
पुरांणी हुवै नह जुड़ी प्रीती।।[…]