महादेवी देवलजी रो गीत

।।गीत प्रहास साणोर।।
भलै सोढवत धरै तूं अवतरी माड भू
साच मन ईहगां वाच सेवी
वीरी तणै उदर रमी तूं बीसहथ
देवला रूप हिंगल़ाज देवी१
साहल़ां सांभल़ै बधारै संतजन
देव जस जगत मे लियै दाढा
ऊजल़ा संढायच किया कुल़ ऊपनी
ऊजल़ा नांनाणै किया आढा२
मोद तो ऊपरै करै इल़ माड़वो
सोढ री ऐल़ ओलाद सारी
चाढियो नीर चहुं पखां कुल़ चारणी
धिनो बण मानवी देह धारी३[…]

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गीत तेमड़ाराय रो

।।गीत-प्रहास साणोर।।
करां झूल़ तिरशूल़ ले चढै अब केहरी,
ऐहरी बगत में भीर आजै।
दूथियां सरब सुख सिमरियां देहरी,
लालधज मेहरी साथ लाजै।।1
भगत रा देख नित मनां रा भावड़ा,
तावड़ा, छांह कर तुंही टाल़ै।
मदत तैं आजलग करी नित मावड़ा,
पेख मग आवड़ा बो ई पाल़ै।।2[…]

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गीत जोरावरपुरा माताजी रो

डीडवाना के पास एक गाँव है जोरावरपुरा। अमरावत बारठों का गाँव है। वहां के चमत्कारी करनी मंदिर के दर्शन करके मां के चरणों में एक गीत निवेदन –

।।गीत साणौर।।
करै खास अरदास सब दास सुण करनला
आस कर आपरै द्वार आया।
मन्न में जास विश्वास अत मावड़ी
देविका रखाजे परम दाया।।
बळू तू कळू में रहीजे बीसहथ
चळूनद सोखणी मात चंडी।[…]

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चाल़कनेची का प्रहास शाणोर गीत – मीठा मीर डभाल

सरव परथम समरण मात तो शारदा,
रदे बीच भरोसो अडग राखूं !!
जीभ पर बिराजो आप मां जोगणी,
भवां चाळराय रा गुण भाखूं !!1!!
आप अम्ह बुद्धि बगसावजो आवड़ा,
करनल्ला मात तो महर कीजो !!
आपरो नाम लिय कर रहयो आपदा,
दयाळी उकत सध आप दीजो !!2!![…]

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देवकी उदर में प्रगटियो डीकरो

।।गीत-प्रहास साणोर।।
कड़ाका आभ दे बीजल़ी जबर कड़कड़ी,
धड़धड़ी कंसरी धरण धूजी।
हड़बड़ी दूठ रै वापरी हीयै में
पुनी जद गड़गड़ी खबर पूजी।।1
देवकी उदर में प्रगटियो डीकरो,
असुर तो मोत रो रूप आयो।
ईधर न ऊबरै उधर नह ऊबरै
जबर वसुदेव ओ सुतन जायो।।2[…]

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रूंख रिछपाळ री करो रिच्छा – पुष्पेन्द्र जुगतावत पारलाउ

।।गीत बडो साणोर।।
परम आसरो पामियो अठे नित पंथिये,
चरम त्रिप्ती थई पूर्ण इंछा।
बावळां नरम नाजुक घड़ी विचारो,
रूंख रिछपाळ री करो रिच्छा।
इये ने राखियों टळै दर आपदा,
सदा चाकर रहै पवन वरसा।
प्राणदा हरित ने पोखजो प्राणियों,
कुदिन निवडे़ हुवे सुखी करसा।

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वाह भड सांदू वाह!

आज रे भौतिकता वादी जुग में ई राजस्थान री इण पावन धरा रे मांय दान री परंपरा री अनवरत गंगा चालू है। जो आदू समै री गंगोत्री सूं कल कल करै है। इण रो परिचय सोशियल मीडिया रे मांय अबार ई थोडा दिन प्हैली वियोडी एक घटना है जिकण औ सिद्ध कर दियौ के आदू पुराणी दान अर दातारी री बातां कोइ दंतकथा या महज किस्सा कहाणी नी हा पण बे चीजां आखर आखर साच ही।
आज मैं बात मांडणी चावूं हूं एक निजानंदी कवि अर घोडां रा सौदागर नीतिराज सिंह सांदू सिहु री जिकण घोडी रो दान एक गुणी कवि मीठे खांजी मीर नें देयर पुराणी दान री परिपाटी नें पुनर्जिवीत करण री कोशिश करी।

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प्रहास शाणोर बिरखा रो

प्रहास शाणोर बिरखा रो
उरड़ियो आज उतराध सूं ऐरावतपति
खरै मन उमड़ियो बहै खातो।
गहरमन नाज अगराजतो घुमड़ियो
मुरड़ियो काल़ रो देव माथो।।1

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अवन पर कोपियो धणी असमान रो

।।गीत – प्रहास साणोर।।
अवन पर कोपियो धणी असमान रो अजब
अहर निस मुखां सूं अगन उगल़ै।
तड़फड़ै जीवड़ा छांह बिन तरवरां
परम ही हड़बड़ै बर्फ पिगल़ै।।1

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