गाय दूय’र गिंडकां ने न्हाकी – सेणीदान देपावत

एक गाँव, गाँव में दसवीं तक रो इसकूल, इसकूल में तीन सौ टाबर पढणने आवै। हेडमास्टर समेत इग्यारे मास्टर जका टाबरां ने हेत अर लगन साथे पढाई करावे।

इसकूल रे साथेई गांव में पटवार-घर अर पंचायत-भवन भी हुया करै है। पटवारी अर गाँव सचिव आपूआप रा काम करै अर इसकूल रा मासटर आपरो।

गाँव रा लोग पटवारी अर गाँव सचिव रो तो आदर माण करे क्यां के आ हूं हरेक रो काम पड़े, काम भलाईं पईसा देर कराओ।

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इयां मरै को नीं भाऊ!!

एक’र पोकरण रै आसै-पासै भयंकर काल़ पड़ियो। काल़ नै तो कीकर ई कूटर काढणो पड़सी! आ विचार नै अठै रा दो आदमी सिंध ग्या।

सिंध रै किणी गांम में पूगा, उठै उणां देखियो कै किणी धायै घर री बहुआरी गूंघटै में आपरै फल़सै रै बारलै वल़ा फूस बुहार रैयी है।

एक आदमी बोलियो ‘भइया कोई ओसाण करां ! जिको झांकल़ री ठौड़ हुवै!!’
[…]

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ठिरड़ै रा ठाट

–9–
।। ई जल्लै तो मारिया ई है!।।

ठिरड़ै रै एक ठावकै मिनख रो ब्याव मंडियो। उणरै एक बेली हो सो उणरी आदत मसकरी री। उण मिनख अर बेली रै बेलीपो ठावको पण बेली माथै विश्वास पण कम। तोई बात आ कै काणो मांटी सुहावै नीं अर काणो बिनां नींद आवै नीं। जद जान वहीर हुवण लागी जणै बेली आयो अर जान हालण री बात करी जणै वो ठावको मिनख जान ले जावण सूं आ कैय’र नटग्यो कै- “भइया तूं मांझो ब्याव बिगाड़ै पो। इयै कारण तनां जान नीं ले जाऊं।”[…]

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अरे भइया ! आ तो गधा गाल़णी धरती है!

एकर एक थल़ी रो बासण घड़णियो कुंभार आपरै गधे माथै ढांचो मेलियो अर उणमें पारी, चाडा, तामणिया, कुल़डकी, चुकली, भुड़की आद घाल’र पोकरण कानी निकल़ियो।

पोकरण पूगो पण उण सोचियो कै गांमड़ां में मजूरी ठीक हुसी सो उवो पोकरण सूं दिखणादी-आथूणी कूंट में निकल़ियो।
थोड़ोक आगै निकल़ियो तो उणनै सुणिज्यो कै लारै सूं कोई मिनख हेलो कर रह्यो है। उवो हेलो सुण’र ठंभियो। हेलो करणियो मिनख नैड़ो आयो अर खराय’र साम्हैं जोवतै पूछियो-
“कयो(कौन) है रे!”

कुंभार कह्यो – “बा ! हूं तो थल़ी कानलो फलाणो कुंभार हूं।”[…]

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काजी ई काजी रैयग्या

अेक समै री बात । पांच मिनख आपोसरी मांय कोई बात पर उळझग्या। जिद बहस रै बिचाळै रीस में रसाण पैदा हुयो। माड़ै दिन रो फेर आयो। अेक जवानड़ै रीस ई रीस में सामलै रै कुजाग्यां दे मारी। देखतां ई देखतां सामलो चित्त। नीचै पड़्यो अर प्राण पंखेरू उडग्यो। आपरै सागलै री मौत देख बाकी च्यारूं धोळा-धप्प हुग्या। च्यारां रा मूंढा जूतां ऊं कूट्योड़ा सा। लागै जाणै बापड़ां रा माइत मरग्या हुवै। पैली जोर-जोर सूं चीख अर गाळ बकणियां अबार निसासां न्हाखै। आप जाणो कै रीस स्याणी घणी हुवै। बा तो लारली गळ्यां भाजगी। अबै च्यारूं अेक-दूजै रै सामी जोवै।[…]

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बहू ढक्यां परिवार ढकीजै

च्यारां कानी धमा-धम बाजै। हेलाहेल कर्यां ई कोई नै सिवाय बीं धमचक रै कीं नीं सुणीजै। भयंकर तावड़ै में बळती चामड़ी पर पसीनो भी भाप बण’र उडज्यावै। अैड़ै-छेड़ै हेल्यां ई हेल्यां। कठै ई कोई खाली जाग्यां रो नाम ई कोनी। हरखियो बोल्यो भाइड़ा ईं शहर री गळ्यां-गूंचळ्यां में तो इत्ता फेर है कै आदमी तो कांई बापड़ी हवा नै ई गेलो कोनी मिलै। ईं वास्तै ई अठै इत्ती गरमी है। हरखियै री बात सुण’र अेकर सी सगळा मजदूरड़ा हँस्या पण ठेकेदार नैं आंवतो देख’र कीं बोल्यां बिनां ईं पाछा आप आपरो काम सळटावण में पिल पड़्या। ठेकेदार रो नांम भगवानो हो। बो बात रो पक्को अर खानदानी आदमी हो। ईं खातर बो फालतू री बाखाजाबड़ पसंद नीं करतो। बो तो सगळां नै आ ई कै राखी है कै जित्तो काम करो बित्ता दाम लेवो। काम नहीं तो दाम नहीं।[…]

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