पदमण सुजस प्रकाश

।।छंद रेंणकी।।
जस रो हद कोट जोड़ नह जिणरी,
रण चढिया अणमोड़ रह्या।
चावो चित्तौड़ पाट चक च्यारां,
वसुधा सतवाट घोड़ बह्या।
तांणी खग मोड़ तोड़ दल़ तुरकज,
कीरत कंठां कोड़ करै।
झूली सत झाल़ पदमणी जौहर,
भू धिन जाहर साख भरै।।1[…]
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।।छंद रेंणकी।।
जस रो हद कोट जोड़ नह जिणरी,
रण चढिया अणमोड़ रह्या।
चावो चित्तौड़ पाट चक च्यारां,
वसुधा सतवाट घोड़ बह्या।
तांणी खग मोड़ तोड़ दल़ तुरकज,
कीरत कंठां कोड़ करै।
झूली सत झाल़ पदमणी जौहर,
भू धिन जाहर साख भरै।।1[…]
जोधपुर के संस्थापक राव जोधाजी के पुत्र दूदाजी के वंश के जयमलजी मेड़तिया युध्द विद्या में प्रवीण विसारध हुए जो प्रतापी राव मालदेव से अनेक युध्द करके उनके हमलों व अत्याचारों से तंग आकर मेड़ता छोड़कर उदयपुर महाराणा उदयसिंहजी की सेवा में चले गए एवं वहां पर अपनी शौर्य वीरता दिखाकर स्वर्णिम इतिहास में नाम कायम कर दिया। आज भी यदा कदा चित्तौड़ की वीरता की गाथाओं के साथ जयमलजी का नाम जरूर आता है।
जयमलजी वीर के साथ साथ भगवान चारभुजा नाथ के बहुत बड़े भक्त भी थे। भक्तमाल मे भी उनका वर्णन आता है किः…..
जै जै जैमल भूप के,
समर सिध्दता हरी करी।।
**
मेड़ता आदि मरूधर धरा,
अंस वंस पावन करियौ।
जयमल परचै भगत को,
इन जन गुन उर विस्तरियो।।
।।छंद – मोतीदाम।।
वडवार उदार संसार वषाण।
जोधार जूंझार दातार सुजाण।
दला थंभ वीरम तेज दराज।
साजै दिन राजै ऐ सूर समाज।।[…]
वडभागी जलमै जठै, सब सुख थाय सवाय।
अेक चनण री ओट में, सारौ वन सुरमाय।।
ऐसे शौर्यमयी संस्कारों की धरती का एक अदभुत सूरमा था-वीरवर दुर्गादास राठौड़। दुर्गादास राठौड़ का जीवन वरेण्य व्यक्तित्व एवं अनुकरणीय कृतित्व का अनुपम उदाहरण है। राजस्थान के डिंगल कवियों ने उत्कृष्ट के अभिनन्दन एवं निकृष्ट के निंदन की सतत काव्यधारा प्रवाहित की है। मध्यकालीन इतिहास का अवलोकन करने पर राजस्थान के दो ऐसे वीर सपूतों का जीवन हमारे सामने आता है, जिनके शौर्य पर कवियों ने सर्वाधिक कलमें चलाई। वे हैं अप्रतिम वीर अमरसिंह राठौड़ एवं वीरवर दुर्गादास राठौड़।[…]
» Read moreहल्दीघाटी रा समर होवण में ऐक दोय दिनां री ढील ही, दोनों ओर री सेनावां आपरा मौरचा ने कायम कर एक बीजा री जासूसी अर सैनिक तैयारियां री टौह लेवण ने ताखड़ा तोड़ रैयी ही। जंगी झूंझार जौधारां रो जोश फड़का खावण ने उतावऴो पड़रियो हो। राणाजी रा मोरचा तो भाखरां रै भीतर लागियोड़ा हा नै मानमहिप रा खुलै मैदानी भाग मे हा। लड़ाई होवणरै दो दिन पहली मानसिंहजी शिकार खेलण थोड़ाक सा सुभट साथै लैय पहाड़ां रै भीतरी भाग मे बड़ गिया। राणाजी रा सैनिक जायर राणाजी ने आ कही कि हुकुम इण हूं आछो अवसर कदैई नहीं मिऴेला अबार मानसिंहजी ने मारदेवां का कैद कय लेवां। इण बात पर राणाजी आपरी वीरता री उदारता दिखाय आपरा सुभटां ने पालर कैयो क आंपणै औ कायरता रो करतब नीं करणो है। आंपा धर्म रा रक्षक हां अर भगवानरा भगत हां जणैई आंपांरी बिजै हुवै है। महाराणाजी री ई उदारता रो बरणाव कवि केसरीसिंहजी सौदा रा मुख सूं।[…]
» Read moreधिन्न विशणु प्रगट्यो धरा, देव मिनख री देह।
जंभ नाम जग जाणियो, गुणधर लोहट गेह।।१
गौ भगती कीधी गहर, अहर निसा कर आप।
महर करी नैं मोचिया, पींपासर में पाप।।२
समराथल़ तपियो समथ, धोरै ऊजल़ धिन्न।
अन्न जल़ दियो अहर निस, भूखां नैं भगवन्न।।३
ग्यान नदी खल़की गहन, नित उपदेस नवल्ल।
पसरी चहुंदिस पहुम पर, गुरु जंभै री गल्ल।।४[…]
।।दूहा।।
दीवै सूं थांनक दिपै, पुसप सुगंध प्रमाण।
मोती ज्यूं दरियाव मझ, सिंध में त्यूं सोढाण।।1।।
पाळ धरम रण पौढियौ, खळ दळ जूंझे ख़ास।
सिंध में दाहिरसेन रौ, अमर हुवौ इतिहास।।2।।
धरा सिंध अवतार धिन, लीनौ झूलेलाल ।
चावौ ‘चेटी चंड’ रौ, सुभ उच्छब हर साल।।3।।
सिंधी भगतां में सिरै, राजै टेऊराम।
प्रेम प्रकासी सत्पुरुष, निकस्यौ चहुं दिस नाम।।4।।
साहू जांमां जमर सज, दोखी कर दहवाट।
हड़वेची बेहूं हमें, धर पूजीजै धाट।।5।।[…]
🌺रामादेव पीर आह्वान🌺
रामा! बाट निहारूं थांरी।
आवो बेगा अलख धणी, हे लीले रा असवारी!
वीरमदे सुगणा रा वीरा, अजमल सुत अवतारी!
मेणादे रा लाल लाडला, नेतल तो घर नारी! १
रामा! बाट निहारूं थांरी।
आवो बेगा अलख धणी, हे लीले रा असवारी!
सिर धर सुंदर पाग सुरंगी, पीतांबर तन धारी!
जरकसी जामा प्हैरै ठाकर, अलख पुरूष अलगारी! २[…]
अबार रै कवियां री कलम में कितरी ताकत है? इणरै अनुमान रो दाखलो अजै सुणण में नीं आयो पण आपांरी आगली अर इणां सूं पैलड़ी पीढी रै कवियां री कलम में कितरी ताकत ही इणरा फगत तीन दाखला आपनै देय रैयो हूं [1]महाकवि पृथ्वीराजजी राठौड ‘पीथल’, [2]कवि भूषण सूर्यमल्लजी मीसण, [3]कवि पुंगव केशरीसिंहजी बारठ री वाणी रै पाणी सूं आप परिचित हो – […]
» Read more।।छंद रेंणकी।।
चावो गोपाल़ चहुंदिस चांपो, सुतन आठ घर थाट सही।
सांप्रत रजवाट हाट उर साहस, मोद कोम जस खाट मही।
दुसमण दल़ दाट कोट नव दुणियर, भड़ अड़ लीधी आप भलू।
तोड़ण मुगलांण मांण कज तणियो, वणियो मरवा वींद बलू।।1 […]