कुळ चारण लुळ नमन करै

हल़्दीघाटी अर स्वतंत्रता आंदोलन रै सौदा सूरां नैं समर्पित एक छंद –

।।छंद – रेंणकी।।
पातल रै उपर पातसा अकबर
दूठ जदै गज ठेल दिया।
सधरै पिंडपाण साहस सूं सूरै
लेस बीह बिन झेल लिया।
सौदा तिण दीह वंस रा सूरज
केसव जसियो मरण करै
सौदा परिवार सिरोमण सारै
कुळ चारण लुळ नमन करै।।1[…]

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महाराणा प्रताप रौ जस – कवि स्व. भँवरदान जी वीठू “मधुकर” (झणकली)

उतर दियौ उदीयाण दिन पलट्यौ पल़टी दूणी।
पातल़ थंभ प्रमाण़ शैल गुफावा संचरीयौ।

मिल़ीयौ मैध मला़र मुगला री लशकर माय।
कलपै राज कुमार मैहला़ चालौ मावड़ी।

महल रजै महाराण कन्दरावा डैरा किया।
पौढण सैज पाखांण हिन्दुवां सुरज हालीया।

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गोगा गुणमाळा

।।छंद रेंणकी।।
आयो दळ उरड़ गजन रो इळ पर, मुरड़ दूठ हिंदवाण मही।
जबरा जोधार राखिया झुरड़ै, सबळ कितां नै दुरड़ सही।
कितरां नै मुरड़ खायग्यो किलमो, चुरड़ पीयग्यो रगत चठै
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।1[…]

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पाबू-प्रभा

।।छंद-त्रिभंगी।।
केसर नखराळी, अस वा काळी, जींद निहाळी, जोराळी।
आयो हठियाळी, बैय उंताळी, मांगी जाळी, मतवाळी।।
मीसण मछराळी, रूठ रढाळी, नहीं संभाळी, गल सारी।
पाबू पणधारी, भू पर भारी, वीरत थारी, बळिहारी।।1
सतवट बातां, धर सारी।।[…]

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प्रताप पच्चीसी – अजयदान जी लखाजी रोहडिया

प्रण पर बगसण प्राण, तृण सम नित ततपर रियो।
आजीवन आराण, परचंड किया प्रताप सी॥1

धरम सनातन धार, असह निपट संकट सह्या।
अकबर रो अधिकार, पर न मन्यो प्रतापसी॥2

हलदी घाट हरोळ, मेद पाट भिडीयो मरद।
तुरकों पर खग तौल, पग रोपै परतापसी॥3 […]

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