करणीजी रा छप्पय

बसुधा बीकानेर, जको जग जाहर जांणै।
सको इल़ा नम सेव, देव राजो देसांणै।
मगरै में महमाय, दाय कीधी दासोड़ी।
तूं राजै थल़राय, जेथ नवलख जुथ जोड़ी।
समरियां सदा आवै सगत, लाखी ओढण लोवड़ी।
दासोड़ी दास गिरधर दखै, मया रखै तूं मावड़ी।।1[…]
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बसुधा बीकानेर, जको जग जाहर जांणै।
सको इल़ा नम सेव, देव राजो देसांणै।
मगरै में महमाय, दाय कीधी दासोड़ी।
तूं राजै थल़राय, जेथ नवलख जुथ जोड़ी।
समरियां सदा आवै सगत, लाखी ओढण लोवड़ी।
दासोड़ी दास गिरधर दखै, मया रखै तूं मावड़ी।।1[…]
मो पर करो कृपा करनेल कृपानिधि, मात मेहाई ए।
मात मेहाई ए दयानिधि, मां महमाई ए।
मो पर करो कृपा करनेल कृपानिधि, मात मेहाई ए।। टेर।।
सुत कै और सहारो नांही, सुण सुरराई ए
एक तुंही आधार अंबिका, मां वरदाई ए
मो पर करो कृपा करनेल कृपानिधि, मात मेहाई ए।। 01।।[…]
।।छंद – रोमकंद।।
दुसटी कल़ु घोर हुवो दुख देयण, रेणव जात सुमात रटी।
महि गांम सुवाप पिता धिन मेहज, पाप प्रजाल़ण तूं प्रगटी।
इल़ जात उजाल़ण पातव पाल़ण, बात धरा पर तो वरणी।
धिन लोहड़याल़िय लाल धजाल़िय, तूं रखवाल़िय संत तणी।।1
प्रजपाल़ तुंही सरणाणिय पोखण, रोकण राड़ बिगाड़ रसा।
सबल़ापण हाकड़ धाकड़ सोखण, जोगण काज बखांण जसा।
जुध मांय अरी सिर वीजड़ झोखण, हेकण हाथ जमात हणी।
धिन लोहड़याल़िय लाल धजाल़िय, तूं रखवाल़िय संत तणी।।2[…]
।।छंद – रेंणकी।।
हरणी हर कष्ट समरियां हर दिन, करणी तूं हर काज करी।
सरणी नर रटै सबर रख, सांप्रत, खबर जैण री जबर खरी।
झरणी नित नेह बाळकां, जरणी, वरणी जस इळ बीसहथी।
तरणी कळु नीर डूबती, तारण, भीर करै मा भगवती।।१
फसियो इळ पाप बहू विध फंदन, बंधन कितरा है ज वळै।
विसर्यो पड़ दोख तिहाळो वंदन, भाळो मंदन बुद्ध भळै।
इम आप तणो अवलंब, ईसरी, जाप नेम री नह जुगती।
तरणी कळु नीर डूबती, तारण, भीर करै मा भगवती।।२[…]
।।छप्पय।।
पोखर मथुरापुरी, सेत बंधण रामेसर।
कर बदरी केदार, अधिक आबू अचलेसर।
पापां गमण प्रयाग, गया गंगा गोमती।
मुकतिदेण सुरमात, सकल महिमा सुरसत्ती।
कुरूक्षेत्र नाथ कासी सकल,
जात घणा जुग जीविया।
करनला आप दरसण कियां,
कवि केता तीरथ किया।।[…]
।।आर्य्या छन्द।।
पुरूष प्रराण प्रकती, पार न पावंत शेष गणपती।
श्रीकरनी जयति सकत्ती, गिरा गो अतीत तो गत्ती।।1।।
।।छप्पय छन्द।।
ओऊंकार अपार, पार जिणरो कुण पावै।
आदि मध्य अवसाण, थकां पिंडा नंह थावै।
निरालम्ब निरलेप, जगतगुरू अन्तरजामी।
रूप रेख बिण राम, नाम जिणरो घणनामी।
सच्चिदानन्द व्यापक सरब,
इच्छा तिण में ऊपजै।
जगदम्ब सकति त्रिसकति जिका,
ब्रह्म प्रकृति माया बजै।।2।।[…]
।।दोहा।।
मंयकअंक पख मांगसिर, सिध्दियोग शनिवार।
कृष्ण पक्ष की चौथ कौ, ले देव्यां घण लार।।
।।चिरजा।।
जंग नृप जैत जिताबा, लागी असवारी लोवड़ वाऴ री।।टेर।।
शोभित आप शक्ति संग केती,
(अरू) जो जोगण जगमांय।
आसव लेण बेर हिय आंरै,
ना कारो मुख नांय।।1।।[…]
।।छप्पय।।
सुक्रम रुपां शुध्ध, तत्व रुपां जग तारण।
सद रुपां साख्यात, मोद रुपां दुःख मारण।
विद रुपां चंडीका विस्व रुपां जग वंदत।
निगम सरुपां नित्त, ईश सेवक आणंदत।
सोहत त्रगुण रुपां सदा, जय रुपां खळ जारणी।
ईश्वरी शिवा रुपां अकळ, करणी मंगळ कारणी।।1।।[…]
।।छंद – त्रिभंगी।।
जय जय जग जरणी भव भय हरणी खळ दळ दरणी खग धरणी।
भू जळ खेचरणी पय निझरणी शंकर घरणी चख अरणी।
सेवक कज सरणी किरपा करणी मात प्रसरणी भुज लंबा।
तारण भव तरणी वेदां वरणी जय जग जरणी जगदंबा।
जिय जय मां करणी जगदंबा।।1।।[…]
लाठी लोवड़ियाल़ री, काठी जिणरी मार।
लागै पण लाधै नहीं, वीसहथी रो वार।।
पग पग पातक पेखियौ, जगै जगै पर झूठ।
इण सूं धर जांगल़धणी, अंब अराधूं ऊठ।।
करनी! जरणी धरणि री, तरणी करणी पार।
दुखहरणी बरणी इहग, सुख करणी संसार।।
खेंचरनी भुचरनी मां, दलणी दुष्ट हजार।
करनी बरनी मुकुटमणि, सरणी-अशरण-सार।।[…]