रंग रे दोहा रंग – जोगमाया को रंग

शक्ति की भक्ति का पर्व चैत्र नवरात्र अपने चरमपर है। और अभी अभी ही फागुन और बसंत बीता है। लगता है फागुन के पलाश का रंग हमारे तन मन से अभी उतरने का नाम ही नहीं ले रहा है। जैसा कि पहले ही बता चुका हूं। राजस्थानी दोहा साहित्य में रंग के दोहों की एक भव्य परंपरा रही है। यह परंपरा आज भी आप किसी सुदूर थली थार के रेगिस्तान में गांव, चौपाल, ढाणी आदि के सुबह सुबह के मेल मिलाप (रेयाण)आदि में आप को ढूंढने पर जरूर दिखाई पडेगी।[…]

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चिरजा – देशनोक दर्शन की आकांक्षा पुर्ती की – हिंगऴाजदानजी जागावत

।।चिरजा।।
करो जगदम्ब मोहि काबो,
हुवै नां दूर सूं आबो।।टेर।।

पङछायां पङियो रहूं, मन रहे मूरति मांय।
फिरूं फलांगां जा पङूं, छतरां हंदी छांय।।
कहै कुण मोद को माबो।।1।।

खेल करूं कदमां खनै, खटब्यंजन खांऊतीस।
कबुक होय बैठूं खुशी, सजनां हंदै सीस।।
सूरत को होत सरसाबो।।2।।[…]

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गीत देसाणराय करनीजी रो

गीत – चित इलोल़

मुरधरा सोयाप मोटो, सांसणां सिरताज।
मेह रै घर जनम माता, हरस नै हिंगल़ाज।
तो हिंगल़ाज जी हिंगल़ाज हितवां रीझणी हिंगल़ाज।।1

कोम किनियां भोम कीरत, मंडणी महमाय।
उदर देवल धिनो आढी, प्रगट जामण पाय।
तो सुररायजी सुरराय, सोरम सुजस री सुरराय।।2

भाल़ निज री तात भगनी, साच उलटी सीख।
ताण पापण कियो तारां, ठोलियो सिर ठीक।
तो नजदीकजी नजदीक निष्ठुर भाव रै नजदीक।।3[…]

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करणी मां रो आवाहण गीत – जंवाहरजी किनिया सुवाप

किनी किम जेज इती किनीयांणी,धणियांणी नंह और धणी।
खाती आव रमंती खेला,वेळा अबखी आण बणी॥1॥
अवलंब नहिं आप विण अंबा,जगदंबा किणनै कहुं जाय।
म्हारै जोर आपरो मोटो,धाबळवाळ सुणें झट धाय॥2॥
सात दीप हिंगळाज शगत्ति,मनरंगथळ धिन माता।
सांभळ अरज कहै इम सुकवि, खेड पधारो खाता॥3॥[…]

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करनी बिन कुण मदत करे!

करनी बिन कुण मदत करै।।टेर।।

कल़जुग राह कठण हुई कटणी
डग मन धरत डरै
थल़वट राय भरोसै थारै
तरणी दास तरै।।१
करनी बिन कुण मदत करै।।[…]

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श्री करणी रक्षा कवच – कविराजा बाँकीदास आसिया

ऊंडे पाणी नदियां उतरतां, झड़ मंडियां खग झाटां।
शक्ति करजे सहाय सेवगां, बहतां घाटां बाटां।।
मेवाशा मांझल ठग मिलियां, नाहर आयां नैड़ा।
कुशल आपरा राखे करणी, बहतां सायर बैडा।।
बैरी बिषधर सरप निवारै, बल़ती लाय बुझावै।
लोहड़याल तणां भुज लंबा, आंच न दासां आवै।।[…]

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किनियाणी करनल्ल!!

पाप हरण जग जणण पुनि, दरण दूठ दाकल्ल।
करण काज दुख काटणी, किनियाणी करनल्ल!!1
धिन जंगल राखी धरा, सात्रव सारा सल्ल।
मंगल़ करणी मावडी, किनियाणी करनल्ल!!2
अहर निसा रख महर इम, गहर रखी धर गल्ल।
आवै हेलै आध सूं, किनियाणी करनल्ल!!3
परी करै पातक सबै, हरि चढ आवै हल्ल।
धरि आपरां ध्यान धुर, किनियाणी करनल्ल!!4[…]

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मुरधर नगर मथाण

पहर एक परभात रा, अमर रुकूंली आण।
पण पूरै परमेसरी, मुरधर नगर मथाण।।1
आई राखै आजतक, मह वचनां रो माण।
पहर राजै प्रभात री मुरधर नगर मथाण।।2
मोटो कीधो मेहजा, पात परै रख पाण।
इल़ साखी अमरेस री, मुरधर नगर मथाण।।3
चाखड़ियां निज चावसूं, जगतँब राखी जाण।
साजै ज्यांरी सेवना, मुरधर नगर मथाण।।4[…]

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परिचय: राजकवि खेतदान दोलाजी मीसण – प्रेषित: आवड़दान ऊमदान मीसण

चारण समाज में ऐसे कई नामी अनामी कवि, साहित्यकार तथा विभिन्न कलाओं के पारंगत महापुरुष हुए हैं जो अपने अथक परिश्रम और लगन के कारण विधा के पारंगत हुए लेकिन विपरीत संजोगो से उनके साहित्य और कला का प्रसार न हो पाने के कारण उन्हें जनमानस में उनकी काबिलियत के अनुरूप स्थान नहीं मिल पाया। अगर उनकी काव्य कला को समाज में पहुचने का संयोग बेठता तो वे आज काफी लोकप्रिय होते।

उनमे से एक खेतदान दोलाजी मीसण एक धुरंधर काव्य सृजक एवं विद्वान हो गए है।[…]

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गीत जोरावरपुरा माताजी रो

डीडवाना के पास एक गाँव है जोरावरपुरा। अमरावत बारठों का गाँव है। वहां के चमत्कारी करनी मंदिर के दर्शन करके मां के चरणों में एक गीत निवेदन –

।।गीत साणौर।।
करै खास अरदास सब दास सुण करनला
आस कर आपरै द्वार आया।
मन्न में जास विश्वास अत मावड़ी
देविका रखाजे परम दाया।।
बळू तू कळू में रहीजे बीसहथ
चळूनद सोखणी मात चंडी।[…]

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