आशापुरा देवी महिमा – ईशरदास जी

।।छंद भुजंगी।।
नमो ओम रूपा नमो ईष्ट यंत्रा।
नमो मेदनी थाट साकार मंत्रा।।
नमो योग विद्या धरेणं अथागा।
भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।

श्री यंत्रा श्री यंत्रा श्री यंत्रा श्री यंत्रा।
जपो जोग जोगी तणी रूप जंत्रा।।
नमो रिंह हिृमा किल्मस रागा।
भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।[…]

» Read more

श्री जगदंबा मानसर तट रास विलास – कवि देवीदानजी (बाबिया कच्छ)

सेंग माताजीयां रा भेळा हुय रास रमण रा छंद।

।।दूहो।।
एक समै जगमात जय, उर अति धरे उमंग।
निरत करत तट मानसर, राजत पट नवरंग।।1।।
।।छंद – रेणंकी।।
राजत पट सधर नीलंबर अंबर, धर नवसत शिणगार धरे।
फरर पर थंभ धजा वर फरकत, झरर झरर प्रतिबिंब झरे।
लळ लळ उर हार गुलाब ज लळकत, सिर पर गजरा कुसुम सजै।
परघट धर सधर मानसर उपर, सकत सकळ मिळ रास सजैं।।1।।[…]

» Read more

આઈ સુંદર આઈ નો પ્રસંગ – પીંગળશીભાઇ.મેધાણંદભાઇ.ગઢવી

🌹🌹 આઇ સુંદરબાઇ માતાજી🌹🌹
🌹 દીકરી આઇ સતબાઇ માતાજી 🌹

અફીણના વાઢ જેવી સોરઠ ધરામાં ભાદર નદીના દખણાદા કાંઠા ઉપર ધૂળિયા ટીંબા માથે છત્રાવા નામનું ગામડું.આ ગામની સીમમાં ઉપરવાસના પ્રદેશમાંથી જમીનનો બધો રસક્સ ચોમાસાનો છેલપાણીના પ્રવાહ સાથે ઢસડાઇને અહીં ઠલવાય છે અને અહીંનો કાપ દરિયા ભેળો થાય છે.[…]

» Read more

चिरजा: बिड़द रख बीसहथी वरदाई

बिड़द रख बीसहथी वरदाई,सेवग दुख हर लीजे सुरराई।

खल को खंडन कर खलखंडनि, मेछां उधम मचाई।
संतन के मन गहरो सांसो, पुनि-पुनि-पुनि पछताई।।1।।

खल संग निर्मल होय सफल कब, अंत मिलत अफलाई।
दुष्ट दलन कर हे दाढाळी, एक आसरो आई।।2।।[…]

» Read more

गीत सूंधा माता रो – दल़पत बारठ

स्वंय पिडं ब्रहमंड भुज डंड ईकवु सस,
दयतां डंड प्रचण्ड दाता।
सकल़ विहमंड चंड कुण कर सकै,
मंड ज्यां मंडी चामण्ड माता।।
आठ सिध थापणी थाल़ आसाएवां,
आपणी माल नवनिध अनूंधा।
रिधव रूक दे मूंघा न व्है रायहर,
सकत सूंधा तणी राय सूंधा।।[…]

» Read more

आखर दे मुझ मात अमामी

।।छंद।।
वरदा रूप कवि मुख वाणी।
जुगत उगत सगल़ै जग जाणी।
अनड़ां शिखर तुंही उमँगाणी।
छिती तरां पत छाया छाणी।।

आखर दे मुझ मात अमामी।
सहज समापै सदबुद्ध सामी।
भगवती त्रिलोक ही भामी।
निरमल़ सुजस पढै जग नामी।।[…]

» Read more

देवां दातारां जूझारां-धुप दीप करते वक्त बोलने की स्तुति-हमीरदान जी रतनू

गीत – सपाखरो
देवां दातारां जूझारां चारां वेदां अवतारां दशां,
धरां हरां ग्यारां रवि बारां चारां धांम।।
सतियां जतियां सारां सुरां पुरां रिषेसरां,
पीरां पैगम्बरां सिद्ध साधकां प्रणाम।।१।।

नवां नाथां नवां ग्रहां नवसो नवाणुं नदी,
नखत्रां नवेही लाखां भाखां नवे निद्ध।।
पर्वतां आठ कुळां वसु आठ वंदां पाव,
साठ आठ तिरथां समेतां आठ सिद्ध।।२।।

» Read more

की फिर पाजी हाण करै

।।गीत-सोहणो।।
राखै ज्यां सीस हाथ तूं राजी,
की फिर पाजी हाण करै।
अरियां परै खीज अगराजी,
सनमुख माजी काज सरै।।1
आसा सदा पूरणी आई,
धुर विसवासा अडग धरै।
काली भाषा समझ कृपाल़ी,
भाव हुलासा तुंही भरै।।2[…]

» Read more

सिंझ्या वेळा री माताजी री स्तुति – कवि देवीदानजी खिडीया धामाय कच्छ

॥छंद: मोतीदाम॥
बजे वर मंदिर मैं डफ डाक।
हुवे तित धूपन की धमछाक।
झनंकत झांझ मृदंग बजंत।
घणारव मंदिर घंट बजंत॥1॥
गजे घन आरतीकी घनघोर।
बजै बहु जोरसौ नौबत शोर।
जुरै तित जोगिनी जुथ्थ हजार।
रचे वर मंडल रास अपार॥2॥[…]

» Read more

सूरमदे सुजस

।।गीत-प्रहास साणोर।।
धिनो गोर आलोत रै प्रगट भांडू धरा,
चाढणी सरासर सुजल़ चंडी।
बराबर दिपै तूं हेमजा बीसहथ,
मुरधरा रोहड़ां जात मंडी।।10

सईकै चबदमै इकावन साल सुध,
मही धिन आलरी पवित मांडू।
सूरमदे नाम जन जाणियो सांपरत,
भवा तन धारियो आय भांडू।।11[…]

» Read more
1 3 4 5 6 7 11