परतख प्रेरणा-पुंज : आपणी लोकदेवियां 

किणी देस-समाज री पूरी अर परतख पिछाण उणरी संस्कृति सूं इज हुवै। संस्कृति रो मूळ संस्कार हुवै। संस्कारां रै सिगै ई किणी मिनख, समाज अर देस री रीत-नीत, माण-मरजादा, लेण-देण, आचार-विचार आद रो ठाह लागै। भारतीय संस्कृति मांय मिनख रै जलम सूं लेय छेहलै पड़ाव ताणी जीवण री जुगत सिखावण सारू संस्कारां, मान्यतावां, रीत-रिवाजां अर कमनीय कल्पनावां री भरमार है। इण संस्कृति मांय कांई है, इणरै साथ कांई व्हेणो चाईजै, इणरी बात पुरजोर ढंग सूं करीजी है। मिनख नैं पग-पग माथै उत्तम जीवण जीणै री प्रेरणा देवण सारू आपणी संस्कृति मांय देवी-देवता, संत-ओलियां, पीर-भोमियां, सूरां-जुझारां रै उल्लेखणजोग अर अनुकरणजोग जीवण […]

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आई अरदास रा कवत्त/छप्पय

।।कवत्त/छप्पय।।
हुई भीर हिंगल़ाज, जाझ जग तारण जरणी।
सदा केहरी साज, काज संतन रा करणी।
आरत सांभ अवाज, राज वाहर नित बैणी।
नमो गरीब नवाज, लाज रखण पख लैणी।
सगतियां तणी सिरताज तूं, सदा सहायक सेवियां।
उर दाझ मेट सुख आपणी, कर दल़ पासै केवियां।।1 […]

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खूबड़ी री ख्यात

।।छंद गयामालती।।
मात धिन घर जनम माधै, हरस तन हिंगल़ाज रो।
इल़ साख सऊवां करण ऊजल़ रूप कूबड़ राजरो।
हेतवां हांण विघनांण हारण तांण होफर ताकड़ी।
जय मात खूबड़ जगत जाहर सगत वाहर सरवड़ी।।6 […]

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माताजी का छंद – कवि जय सिंह जी सिंढायच (मंदा)

!!छन्द: अर्ध-नाराच!!
नमामी मेह नन्दिनी! नमामी विश्व वन्दिनी!!
भुजा विशाल धारणी! दयाल दास तारणी!!1!!
क्रपानिधे क्रपालकम्! दयाल बाल पालकम्!!
विशाल बिन्द भालकम्! नयन्न नैह न्हालकम्!!2!!
न जाने भेद नारदम्! सदा जपन्त शारदम्!!
नमामि भक्त वच्छलम्! अनाद विर्द उज्ज्वलम्!!3!!

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बीसहथ रा सोरठा

आगल़ किण आईह, मन चिंता राखूं मुदै।
म्हारी महमाईह, बणजै मदती बीसहथ।।1
कुलल़ो अनै करूर, समै बहै संसार में।
जोगण आव जरूर, बण मदती तूं बीसहथ।।2
करनी तूं करसीह, मोड़ो इणविध मावड़ी।
सुकव्यां किम सरसीह, बिगड़्या कारज बीसहथ।।3

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जयो रंग करन्नल मात रमै – महाकवि मेहाजी वीठू झिणकली/खेड़ी

।।छंद -रोमकंद।।
वज भूंगल़ चंग मृदंग वल़ोबल डाक त्रंबाक वजै डमरू।
सहनाइय मादल़ भेर वखाणस संख सो झाल़र वीण सरू।
उपवै तन वाजत भाँत अनोअन पार अपार न कोय प्रमै
दुति गात प्रकासत रात चवद्दस रंग करन्नल मात रमै। […]

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छँद देवल रो – कविराज जुँझारदान जी दैथा ‘मीठड़िया’

🌹छँद रौमकँद🌹
सुरराय सदा अघ मेटण सॉप्रत पाय नमौ पह रीत पणॉ ।
रवराय देवी दुरगा वड राजत धाय दियायत खाय घणॉ ।।
सैवकॉ पर साय उपाय साधारण जौत धुबाय तुँ आय जिनूं ।
शगतॉ नवलाख झूलॉ विच शौभत दैवल राजत देव धिनूं ।।१।। […]

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मेघवाल़ होयो तो कांई ? म्है इण नैं भाई मानूं

माड़ रो माड़वो गाम जूनो सांसण। नैणसी, हमीर जगमालोत रो दियो लिखै तो उठै रा वासी उणस़ूं ई पुराणो मानै। इणी गांम में सोढैजी संढायच रै दो बेटा – अखोजी अर भलजी। भलजी स़ंढायच रै घरै मा वीरां री कूख सूं लोक पूज्य चारण देवी देवलजी रो जलम होयो – भलिया थारा भाग, देवल सरखी दीकरी। समदां लग सौभाग, परवरियो सारी प्रिथी।। देवलजीरी शादी ऊमरकोट रै गांम खारोड़ा रा देथा बापनजी साथै होई। यूं तो देवलजी रा घणा दिव्य चमत्कार अर लोकोपकारी काम चावा है, पण कमती लोग जाणता होसी कै आपां आज जिण दलित विमर्श अर दलितोत्थान री बातां […]

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🌹जय करनी जय शंकरनी🌹- कवि स्व. अजयदान जी रोहडिया

🌸दोहा🌸
जग करनी, हरनी जगत, जग भरनी जगदंब।
किनियांणी करनी नमो, काटनि क्लेश कदम्ब।। १
देत बुआ सिर डूचको, अंगुलिन भइ अनुरूप।
नाम करनी या तें दियौ, लख निज करनि अनूप।। २

🌸छंद रेणंकी🌸
बरनी नहि जाय विशद तव करनी, आदि शक्ति नति अघ हरनी।
हरनी मद मोह, कोह तम तरनी, युग युग अवतरनी धरनी।
धरनी कर त्रिशुल मुण्ड निर्जरनी, धूर्त धृष्ट जग वध करनी।
करनी जन कष्ट नष्ट कलि करनी, जय करनी!जय शंकरनी।। १[…]

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केसर भवानी वंदना

।।छंद त्रिभंगी।।
नाकां नथवाळी, कानां बाळी, मां मुकुटाळी कनकाळी।
सिंदूर कपाळी, कंकण वाळी, नेह निहाळी, नयणांळी।
कुम कुम सिर वाळी, लोवडियाळी, ललित लटाळी, रूप उमा।
मरतोली वाळी, लाल धजाळी, तूं ममताळी, चेहर मां।१

माता मतवाली, पीवै प्याली, बासण वाळी बिरदाळी।
डोकर डाढाळी, छिण वपु बाळी, जोबनवाळी, जोराळी।
पातक परजाल़ी, वदी वडाल़ी, नमो निराल़ी, निरमल मां।
मरतोली वाल़ी, लाल धजाल़ी, तूं ममताल़ी, चेहर मां।।२[…]

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