आऊवा रो मरण-महोछब!

साचाणी आ बात मनणजोग नीं है कै मरण रो ई कोई महोछब मनावै !! पण जद आपां राजस्थान रै मध्यकालीन इतिहास नै पढां तो आपां रै साम्हीं ऐड़ा अलेखूं दाखला सावचड़ूड़ आवै कै अठै पग-पग माथै मरण महोछब मनाईज्या हा। जिण गढां में शाका हुया, उठै रै उछब रो आजरा आपां काल़जै-पीतै बायरा या संवेदनाशून्य मिनख किणी पण रूप में कूंतो नीं कर सकां। धधकती झाल़ां में सोल़ै सिंणगार सज आपरो अंग अगन नै सूंपणो आपां री समझ में नासमझी हुय सकै पण जिणां री मा सेर सूंठ खाय थण चूंगाया या जिकै डोढ हाथ रो काल़जो राखता वै ई आ बात जाणता कै वै कितरै गीरबै रो काम कर’र आवणवाल़ी पीढ्यां रै सारू स्वाभिमान, कुलीनता अर गरिमा रो वट ऊगाय’र जा रह्या है।[…]

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रंग गंगा रै पाणी नैं! रंग ईसर री ढांणी नैं

इण धरा रै कण – कण में वीरता रा कणूका हा, आ बात चालै तो इण रै लारै केई बातां गिणाई जा सकै। अठै खींपां रै खोलड़ां में रैवण वाल़ा गढां सूं टकरां लेवण में आगै रैवता। आखड़ी झाली तो उणनैं फुरणां में वायरो फरुकियो जितै पाल़ण रो जतन करता।
ऐड़ो ई एक आखड़ीधारी वीर हो ईसर मोयल (मोहिल) सफा घर धणी। मारवाड़ रै बिदियाद गांम रो वासी। कनै फगत एक खेत री जागीर। उठै ई आपरी ढांणी जचाय रैवै। आखड़ी आ कै उणनैं गायां रै हरण रो ठाह लागज्या तो वो गायां पाछी लायां बिनां पाणी नीं पीवै। गायां भलांई कठै री होवो, किणरी होवो जे उण गायां नैं हरण कर्योड़ी देखली तो वाहर चढैलो ई।[…]

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अन्नदाता इणनैं ई राजपूत कैवो!

राजस्थानी रो ओ दूहो कितरो भावप्रवण अर वीरोचित्त भाव जगावणियो है-
कंथा कटारी आपरी, ऊभां पगां न देय।
रुदर झिकोल़ी भुय पड़ै, (पछै)भावै सोई लेय।।
इण दूहै नै आप माथै चरितार्थ करणियो मारवाड़ धरा रै गांम कसारी रो चांपावत जोरजी लोक रसना माथै चावो नाम।
बात यूं बणी कै महाराजा जसवंतसिंह (द्वितीय) रै दरबार में किणी विद्रोही राजपूत नैं बेड़़ियां सूं जकड़र सिपाही लाया। दरबार मोद करतां कैयो कै “ओ जसवंतसिंह रो राज है! लांठां -लांठां नैं पाधरा करदे। इणनैं कांई केड़ै तुरमखां नैं म्हारा सिपाही पकड़र ले आवै।”
जोरजी कनै ई ऊभा हा। उणां कैयो “हुकम! म्हनैं ओ राजपूत नीं लागै […]

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काल़जो काढ माधव कह्यो

कूंपां सूं कसियाह, हुरमां सूं हँसिया नहीं।
बिच कबरां बसियाह, मुगल बच्चा महराजवत।।
महावीर कूंपा री अदभुत वीरता विषयक कविवर मेहा वीठू रो ओ दूहो घणो चावो है। इणी कूंपा रै बेटै मांडण री वीरता सूं प्रभावित होय बादशाह अकबर आसोप ठिकाणो दियो। इणी मांडण री वंश परंपरा मे ठाकुर पृथ्वीसिंहजी होया। पृथ्वीसिंहजी महान वीर, स्वामीभक्त, अर विलक्षण व्यक्तित्व रा आदमी हा। एकर महाराजा जसवंतस़िह रै साथै पृथ्वीसिंह ई हा। बादशाह जाँहगीर रै एक पाल़तू सिंह हो।[…]

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सोम भाई सोम ! (भाटी सोमसी रतनावत एक ओल़खाण)

प्रकृति रो नियम है कै मोत किणी नैं ई नीं छोडै। भलांई वो कायर होवो भलांई वीर ! मरणो सबनै है पण किणी कवि केयो है कै कायर होवो भलांई वीर पण दोनां रो मरण तय। तोई फरक है, कायर मर धूड़ भैल़ो होवै पण सूर जस री देह में नवो जमारो धारण करै- सूर मरै कायर मरै, अंतर दोनूं ऐह। कायर मर माटी मिल़ै, धसै सूर जस देह।। ऐड़ै ई एक जसधारी री ओल़खाण देय रैयो हूं, जिणरी ओल़खाण आज इतिहास री गरद में दबगी। पण जैड़ो कै कैयो गयो है कै “कवि की जबान पे चढै सो नर […]

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लाख़ा जमर रौ जस – स्व श्री भंवर दान झणकली कृत

किरनाल़ कुल़ रौ कलंक राजा,कंश बनकर कौफीयौ।
निकलंक गढ़ जौधाण़ रौ नव कुंगरौ नीचौ कीयौ।
माॉघण़ा छौड़ौ दैश मुड़धर, हुकम घरघर हाल़ीया ।
धनवाद चारण़ जात उण दिन लाख जीवण जालिय़ा ।[…]

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छत्रिय मित्र रो वैर लेवणियो चारण कवि कान्हा आढा

सांई दीन दरवेस सही ई लिखियो है कै मित्र ई करणो है तो चारण नै करणो चाहीजै क्यूंकै वो ई जीवतै नै अर मरियां पछै ई समरूप सूं चितारै – मित्र कीजै चारणां, बाकी आल़ पँपाऱ। जीवतड़ां जस गायसी, मूवां लडावणहार।। इण बातरी सार्थकता सिद्ध करणिया घणा ई किस्सा है। ऐड़ो ई एक किस्सो है कविवर कान्है आढै रो। बीकानेर राव जैतसी रो समकालीन कवि कान्हो इणी रियासत रै गांव भालेरी रो वासी हो। मोटो अमल रो बंधाणी। एक सेर अमल रो मावो थित रो। कम आमदनी रो गांव अर इतरो नसो सो पार पड़णी दोरी। कणै किणी ठाकर रै तो कणै […]

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मतीरै री राड़, रोकण रै जतन में जूझणियो कवि चांदो बारठ

ईंदोकली (नागौर) गांव आपरी साहित्यिक अर सांस्कृतिक चेतना रै पाण चावो रैयो है। इण गांव में एक सूं बधर एक कवि अर सूरमा होया जिणां चारणाचार नै मंडित कियो अर जगत में सुजस लियो। बारठ अखैजी रै वंशजां रै इण गांव में आंकधारी जनमिया जिणां आपरी बांक नै कायम राखी। रणांगण में जूझण री इण घराणै री आदू ओल़ रैयी है।सिहड़दे सांखलै रै साथै रूण री राड़ में अलाऊदीन रै खिलाफ वीरगति वरणियो सांढल, आऊवै रै धरणै में चारणां री कीरत निकलंक राखणिया बारठ अखोजी, च़ंद्रसैण रै साथै जूझणियो बारठ भल्लण अर वीर रतनसी जैड़ै सपूतां री कड़ी में ई […]

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ओऱंगजेब रै अत्याचारां रै खिलाफ अड़णियो महावीर नरु सौदा

राजपूती शौर्य री प्रतीक रूपनगढ री राजकुंवरी आपरै जातिय गौरव नै अखंडित राखण अर स्त्री स्वाभिमान नै मंडित करण सारू ओरंगजेब रै आतंक सूं नी डरर निशंक उणनै वरण सूं मना कर दियो। उणनै उण बगत आखै रजवाड़ां में एक मात्र आशा रो दीप दीखतो हो, बो हो उदयपुर महाराणा राजसिंह। जिण भांत रुकमणी, किसन नै संदेशो मेलर परणण खातर कैवायो उणी गत इण वीरांगना रजवट नै निकलंक राखण खातर राणै राजसिंह नै स़देशो पूगायो। एकर तो राणो ई ओरंग रै बोहरंगै पणै सूं संकियो पण उणनै पूर्वजां री गीरबैजोग परंपरा याद आई। उणां आई सोची कै एक राजपूत बाल़ा […]

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गोगा गुणमाळा

।।छंद रेंणकी।।
आयो दळ उरड़ गजन रो इळ पर, मुरड़ दूठ हिंदवाण मही।
जबरा जोधार राखिया झुरड़ै, सबळ कितां नै दुरड़ सही।
कितरां नै मुरड़ खायग्यो किलमो, चुरड़ पीयग्यो रगत चठै
भारत रो रिछक गोग भड़ भिड़ियो, जंग छिड़ियो जिणवार जठै।।1[…]

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