गीत जैसलमेर रो

माड अर्थात जैसलमेर रो पुराणो नाम। इणी माड रै पावन मगरियां माथै लोकदेवी आवड़ रास रमी अर दुष्टां रो दमन कियो।इणी धरा माथै महाभड़ भोजराज भाटी होयो जिण री वीरता वंदनाजोग। उण रो विरद “आडा किंवाड़ उतराद रा भाटी झेलण भार।” इणी धरा रो सपूत महावीर सालिवाहण होयो जिण कवि श्रेष्ठ बांझराज रतनू नैं इक्कीस गांवां सूं सिरुवो दियो। इणी भोम रो महाभड़ दूदा होयो जिणरै विषय में आ बात चावी है कै कविवर्य हूंफै रै सतोला शब्द सुण र कटियै माथै कवि नै दाद देय कविता री कूंत करी। इण धरा रा सपूत रतनसिंह, मूल़राज राजपूती शौर्य रा प्रतीक […]

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आवड़ आराधना रो गीत

।।गीत त्रिकुटबंध।।
अनुपम्म तन धिन आवड़ा,
महि अवतरी घर मामड़ा,
भावड़ा सुधमन देख भगती, सगत रूपां सात।
जयो सगत जूनी जोगणी,
भल जगत ख्यातां तो भणी
विपत मचियण पात वचियण।
गुणण रचियण गीत गुणियण।
जणण जपियण सयल़ जण जण।
करत कवियण साद सुणियण।
संकट भंजियण बहै सचियण।
सजण आसण सिघ सोहण।
चढण जोगण चसण चखियण।
करण अरियण कोप कण कण। हितू सिर रख हाथ।। १[…]

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गज़लें : वैतालिक कृत

म्है खत थांनै आज लिखूं सा।
मत व्हैजो नाराज लिखूं सा।
कदे शिकायत थें मत कीजो,
घणै मान सूं राज लिखूं सा।
थांरी सूरत रा हेताळू,
अजब गजब अंदाज लिखूं सा।
मन री बातां खोल बतासूं
खरा ज आखर आज, लिखूं सा।[…]

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क्रां काळी मां काळिका

क्रां काळी मां काळिका, गळ नर मुंडां माळ।
बाळक नें मत बीसरै, रहजै थूं रखवाळ॥1

काळी खपराळी कथी, खेंगाळी खळ खाण।
क्रां क्रीं क्रूं बीजाक्षरी, माता बसै मसाण॥2

क्रां काळी विकराळ मुख, खळां खपावण वाळ।
लप लप लपकारा करै, जीभ अगन री ज्वाळ॥3 […]

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रे दीपक री दीकरी

दीपक! तौ दुशमन तिमिर, छुपियौ थारे हेठ।
कह कीकर करसी सखा, उणरो थूं आखेट॥1

देखै अंधड दीवला, मत पडजै थूं मंद।
तम हर नित तव तेज सूं, अर जग दे आणंद॥2

रे दीपक री दीकरी, जळ हळ जळ हळ जोत।
थारी ऊजळ किरण सूं, चारु चांदणौ होत॥3 […]

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कूंची फैंक समंद

सुरमे ज्यूं रखजै सखी, आंख्या माँही आँज।
पछै पलक कर बंद अर, रख घुंघट पट मांझ॥1

नैण कोटडी मौ छुपा, द्वार पलक कर बंद।
अवगुण्ठन ताळां जडै, कूंची फैक समंद॥2

केस रैण जिम काजळी, तारक जिम बनफूल।
आनन शशि अनूप लख, जाऊं सुधबुध भूल॥3 […]

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कवि श्रेष्ठ केशरोजी खिड़िया

स्वामी भक्ति, देश भक्ति व संस्कृति रा सबल़ रुखाल़ा कविवर चानणजी खिड़िया चारण गौरव पुरुष अर जाति रत्न रै रूप मे जग चावा रैया है। जद चित्तौड़ रै किले मे सिसोदियां धोखै सूं वीर पुरुष राव रिड़मल (मंडोर )नै मार र आ घोषणा कराय दी कै कोई आदमी रिड़मल रो दाह संस्कार नी करेला। उण बगत चानणजी चित्तौड़ रै कानी मिली जागीर कपासण मे रैवता। उणां नै आ ठाह लागी कै राव रिड़मल रै साथै विश्वासघात होयग्यो अर अबै उणरी देह री दुरगत होय रैयी है तो वै उठै आया अर रिड़मल री चिता बणाय दाग दियो। कैयो जावै कै […]

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ऐसा छोड़ने वाला नहीं मिलेगा

महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण जितने महान कवि थे उतना ही तेज उनका मिजाज था, झट से बिगड़ जाता था। राजकुमार भीमसिंह की बारात में बांसवाडा गए वहां बूंदी के आमात्य बोहरा रतनलाल की किसी बात पर नाराज़ हो गए और तुरंत वहां से प्रस्थान  का मन बनाया। राजा रामसिंह ने मना किया मगर रूठ कर रवाना हो गए। जब रास्ते में रतलाम के राजा बलवंत सिंह ने यह सुना कि सूर्यमल्ल लौट रहे हैं तो उन्होंने पांच मील की दूरी तक सामने आकर महाकवि की अगुवाई की। मीसण को पुरी मान मनोव्वल के साथ राजा रतलाम लाये और बड़े सत्कारपूर्वक अपने […]

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एक अतुकांत कवियत्री को

छंद बंद को छोड कर, मन के अंतरद्वंद।
लिखते हो कितने सरल, सुंदर काव्य निबंध॥1

लिए सहज कर तूलिका, और मिलाकर रंग।
मन माफिक चित्रित सरस, करते भाव प्रसंग॥2

कविता कलकल आपकी, लय की लिए न लीक।
भावों से चित को हरै, सुन्दर, सरस, सटीक॥3 […]

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दुआ

दुआ मुझे तुमने छुआ, हुआ तभी खुशहाल।
वरना नरपत का सखी, बहुत बुरा था हाल॥1

दुआ आप मुझको मिली, खिली तभी मन डाल।
पंछी फिर आने लगै, इस सुखै मरु- ताल॥2

दुआ दुःखी मन की दवा, दुआ हरे सब पीर ।
दुआ काज सब भटकते, खोजत संत फकीर॥3 […]

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