गीत भेरू जी रो – जगमाल सिंह “ज्वाला”
।।गीत सावझड़ो।।
मिणधर हाजर होय मुछाळा।
पत राखण आवे प्रतपाळा।
चंडी संग सदा चिर ताळा।
गजब दौड़ जे गोरा काळा।1।
श्वान सवारी आसन ढाळो।
टेरु तमे विघन मोय टाळो।
रेवे मात रु सदा रुखा ळो।
भगत पुकारे सामो भाळो।2। […]