🌹श्रीब्रह्मानंदमंगलस्तवनम्🌹- श्री कृष्णवल्लभाचार्य कृत

शार्दूलविक्रीडीतवृत्तम्
य: षड्भावविवर्जिताङक्षरपदस्थानादिमुक्त:स्वयं|
स्वेष्टाङ्ज्ञावशवर्तनाङप्तनृजनि सच्चारणज्ञातिक:|
सिद्धार्थ:सुरकोटिगो मतिमतां मूर्धन्य ईष्टव्रती|
आजीवाङदृतनैष्ठिको विजयते श्रीलाडुसंज्ञ:कवि:||१

» Read more

वाह घोडा वाह – कवि दुला भाया “काग”

गीत सपाखरू
छूटा ग्राहबे वोम बछूटा रोकता धराका छेडा
उठाहबे पागा महि शोभता अथोग
धाहबे खगेश तके वेगरा अथाह धख्या
साहबे नाखता पागा नटव्वा अमोध (1)

डाबला मांडतां धरा धमंके साबधी दणी
झमंके साजहीं कोटे रंभरा झकोळ
चमके वाहसे जाणी वीजळी जालदा चळी
भ्रम्मवाळा भारे ठाळा गतिवाळा मोर (2) […]

» Read more

शंभु स्तवन

।।छंद – भुजंगी।।
नमो वास कैल़ास ऐवास बाबो।
गुढै गात पे धारबा नाय गाभो।
जुड़ै ऐहड़ी बोहल़ी वा जमातं।
नमो शंभु नाथं नमो शंभुनाथं।।१[…]

» Read more

धरंत ध्यान आपको – गिरधारी दान रामपुरिया

।।छंद नाराच।।
धरंत ध्यान आपको, अणंद भाव आवतो।
नमंत नाम नेम सूं, जपंत रोग जावतो।।
करंत याद कीरती, मिटंत दोस मावड़ी।
करो सहाय आप आय, धाय बेल धावड़ी।।[…]

» Read more

शिव स्तुति – पन्नारामजी मोतीसर जुढिया कृत

छंद नाराच
करूं प्रणाम जोग धाम संग धाम गो सिरं।
भुजंग दाम कंठ ताम रक्त नाम लेररं।
महान थान छै अकाम मुक्ति ग्राम मगलं
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। १

नगन्न अंग सीस गंग धूत रंग धारणी।
अफीम भंग बीज चंग पान रंग पारणी।
मतंग चाल पे विराज साज ध्यान निस्चलं।।
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। २ […]

» Read more

खून रै रिस्तै सूं बतो संबंधां रो विश्वास

जद खून रो रिस्तो अन्याय माथै उतर आवै। नीति मग छोड देवै। उण बगत हार्यै नैं हरि नाम ई याद आवै या ऐड़ै रिस्तां री चितार करै जठै रिस्तो तो होवै पण पीढ्यां नीं पड़ै। ऐड़ो ई एक किस्सो आप री निजर कर रैयो हूं। बधाऊड़ो रतनूवां रो गांव। उठै रतनू मयाराम रैवै। उणां रै एक डीकरो होयो जिण रो नाम शंकरदान। जद उणां री जोड़ायत चालता रैया। दिन बीतां उणां पाछो ब्याव कियो। मोई मा केई दिनां तो दिखावो करती शंकरदान रो मन राखियो पण पछै आपरो असली रूप दिखाय शंकर नैं यातनावां देवणी शुरु कर दीनी। कीं वरस […]

» Read more

महादेव महिमा

।।गीत – प्रहास साणोर।।
जय जारियो गरल़ नै जगत हित जटेसर।
नटेसर सरल़ धर रूप नामी।।
खल़ां कर रूठियां त्रिशूल़ां खयंकर।
भोल़िया भयंकर नाथ भामी।।१।।

खल़कती गंग नै जटा मे खपाई।
भंग मे हुवो मद मस्त भारी।।
क्रोध मुर लोयणां सहै कुण कोपियां।
थहै कुण रीझियां पार थारी।।२।।[…]

» Read more
1 4 5 6 7 8