बिरवडी वंदना

🌹छंद त्रिभंगी🌹
वरदानी वाहर, जोगण जाहर, पूजित हरि हर, अर ब्रह्मा।
नित प्रत चढ नाहर, बैठी भाखर, सुर नर किन्नर, करे खमा।
सुख करूणा सागर, रीझ अमां पर, भाव ह्रदय भर, निरमल मां
बिरवड बिरदाली़, रखौ रूखाल़ी, वीस भुजाली, वंदन मां।। १ […]

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माया पंचक

कोउ करत उपवास, कोउ अन खात अलूणा|
कोउ खात फल कंद, कोउ बोलत कोउ मूना|
कोउ ठाडे तप करत, कोउ ऊंधै सिर झूलत|
मन क्रत कूं सत मान, मोख मारग से भूलत|
वासना ह्रदय त्यागे बिना, विफल करत बनवास है|
कहै ब्रह्ममुनि हरि प्रगट बिन, सब माया के दास है||१ […]

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नमो करनला निहालै निजर नित नेहरी

गीत -प्रहास साणोर
नमो करनला निहाल़ै निजर नित नेहरी
बगत मा ऐहरी राख बातां।
शरम तो भुजां मुझ गेहरी शंकरी
आण मत मेहरी देर आतां।।1
सेवगां आपरां काज अग सारिया
तारिया बूडतां समंद ताणै।
जोरबल़ राकसां किता दल़ जारिया
जगत में धारिया रूप जाणै।।2[…]

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खट भाषा काव्य प्रबीन सागर से

नायिका कलाप्रबीन नायक रससागर के बिरह में बीमार हो गई है। उस का पता नायिका की सखियों को चलता है। दूर दूर से कलाप्रबीन का कुशल क्षेम पुछने के लिए आती है। हर एक सखी अपनी भाषा में उससे उसकी तबियत का हाल पूछती है। गुजरात से आयी सखी गुजराती में, कच्छी सहेली कच्छी भाषा में, महाराष्ट्रीयन सखी मराठी में, मारवाड से आयी सखी ठेठ मारवाडी में, अरबस्तान से आयी सहेली उर्दू में, और बनारस से पधारी ब्राह्मण सहेली संस्कृत में उसकी तबियत का हाल पूछती है। तो आप भी इसका लुत्फ उठाएं।[…]

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गडरा

बाड़मेर जिले का सीमांत गांव गडरा, जो कि न केवल हमारे देश की सीमा पर स्थित सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि इसका इतिहास भी मातृत्व, वीरता युक्त शान्ति और सह-अस्तित्व की भावना के कारण आज भी सुप्रसिद्ध हैं। वर्तमान में गडरा रोड़ भारत में हैं, जबकि गडरा सीटी पाकिस्तान में स्थित हैं जो कि आजादी से पहले एक ही हुआ करता था। इसका उल्लेख कुछ इस तरह मिलता हैं कि किसी समय में यहाँ घना जंगल था जिसमें भयंकर जंगली और विषेले जानवर रहते थे। जंगल के आस पास ढाणियों में रहने वाले लोग भेड़-बकरियाँ रखते थे। बताते हैं […]

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रंग धर मोखांराय रमै

मूंजासर रा बीठू नगराजजी रै नेम हो कै बै हर चानणी सातम रा जैसलमेर स्थित तेमड़ै थान दरसण करण जावता। नगराजजी प्रसिद्ध कवि बोहड़ बीठू रै भाई हरदानजी रा बेटा अर प्रसिद्ध कवि सूजा बीठू रा पिताजी हा। आखिर बूढापो आयो तो डोकरै नेम नीं छोडियो। छेवट डोकरी साक्षात दरसण दिया अर कैयो “बेटा हमें तूं आगै सूं अठै मत आई। हूं खुद थारै सागै हाल र उठै ई रैवूंली अर बो दूजो मोटो तेमड़ो बाजैला पण तूं जठै लारै जोवैला हूं उठै ई थंब जावूंली।”

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शिव वंदना प्रबीन सागर से

।।छंद त्रिभंगी।।
गिरिजा के स्वामी, अंतरजामी, निर्मल नामी, सुखकारी।
लाई रति अंगा, नाचत चंगा, धरी उमंगा, अति भारी।
सुख संपति दायक, पूजन लायक, भूतहि नायक, भयहारी।
तनु पें गजखाला, ओढ बिसाला, मुंडनमाला, गलहारी।।१[…]

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काली स्तवन-प्रबीन सागर से

महाकालिका मालिकामुंड धारा,
सबं श्रोन सीसं करं मुक्त बारा,
परं निर्भयं गाहिनी नग्गखग्गा,
ज्वलंती चिता में शवारूढ नग्गा,
महाकाल विप्रीत रत्ती रमस्ते,
नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते||१
महा विध्यया राजितं रक्त बंबा,
सधै जोग जोति अलौकिक अंबा,
त्रिनैनं सरोजं करं नील सज्जै, […]

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नरनारायण देव स्तुति

🌸छंद त्रिभंगी🌸
जय नाथ निरंजन,भव दुख भंजन,जन मन रंजन,जग त्राता|
जय काम निकंदन,वर सुर वंदन,धर्म सुनंदन,दो भ्राता|
जय महितल मंडन,खल बल खंडन,विषय विखंडन,बनवासी|
जय स्हायक संतन,काल निक्रंतन,आद न अंतन ,अविनासी||१ […]

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जगमाल के सवैया

मित्र जगमाल सिंह बालुदान जी सुरताणिया को संबोधित संबोधन काव्य

पल़ बीत रही पल ही पल में अब आल़स चारण तू तजरे|
मत सोच करे मन में सुण बांधव है मथ हेक रदं गज रे।
प्रिय मोदक ,पुत्र शिवा ,वरदायक तू गण नायक नें भजरे|
जगमाल !सहायक मूषक वाहक,चारभुजायक तौ कज रे||१ […]

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