कविता की ताकत

मोरबी जहाँ से मैने इंजनीयरिंग करी थी उस पर बनाई हुई रचना । इस रचना के पीछे एक कहानी जुडी हुई है मेरा चार साल का इंजनीयरिंग छह साल तक लंबा हो गया और उस पर सेवन्थ सेमेस्टर में मेरे ए टी के.टी एक सबजेक्ट में आई। जिसकी वजह से एट्थ सेमेस्टर के बाद भी मुझे एक महिना और रुकना पडा। जब फेयरवेल के फंक्शन में मुझे किसी ने पूछा कि मोरबी के बारे में आपका क्या खयाल है तो यह रचना उसके जवाब में मैंने सुनाई यह कहकर कि हालात बदल जाते है तो खयालात अपने आप बदल जाते है। […]

» Read more

मत देख मिनख री रीत पंछीड़ा

मत देख मिनख री नीत पंछीड़ा, गीत रीत रा गायां जा!
आयां जा मन मेल़ू तूं, साचोड़ी देख सुणायां जा!!
आवै है ग्रहण आजादी पर, ऊंगाणा बैठा गादी पर।
गांधी री काती हाथां सूं, ऐ कलंक लगावै खादी पर।
वोटां पर जाल़ बिछायोड़ा, थिरचक है कुड़का ठायोड़ा।
इसड़ो ऐ नांखै देख चुग्गो, फस ज्यावै मानव डायोड़ा।
नुगरा बल़-छल़ में नामी है, हरमेस लूट रा हामी है।
कुर्सी री राखै देख निगै, ज्यूं-त्यूं ई राखै थामी है।[…]

» Read more

बाईजी को बोलणो अर भलै घरां की राड़

मिनखाजूण रै फळापै अर फुटरापै सारू आपणां बडेरां, संत-साहितकारां अर लोकनीत-व्यवहार रो ज्ञान करावणियां गुणीजणां खास कर इण बात पर जोर दियो है कै आ जीभ जकां रै बस में है, वां रो ई जीवण धन्य है। ‘बाई कैवतां रांड’ कहीजै जकां नैं जस री ठौड़ जूता ई पानै पड़ै। वाणी तो व्यक्तित्व री आरसी मानीजी है। आदमी नीं बोलै जितरै उणरो ठा नीं पड़ै पण जियां ई बोलै उणरो कद आपणै सामी आवणो सरू हुवै। बोली में मिनख रा संस्कार, व्यवहार, ग्यान अर सभाव रो अेकै सागै खुलासो हुवै। आदमी री ठीमरता, धीरज अर संयत व्यवहार री सूचना उणरी वाणी ई दिया करै। जियां ई मिनख बोलै आ ठा पड़ ज्यावै कै ओ कुणसी संगत अर संस्कारां में रैवणियो आदमी है। […]

» Read more

कासा थामें चला कलंदर

कासा थामे चला कलंदर!
चौखट गाँव गली दर घर घर!
सहरा, जंगल, परबत, बस्ती,
गाहे गाहे मंज़र मंज़र!
बाहर बाहर दिखै भिखारी,
भीतर भीतर शाह सिकंदर!
रेत कौडियाँ गौहर मछली
अपने भीतर लिए समंदर![…]

» Read more

म्हूं सबद-ब्रहम रो चेलो

म्हूं सबद -ब्रह्म रो चेलो!
सबद रीझतौ, सबद खीझतौ, मिल्यौ गुरू अलबेलो!
सबद नाथ रे कुम कुम चोखा, धरूं भाव रस भरिया,
सबद अमीणी राधा मीरां, सबद सखी साँवरिया,
नवधा भगति करूं आप री, सुणो सबदजी हेलो!
म्हूं सबद ब्रह्म रो चेलो![…]

» Read more

म्हारै देखतां-देखतां गमग्यो गांम!

नीं चंवरां में जाजम
नीं घेर घुमेर वड़लो!
नीं मन!
नीं मन री बातां!
करण री कोई ठावी ठौड़
फगत निगै आवै है-
झोड़ ई झोड़!
जिणरो नीं कोई निचोड़!
नीं निचोड़ काढणियो
तो पछै तोड़ कठै है?[…]

» Read more

मतलब जठै, बठै न मिताई

अखिल चराचर मांय मानखै जितरा रिश्ता-नाता बणाया है, वां मांय अेक उल्लेखणजोग रिश्तो है- मिताई वाळी। मिताई यानी कै मित्रता, यारी, दोस्ती, भायलाचारी। इतियास री आंख सूं देखां तो मिताई री मोटी-मोटी मिसालां आपणै सामी है, जिणमें भगवान कृष्ण अर सुदामा री मिताई तो जगचावी है। कृष्ण अर अरजण पण तगड़ा मित्र हा। श्रीराम रै ई सुग्रीव अर विभीखण जियांकला मित्रां री कथावां आपणै सामी है। भगवान कृष्ण री फोटू वाळो अेक पोस्टर देख्यो, जकै माथै लिख्योड़ो हो कै – कृष्ण सूं कोई पूछ्यो कै महाराज मित्रता रो मतलब कांई है? कृष्ण भगवान मुळकता सा जबाब दियो कै भोळा “मतलब हुवै बठै मित्रता कद हुया करै?”[…]

» Read more

🌷मित्रता – गजल🌷

है खांडै री धार मित्रता।
सबसूं उत्तम कार मित्रता!!
रथ हांकै नै पग धो देवै।
सँभल़ै डग -डग लार मित्रता!!
डिगतै नैं कांधो दे ढाबै।
निज भुज लेवै भार मित्रता!!
बढती -घटती नहीं चांद ज्यूं।
सुख-दुख में इकसार मित्रता!![…]

» Read more

नीं लागै अठै कोई तीज!

अजै तो नीं आई
आधुनिकता री आंधी!
ओ तो फगत दोटो है
आधुनिकता रो!
जिणमें ई आपांरी जड़ां
जोखमीजर उखड़गी!
तो पछै कीकर झालांला?
अरड़ाट देती वा आकरी आंधी!
आपांनैं तो इण दोटै ई
चाढ दिया टोरै!
भमा दिया भोगना!
नाख दी आंख्यां में धूड़
अर
कर दिया चितबगना

» Read more

सात रंग रा सरनामा – गज़ल

सात रंग रा सरनामा रो बादल़ कागद!
धरती नें रामा सामा रो बादल़ कागद!
बूंद पडै जद झिर मिर झिर मिर शबद उकलता,
विरह दगध अबल़ा वामा रो बादल़ कागद!
प्रीत, विरह, उच्छब आँसू, सपना, अर यादां,
अणगिणिया कितरा गामां रो बादल़ कागद![…]

» Read more
1 2 3 4