देशा दशा रो गीत
गीत सोहणो
किण किण मे दोस काढसो कवियां
राज कुवै मे भांग रल़ी
साच कूड़ समभाव आदरै
गुण ओगण री बात गल़ी १
संत्री मंत्री एक सारखा
संविधान नै रैट सही
धज कानून उडावण धरती
वाव आपणै देश बही २
खावै देखो बाड़ खेत नै
कुण जिणरी रखवाल़ करै
आ ही दशा देश री अज दिन
चावा इणरो माल चरै ३
प्रांतवाद रै फ़दै पड़ियो
कहौ एकताभाव कठै
न्यारी राग ढोलकी न्यारी
जण जण निकल़ै लेय जठै ४
आरक्षण रो देख अल़ीतो
थुबै धपल़का रोज धरा
भाई बंटिया लाभ भरम मे
खांची खागां होय खरा ५
हावी व्यक्तिवाद हुवो है
मही भैल़प री बात मिटी
चहुंबल़ खार पसरियो चौड़ै
पीढ्यां री अपणास पिटी ६
आभड़छोत मिटी ना अवनी
अज मिनखां मे भेद अहो
किसो देश आजादी किसड़ी
की खाधो आं बात कहो ७
पेखो अठै पांचाली ज्यूं ही
नार हजारां नग्न हुवै
आंधोराज गादी रै ऊपर
सुख भर सैजां नींद सुवै ७
कीकर बता सुशासण कैदां
पेख दुसाशण निजर पड़ै
ज्यां बल़ अठै दुर्जोधन जोवो
खट अस ऊजड़ वाट खड़ै ८
मूल़ धरम रो दया मानीजै
कहो जिणरो वास कठै
पत्थर रुखाल़ी अठै पापिया
उरड़ काटदै मिनख अठै ९
नह तो राम राचियो नैड़ो
दूठ नही रहमाण डरै
कितरा हुवा मानवी कुटल़ा
की कवियण वरणाव करै १०
उर सूं नही नीकल़्यो आतंक
देख छिंया सूं मिनख डरै
बुद्ध अनै बापू री बसुधा
जगती नै किणभांत जरै ११
जात धरम मे बंट्या जोयलै
एकण गोदी रम्या अठै
मुसल़ा हिंदु केक मानलो
कहो भारती पूत कठै १२
अन्नजल़ जिणरो खावै आज दिन
रुगटा जिणरी गोद रमै
मंगता केइक भारत मात नै
नुगरा चरणां नाय नमै १३
पीवै खावै देख पीव रा
कुटल़ वीर जयकार करै
इसड़ा बता काम की आसी
मिजल़ा क्यूं नी डूब मरै १४