निर्भीक कवि और शक्तिशाली सर प्रताप

सर प्रतापसिंह जी जोधपुर के महाराजा तख़्तसिंह जी के छोटे पुत्र थे, वे जोधपुर के राजा तो नहीं बने पर जोधपुर राज्य में हुक्म, प्रतिष्ठा और रोबदाब में उनसे आगे कोई नहीं था। उनके जिन्दा रहते जोधपुर के जितने राजा हुए वे नाम मात्र ही थे असली राज्य सञ्चालन तो सर प्रताप ही करते थे थे वे जसवंतसिंह जी से लेकर महाराजा उम्मेदसिंह जी तक जोधपुर के चार राजाओं के संरक्षक रहे। जर्मनी के युद्ध में उन्हें अदम्य वीरता दिखा बहुत नाम कमाया था। सर प्रताप खुद अनपढ़ थे पर मारवाड़ राज्य में उन्होंने शिक्षा व समाज सुधर के लिए […]

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जब कवि ने शौर्य दिखाया

जोधपुर के महाराजा मानसिंह का कव्यानुराग, विद्याप्रेम, कलाप्रियता, दानशीलता, गुणग्राहकता, गुरुभक्ति, स्वतान्त्र्यप्रेम के साथ शासक के तौर पर कठोर दंड व्यवस्था में निर्दयी दंडात्मक विधियाँ लोकमानस में आज भी जनश्रुतियों के रूप में काफी लोकप्रिय व प्रचलित है। उनके आचरण के दोनों रूप – पहला प्रतिकारी हिसंक रूप और दूसरा प्रशंसा और आभार प्रदर्शन का रूप “रीझ और खीझ” नाम से प्रसिद्ध है। “रीझ” मतलब खुश होना जिस पर प्रसन्न हो गए उनको आकाश में बिठा देना और “खीझ” मतलब नाराजगी, जिससे नाराज हो गए उसका अस्तित्व ही मिटा डालते। उनके इसी रीझ व खीझ वाले स्वभाव को एक चारण […]

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निर्भीक कवि वीरदास चारण (रंगरेलो) और उनकी रचना “जेसलमेर रो जस”

राजस्थान में राजपूत शासन काल में चारण जाति के एक से बढ़कर एक कवि हुए है, इन चारण कवियों व उनकी प्रतिभा को राजपूत राजाओं ने पूर्ण सम्मान व संरक्षण दिया। पर ज्यादातर लोग इन कवियों द्वारा राजाओं के शौर्य व उनकी शान में कविताएँ बनाने को उनकी चापलूसी मानते है पर ऐसा नहीं था इन कवियों को बोलने की राजपूत राजाओं ने पूरी आजादी दे रखी थी, ये कवि जैसा देखते थे वैसा ही अपनी कविता के माध्यम से बिना किसी डर के निर्भीकता से अभिव्यक्त कर देते थे, यही नहीं कई मौकों पर ये कवि राजा को किसी […]

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भक्त कवि ईसरदास

संवत पन्नर पनरमें, जनम्या ईशर दास चारण वरण चकोर में, उण दिन भयो उजास।। सर भुव सर शशि बीज भ्रगु, श्रावण सित पख वार। समय प्रात सूरा घरे ईशर भो अवतार।। भक्त कवि ईसरदास की मान्यता राजस्थान एवं गुजरात में एक महान संत के रूप में रही है | संत महात्मा कवि ईसरदास का जन्म बाडमेर राजस्थान के भादरेस गाँव में वि. सं. 1515 में हुआ था। पिता सुराजी रोहड़िया शाखा के चारण थे एवं भगवान् श्री कृष्णके परम उपासक थे। जन मानस में भक्त कवि ईसरदास का नाम बडी श्रद्घा और आस्था से लिया जाता है। इनके जन्मस्थल भादरेस में भव्य […]

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महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण

राजस्थान के महान कवि सूर्यमल्ल मिश्रण (मीसण) का जन्म बूंदी जिले के हरणा गाँव में 19 अक्टोबर 1815 तदनुसार कार्तिक कृष्ण प्रथम वि. स. १८७२ को हुआ था। उनके पिता का नाम चण्डीदान तथा माता का नाम भवानी बाई था। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि एवं असाधारण स्मरण शक्ति से संपन्न थे। इस महान कवि ने बाल्यकाल से ही कई विद्याओं का गहन ज्ञान प्राप्त कर लिया। उन्होंने स्वामी स्वरूपदास से योग, वेदान्त, न्याय, वैशेषिक साहित्य आदि की शिक्षा प्राप्त की। आशानन्द से उन्होंने व्याकरण, छंदशास्त्र, काव्य, ज्योतिष, अश्ववैधक, चाणक्य शास्त्र आदि की शिक्षा प्राप्त की तथा मुहम्मद से फ़ारसी एवं एक अन्य यवन से उन्होंने वीणा-वादन सीखा।[…]

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हरिरस (भक्त कवि महात्मा ईसरदास प्रणीत)

।।मंगलाचरण।।
पहलो नाम प्रमेश रो जिण जग मंड्यो जोय !
नर मूरख समझे नहीं, हरी करे सो होय।।१

!! छंद गाथा !!
ऐळेंही हरि नाम, जाण अजाण जपे जे जिव्हा !
शास्त्र वेद पुराण, सर्व महीं त‍त् अक्षर सारम्।।२

!! छंद अनुष्टुप !!
केशव: क्लेशनाशाय्, दु:ख नाशाय माधव !
नृहरि: पापनाशाय, मोक्षदाता जनार्दनः।।३[…]

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देवियांण (भक्त कवि महात्मा ईसरदास प्रणीत)

( छंद अडल )
करता हरता श्रीं ह्रींकारी, काली कालरयण कौमारी
ससिसेखरा सिधेसर नारी, जग नीमवण जयो जडधारी….१
धवा धवळगर धव धू धवळा, क्रसना कुबजा कचत्री कमळा
चलाचला चामुंडा चपला, विकटा विकट भू बाला विमला….२
सुभगा सिवा जया श्री अम्बा, परिया परंपार पालम्बा
पिसाचणि साकणि प्रतिबम्बा, अथ आराधिजे अवलंबा….३[…]

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