कल़ाऊ रा काचरिया याद है !!

आलाजी बारठ कल़ाऊ रैवै। कनै घणो वित्त, घणो विभो। आगो दियो पाछो पड़ै। रामजी राजी। एक दिन वे आपरै चंवरै बैठा माल़ा फेरै हा जितै एक बांमणी आपरै डावड़ै नै लियां उणांरै कनै आई अर कैयो कै – “बाजीसा म्है आपरै शरण बिखो काढण अर दिन तोड़ण आई हूं!!”

उणां उणनै पूरो आवकारो देय एक झूंपड़ो रैवण नै दे दियो अर सीधै री व्यवस्था करदी। टाबरियो पांच-सात वरसां रो हो सो उणनै उणां आपरा टोघड़िया चरावण रो काम भोल़ा दियो।[…]

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म्हारै कानां रा लोल़िया तोड़ै! तो तोड़ लेई!!

बीकानेर रो सींथल़ गांम रोहड़ियां रो कदीमी सांसण। सांसण गांम में राज रो कोई दखल नीं अर जै कोई राज रै जोम में दखल देवण री कोशिश करतो तो सोरै सास उठै रा वासी इण बात नै सहन नीं करता अर आपरो ठरको कायम राखण नै मर पूरा देता। ऐड़ी ई एक बात है सांसण गांम री टणकाई सारू मरण अंगेजण री।

बात उण दिनां री है जिण दिनां बीकानेर माथै महाराजा रतनसिंह रो शासन हो। उणां री सेना में रिड़मलसर-सागर रो एक सिपाही-मुसल़मान नूरदीन किणी छोटे-मोटै पद माथै चाकरी करतो। वो एक दिन आपरै दस-पंद्रह जिणां साथै बैतो सींथल आयो अर विंसाई खावण सारू ठंभियो। उणी बखत रुघाराम नाई रछानी (नाई का समान) लियां कनैकर निकल़िया। नरदीन उणांनै हेलो कियो कै – “इनै आ रे!”[…]

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हर दिया हाथ जिण सीस हेरलो – गीत सोहणो

।।गीत – सोहणो।।
हर दिया हाथ जिण सीस हेरलो,
निजरां आयो बीह नहीं।
दोखी मुवा पटक सिर देखो,
रीस उवां री धरी रही।।1

उबरै नाथ कृपा झल़ अगनी,
चटको विसहर नाय चलै।
पच -पच अरि थकै पिंड पूरा,
हर रै आगै नाय हलै।।2[…]

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वीरदास टाल़ कीं मांगलो!!

खरी अर खारी बात हर कोई नै हजम होवणी दोरी है। पछै राज रै धणी नै तो अंकैई सहन नीं होवै कै कोई उणनै खरी बात कैवण री हिम्मत करे, अर जे कोई हिम्मत कर र कैय ई देवै तो उणनै कैद री कोठरी में नांखता जेज नीं लागै।
ऐड़ो ई एक किस्सो है साच कैवण अर नीं सुणण रो।
जैसल़मेर माथै महारावल़ हरराजजी राज करै। कवियां रै कदमां में बिछणियो नरेश। जिणां रै ऐ आखर आज ई अमर है कै-

जावै गढ राज भलांई जावो,
राज गयां नह सोच रती।
गजब ढहै कवराज गयां सूं,
पल़टै मत बण छत्रपती।।[…]

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हां कवि दीठ माथो देवूंलो!!

कवि अर कविता रा प्रेमी इण धरा माथै ऐड़ा-ऐड़ा होया है कै आज ई उणां रै इण प्रेम री बात पढां तो छाती हेम होवै परी।
ऐड़ो ई एक कवि प्रेमी होयो गोकल़दास भाणावत।
मेवाड़ रै मोटै सिरायतां में शुमार गोकल़दास राणै उदयसिंह रै बेटे सगतसिंह रै बेटे भाण रो बेटो हो।
मेवाड़ रै इण वासी रो नानाणो मारवाड़ हो। मोटे राजा उदयसिंह री बेटी राजकंवर रो बेटो हो गोकल़दास।
महाभड़ गोकल़दास भीम सिसोदिये रो खास मर्जीदान हो जद भीम, बागी शाहजादे खुर्रम रै कानी सूं लड़ै हो उण बखत गोकल़दास रै घणा घाव लागा जिणसूं घायल होयो जद गजसिंहजी इणनै जोधपुर ले आया अर पाटा कराय साजो कियो तो साथै ई राहिण रो पटो ई दियो।[…]

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भोम नमो भाद्रेस!!

भक्त कवि पीरदानजी लाल़स आपरै मानस गुरु ‘ईशरा परमेसरा’ नै वंदन करतां सटीक ई लिख्यो है-

उथियै साहब ऊपना, भोम नमो भाद्रेस।
पीरदान लागै पगां, ईसाणंद आदेश!!

आथूणी धरा रो ओ गांम सांसणां रो सेहरो है।
मल्लीनाथजी ओ दतब पूनसी रोहड़िया नै दियो। पूनसी आपरै भाई गादूजी रै साथै अठै रैवास कियो।
गादूजी बारठ री परंपरा में भक्त बारठ दीतोजी अर दीतैजी रै सूरोजी, आसोजी, जैतोजी, चागोजी, जीयोजी, राघवजी मेहाजल़जी आद सात बेटा अर बेटी देपू होई।[…]

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म्हनै कांचल़ी रा मांगिया पांच वरस दे!!

आपां मध्यकाल़ रै राजस्थान नै पढां कै सुणां तो ऐड़ै-ऐड़ै पात्रां सूं ओल़खाण होवै जिकै फखत आपरी बात रै सारू ई जीया अर बात सारू ई मरिया। बीजी भांगघड़त में उणां रो कोई विश्वास ई नीं हो।
भलांई आपां जैड़ा आजरा तथाकथित समझणा उणां री इण प्रतिबद्धता नै खाली सनक कै कालाई समझता होसी पण उणां सारू वा बात फखत सहज ही। इयां तो राजस्थानी कवियां ई आ बात मानी है कै दैणो, मरणो अर मारणो जैड़ा तीन काम समझणां सूं पार नीं पड़ै ऐ तो नाम राखण सारू काला ई कर सकै-

नर सैणां सूं व्है नहीं, निपट अनौखा नाम।
दैणा मरणा मारणा, कालां हंदा काम।।

ऐड़ी ई एक बात है लोहियाणा रै कुंवर नरपाल देवल री।[…]

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बाजीसा बालुदान जी रतनू बोनाड़ा री बातां

।।३।।
हमे माड़वै सरण लो!!

रुघजी फतेहसिंह रै रो बेटो ऊमजी (ऊमसिंह) भोमै रै तल़ै रै सिंधी भोमै रा ऊंठ खोस लायो। बात इयां बणी कै मंगल़िया अर जंज दोनूं सिंधी। एक मंगल़ियै अर एक जंज री लुगाई अरटियै माथै ऊंन कातती “कोठा कल़प्या” यानि आपरै पेट पड़्यै बेटे-बेटी री सगाई करी। दोनां कवल कियो कै दोनां रै आपस में भलांई जको ई होवो, बेटे-बेटी री सगाई करांला।
जोग ऐड़ो बणियो कै जंज री लुगाई रै बेटो होयो अर मंगल़ियै री लुगाई रै बेटी!![…]

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गीत लाछां माऊ रो

।।गीत – प्रहास साणोर।।
अमर कथ करेवा पैंड जस भरेवा अहो,
समर हर नाम कर काम साचां।
मंडेवा गुमर इम नेसड़ां महिपर
लोवड़धर जचायो जमर लाछां।।1

रतनुवां दैण धिन कीरती रसापर,
धूरतां असा कज मोत धीबी।
आदलग जसा ही रीत रख इल़ा पर
जगत में बसा गी सुजस झीबी।।2[…]

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जसोड़ां रा बूंठा छोड देई

दिन अर दशा हरएक री बदल़ती रैवै, इणी कारण इणनै घिरत-फिरत री छिंयां कैयो गयो है। जिकै जसोड़ कदै ई जैसलमेर में जोरावर होता, जिणां रो राज में घातियो लूण पड़तो पण सगल़ी मिनखां री माया रा प्रताप हा!कृपारामजी खिड़िया सटीक ई लिख्यो है कै-

नरां नखत परवांण, ज्यां ऊभां संकै जगत।
भोजन तपै न भांण, रांवण मरतां राजिया!!

ज्यूं-ज्यूं मिनखां रो तोटो आयो, ज्यूं-ज्यूं जसोड़ पतल़ा पड़िया अर त्यूं-त्यूं उणां रो मरट मिटतो ग्यो।[…]

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