गीत देसाणराय करनीजी रो

गीत – चित इलोल़

मुरधरा सोयाप मोटो, सांसणां सिरताज।
मेह रै घर जनम माता, हरस नै हिंगल़ाज।
तो हिंगल़ाज जी हिंगल़ाज हितवां रीझणी हिंगल़ाज।।1

कोम किनियां भोम कीरत, मंडणी महमाय।
उदर देवल धिनो आढी, प्रगट जामण पाय।
तो सुररायजी सुरराय, सोरम सुजस री सुरराय।।2

भाल़ निज री तात भगनी, साच उलटी सीख।
ताण पापण कियो तारां, ठोलियो सिर ठीक।
तो नजदीकजी नजदीक निष्ठुर भाव रै नजदीक।।3[…]

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कभी-कभी तो दिल की भी मान लिया कर!

कभी- कभी तो दिल की भी मान लिया कर!
मुरझे हुए चेहरों पर भी मुस्कान दिया कर!!

निष्ठुरता से, बने रिस्ते भी भूल जाते हैं लोग!
उत्साह उमंगों की तरंगों का छात तान लिया कर!!

अपनी मस्ती में मस्त रहना भी ठीक नहीं यार!
कभी कभी दूसरों के देख अरमान लिया कर!!

लोगों की बातों का क्या ? वो होती रहती है!
अपनी बातों को सुनाने की कभी ठान लिया कर!![…]

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शिव-सुजस

।।छंद -त्रिभंगी।।
कासीपुर नाथम सो समराथम, नमो अनाथम हे नाथम!
इहगां दे आथम सत सुखदातम, रसा ज बातम दिनरातम।
धिन हो जो ध्यातम माथै माथम, हर निज हाथम हरमेसर।
भगवन भूतेसर जयो जटेसर, नमो नंदेसर नटवेसर।।1

कन कुंडल़धारी कमँडलधारी, गिरजा नारी गिरनारी।
भोल़ो भंडारी विजया जारी, आपू भारी आहारी।
दुनिया दुखियारी सिमरै सारी, संकट हारी शंभेसर।
भगवन भूतेसर जयो जटेसर, नमो नंदेसर नटवेसर।।2[…]

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नेता सूं रखजै मत यारी!

नेता सूं रखजै मत यारी!
प्रीतम नै कैवै सत प्यारी!!
नेता लेता केवल स्वामी!
देतापण री ना लत धारी!!
जन नै केवल छल़णो जाणै!
अणफट ऊपर है खत भारी!!
झड़ै झांसां पोयण हरदिस!
फसै जकां री है मत मारी!![…]

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कुबद्ध कमाई छोड बावल़ा!

कुबद्ध कमाई छोड बावल़ा!
मतकर भ्रष्टां होड बावल़ा!!
च्यार दिनां री देख चांदणी!
फैंगर मतकर कोड बावल़ा!!

लुकै नहीं अपराध लाखविध!
कूटीजै फिर भोड बावल़ा!!
लोकतंत्र में बिनां दावणै,
लेय तपड़का तोड बावल़ा![…]

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हे मायड़ भाषा ! माफ करजै !

हे मायड़ भाषा! माफ करजै!
म्हे थारै सारू
कीं नीं कर सकिया!
फगत लोगां रो
मूंडो ताकण
उवांरी थल़कणां
धोक लगावण रै टाल़!
थारै नाम माथै
रमता रैया हां[…]

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तूं मंदर-मंदर भटक मती!!

तूं मंदर-मंदर भटक मती!
यूं हर आगल़ सिर पटक मती!
टांग मती अपणायत ऊंची!
भाव स्नेह रा गटक मती!!
आश लियां आवै विश्वासी!
देय निराशा झटक मती!!!
ग्यान-गहनता बातां रूड़ी!
पतियायां तूं कटक मती!![…]

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जिणरा घोड़ा समंदां पीवै! उण आगे तल़ाब री कांई जनात?

महाराजा मानसिंह आमेर अर महाराणा प्रताप राजस्थान रै इतिहास में ई नीं अपितु भारतीय इतिहास में चावा। एक री खाग पातसाही स्थापित करण नै उठी तो दूजोड़ै री तरवार रजवट रै वट री रुखाल़ी सारू। दोनूं ई आपरी स्वामीभक्ति नै समर्पित। मानसिंह पातसाह नै स्वामी मानियो तो पातल इकलिंग रो दीवाण। वि.सं 1629 में डूंगरपुर नै धूंसतो कुंवर मानसिंह जद वि.सं 1630 रै आसाढ में उदयपुर ढूकियो तो उठै महाराणा प्रताप घणा कोड किया अर गोठ करी। भोजन री वेल़ा प्रताप पेट दूखण रो ओल़ावो लेय मानसिंह रै भेल़ा नीं बैठिया। आ बात मानसिंह नै अखरगी। उणां चढतां कैयो कै “हूं बेगो ई आवूंलो !! अर आवतो महाराणा रै पेट री ओखद ई लाऊंलो!!” महाराणा ई कैय दियो कै “जे थे थांरै फूंफै साथै आवोला! तो ऐ घोड़ा अर राजपूत अठै ईज स्वागत में तैयार मिलेला अर जे एकला आवोला तो मालपुरै तक साम्हा आय स्वागत करैला!”

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मालणदे महिमा

।।गीत – चित इलोल़।।
इल़ा भांडू करी ऊजल़,
आल रै घर आय।
देह धर हिंगल़ाज दुनियण,
मालणा महमाय।
तो भलभायजी भलभाय, भांडू भोम धिन मन भाय।।18

रमी धोरां रीझ रांमत,
बीसहथ बण बाल़।
दूल पितु नै मोद दीनो,
रोहड़ां रिछपाल़।
तो रिछपालजी रिछपाल़, रैणी रेणवां रिछपाल़।।19[…]

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शब्दां वाल़ी चोट देखलै!!

माची दोटमदोट देखलै!
सिद्ध श्री में खोट देखलै!
मिनड़्यां वाट न्याय री न्हाल़ै!
बांदर छीनै रोट देखलै!!

गाय सुवाड़ी ठाण बंधी है!!
खेत उजाड़ै झोट देखलै!!
घड़ै चौपड़ै छांट पड़ै नीं!!
काल़ा तन पर कोट देखलै!![…]

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