गीत जांगड़ो

सिमर रै सांमल़ियो साहेब,
वेद पुराण बतावै।
सुधरै अंत मिटै धुर सांसो,
संत सार समझावै।।1
पुणियां नाम कटै भव पातक,
सुणियां मल़-गल़ सारा।
चुणिया नाम कोट गढ चौड़ै,
पेख हुवा पौबारा।।2[…]
Charan Community Portal
सिमर रै सांमल़ियो साहेब,
वेद पुराण बतावै।
सुधरै अंत मिटै धुर सांसो,
संत सार समझावै।।1
पुणियां नाम कटै भव पातक,
सुणियां मल़-गल़ सारा।
चुणिया नाम कोट गढ चौड़ै,
पेख हुवा पौबारा।।2[…]
जैसलमेर माथै महारावल़ गजसिंहजी (सन 1820-45) रो शासन। सालमसिंह मेहता उणां रो दीवाण। उण बगत राज री पौची हालत। दीवाण रै घालियो लूण पड़ै। उणरी अज्ञा बिनां पत्तो तक नीं हिलै। मेहतो अन्याय, अत्याचार, अर अनाचार रो साक्षात पूतलो। उण बगत उणरो विरोध करण रो मतलब हो मोत नै बुलावणो। महारावल रो एक ब्याव उदयपुर महाराणा भीमसिंहजी री बेटी रूपकंवर साथै होयो। उण बगत सालमसिंह आपरै रचियै तोतक अर आतंक सूं महारावल़ री जान उदयपुर में छव महीणा रोकाय राखी अर लारै सूं आपरी विश्व विख्यात ‘सालमसिंह री हवेली’ लूट लूट र भेल़ै कियै धन सूं चिणाई। ओ बो ई सालम सिंह हो जिणरै अत्याचार सूं आंती आय जैसाण धरा रै पालीवाल़ां एक ई रात म़े उछाल़ो (उचाल़ो) कियो।[…]
» Read more।।रोमकंद।।
उर दैण उगत्तिय जोड़ जुगत्तिय, दांन सुदत्तिय बांण दहै।
कवि कीरत कथ्थिय साज सुमत्तिय, लम्ब सूं हत्थिय भीर लहै।
कर वीणबजत्तिय काज करत्तिय, पांण धरत्तिय दास परै।
सिमरू सुरसत्तिय साय सगत्तिय, हंस चढत्तिय दोस हरै।।१
शुकळा पट धारण हंस सवारण, वाणिय हारण तूं विपदा।
घट ग्यांन बधारण औगण गारण, बात सुधारण तूं वरदा।
पह संत पुकारण आय उबारण, तुंही उतारण पार तरै।
सिमरू सुरसत्तिय साय सगत्तिय, हंस चढत्तिय दोस हरै।।२[…]
चित्तौड़ !
इण धरती रो सिरमोड़ !
ईं नीं बाजै है!
इणरै कण -कण में है
स्वाभिमान री सोरम
सूरमापणै री साख
जिकी नै राखी है मरदां
माथां रै बदल़ै!
रगत सूं सींचित
उण रेत रै रावड़ -रावड़ में
सुणीजै है अजै ई मरट रै सारू
मरण सूं हेत रा सुर![…]
जौहर री ज्वाल़ा जल़ी, राखी रजवट रीत।
चावै जगत चित्तौड़ नैं, पदमण कियो पवीत।।1
झूली सतझाल़ा जबर, उरधर साख अदीत।
गवराया धर गुमर सूं, गौरव पदमण गीत।।2
खप ऊभो खिलजी खुटल़, जिणनै सक्यो न जीत।
जौहर कर राखी जगत, पदमण कँत सूं प्रीत।।3
सतवट राख्यो शेरणी, अगनी झाल़ अभीत।
हिंदवाणी हिंदवाण में, पदमण करी पवीत।।4
जगमगती ज्वाल़ा जची, भल़हल़ साखी भास।
परतख रचियो पदमणी, ऊजल़ियो इतिहास।।5[…]
जनतंत्र तो झाड़ छिंयाड़ी!
खावै गोधा हरियल़ बाड़ी!
गादी ऊपर तँत्र हावी!
जन री सांप्रत माड़ी भावी!
जन रै आडी जड़ी किंवाड़ी!
तंत्र अपणो बड़ो खिलाड़ी!
खादी कातण गांधी पचियो!
बदल़ै में अपजस ई बचियो!
चसमो जाणै कठै गम्यो है!
बिनां डांगड़ी डैण थम्यो है![…]
किरता अपणै हाथ सूं, तोलै सबै करम्म।
सौ सुक्रत इक पाल़णै, एको साम धरम्म।।
ऐड़ो ई एक स्वामीभक्ति रो किस्सो है जुढिया रा लाल़स शंकरजी रो। शंकरजी लाल़स, लाल़स लूणैजी री वंश परंपरा में गोदोजी लाल़स सपूत अर तेजाजी रा पोता हा। जुढियो मा सैणी रो सुथान। जिण विषय में ओ दुहो चावो-
तखत दोनूं तड़ोबड़ै, जुढियो नै जोधाण।
बठै राजावां बैठणो, (अठै) सैणी तणो सुथान।।
लाल़स शंकरजी, महावीर कल्ला रायमलोत रै मर्जीदानां में सींवाणै रैवै। महावीर कल्लो अडर, साहसी अर स्वाभिमानी राजपूत हो। जिणरै विषय में महाकवि पृथ्वीराजजी राठौड़ लिखियो है-कल्लो भल्लो रजपूत कहीतो!![…]
» Read more।।छंद-रोमकंद।।
नभ मे रवि तेज निहारिय नाटक, राटक रांमत तैंज रची।
अड़ड़ाटक पूगिय जोर उंचांचळ, सांमथ दाटक बात सची।
जबरेल तुंही मुख झालिय झाटक, काटक भोम अंधार करै।
हड़मांन जहांन हुवो दुख हारण, कारण दास पुकार करै।।1
बलवंत बुवो जग जांमण वाहर, लंघड़ सांमद पाज लँगी।
अजरेल त्रिकूट उथाळण आगळ, सांम रै कारज सांम सँगी।
पह सीत रै पास पुगो हरिपायक, सो सुखदायक हांम सरै।
हड़मान जहान हुवो दुख हारण, कारण देस पुकार करै।।2[…]
।।छंद रेंणकी।।
समरथ मत विसर अहर निस सांप्रत
परवर सुर नर होत पखै।
जाहर घट बात जबर जगदीसर
रब सब री इम खबर रखै।
मोटम घर आस मकर फिकर मन तूं
डगर अडर इण एक डटै।
पांतर मत पलक अलख अखिलेसर
कर हर सुमऱण पाप कटै।।१[…]
गोविंद भजरै गीधिया, जाय रह्य दिन जाण।
विसर मती तूं बैवणो, आगै वाट अजाण।।१
गोविंद भज रै गीधिया, दिन जोबन रा दोय।
आगै जासी एकलो, करै न साथो कोय।।२
गोविंद भज रै गीधिया, हिलै जितै पग हाथ।
वदन आवसी बूढपण, बोल सकै नी बात।।३
गोविंद भज रै गीधिया, अजै समझ नै आज।
काल काल में कालिया, कछु ना सरसी काज।।४[…]