कुळ चारण लुळ नमन करै

हल़्दीघाटी अर स्वतंत्रता आंदोलन रै सौदा सूरां नैं समर्पित एक छंद –

।।छंद – रेंणकी।।
पातल रै उपर पातसा अकबर
दूठ जदै गज ठेल दिया।
सधरै पिंडपाण साहस सूं सूरै
लेस बीह बिन झेल लिया।
सौदा तिण दीह वंस रा सूरज
केसव जसियो मरण करै
सौदा परिवार सिरोमण सारै
कुळ चारण लुळ नमन करै।।1[…]

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दारू दुरगण

आदरणीय मोहनसिंहजी रतनू री सेवा में लिख्यो एक छंद आज आपरी निजरां
।।छंद त्रोटक।।
सत मोहन भ्रात कहूं सुणियै।
धुर बांचत सीस मती धुणियै।
कल़ु कीचड़ जात फसी कतनू।
रण कोम रु काज करै रतनू।।1

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इणनैं ईज कैता रजपूती

हींणप नहीं लाता संकट में, मन में हद धरता मजबूती।
सिर पड़ियां सूरा रण लड़ता, इणनैं ईज कैता रजपूती।।
पचिया बै देखो दिन रातां, भारत रो गौरव मंडण नैं।
परजा हित रक्षण रण बुवा, बै आततायां नैं डंडण नैं।
झुकिया नीं माथो दे दीनो, पण आंण बांण नैं राखी ही।
रगत सटै इज्जत बा देखो, मा बैनां री राखी ही।
महारिसी त्याग री मूरत, छिड़ियां बै विकराल़ होया।

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खूबड़ी री ख्यात

।।छंद गयामालती।।
मात धिन घर जनम माधै, हरस तन हिंगल़ाज रो।
इल़ साख सऊवां करण ऊजल़ रूप कूबड़ राजरो।
हेतवां हांण विघनांण हारण तांण होफर ताकड़ी।
जय मात खूबड़ जगत जाहर सगत वाहर सरवड़ी।।6 […]

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सेवामें श्रीमानजी, एक शिकायत ऐह

कवि गिरधर दान रतनू “दासोडी” द्वारा “काव्य-कलरव” अर “डिंगळ री डणकार” ग्रुप रा कवियों ने निश्क्रिय रेवण सूं दियौडौ एक ओळभो देती कलरव अर डिंगल़ री डणकार रा मुख्य संरक्षक / संरक्षक आदरणीय भूदेवसा आढा अर चंदनसा नैं एक अरजी-
सेवामें श्रीमानजी, एक शिकायत ऐह।
जोगां किमकर झालियो, अपणो अपणो गेह?
सही सँरक्षक सांभल़ो, वडपण मनां विचार।
भागल मन कवियां भयो, डिंगल़ री डणकार।।1
वय में आढो वृद्ध है, इणकज करै अराम।
चंदन थारी चतुरता, किणदिन आसी काम।।2
पूछै कारण प्रेम सूं, नेही काढ निदान।
जमी राखजै जाजमां, चोगी चंदनदान।।3

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सैणां इम काम सबां सूं सोरो

।।गीत जांगड़ो।।
सैणां इम काम सबां सूं सोरो, झांसां भासण झाड़ो।
भोल़ां नुं भटकाय भावां में, कमतर सहल कबाड़ो।।1
दो उपदेस दूजां नैं दाटक, सरसज बात सुहाणी।
मनमाफक बेवो खुद मारग, केवो काग कहाणी।।2 […]

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प्रताप पच्चीसी

।।दूहा।।
मुरदा सूता माल़ियां,अकबर वाल़ी ओट।
पौरस धरियो पातलै,कर झूंपड़ियां कोट।।1
धरा केक दे धीवड़्यां,दीन केक बण दास।
आतप मुगलां आपियो,भल़हल़ पातल भास।.2
वसुधा देयर बेटियां,धुर राखी चितधार।
ज्या़ंरो जग म़ें जोयलो,लधै न नाम लिगार।।3

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दो गजलां – आंधी अर बादल़ा

मुरधर रमवा आवै आंधी।
बल़-कल़ आप बतावै आंधी।
फूस बुहारी करै फूठरी।
थल़ रो रूप सजावै आंधी।।
थल़ियां -थल़ियां हीमत देखण।
तीर! रावड़िया बावै आंधी।।
धूड़ गैंतूल़ा चहुंदिस करिया
निरमल़ नभ में छावै आंधी।। […]

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दो गजलां -गिरधरदान रतनू दासोड़ी

एकर म्हारै गाम आवजै।
साथै थारी भाम लावजै।।
चांदो तारा बंतल़ करता।
हंसतो रमतो धाम पावजै।।
मिरच रोटियां मन मनवारां
काल़जियै रो ठाम पावजै।।
स्नेह सुरां री बंशी सुणजै।
तल़ खेजड़ आराम पावजै।।
फोग कूमटा जूनी जाल़ां।
परतख वांमे राम पावजै।।
विमल़ वेकल़ू धवल़ धोरिया।
कलरव मोर ललाम पावजै।।[…]

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