मायड़भासा में शिक्षा अर व्यक्तित्व विकास

शिक्षा संस्कारां रो समंदर है। गुणीजनां रो मानणो है कै शिक्षा मिनख रै व्यक्तित्व रो सर्वांगीण विकास करै। मिनख नैं मिनख बणावण रो काम करै शिक्षा। आज रै समै री सबसूं बड़ी विडम्बना आ है कै मिनख तो बढ़ता जा रैया है पण मिनखपणै री मंदी आयगी। राजस्थानी लोकसाहित्य रो अेक दूहो है कै-
मिनख घणां ईं मुलक में, मिनखां तणो सुगाळ।
(पण) ज्यां मिनखां में मिनखपण, वां मिनखां रो काळ।।
मतलब ओ है कै मोकळी कोकळ बधरी है पण मिनखाचारो घटतो जा रैयो है।[…]
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