लाखो फूलाणी लछो!!

“ठगीजै सो ठाकर” री बात कुड़ी नीं है। हथाई रो कोड हुवै उण नै दमड़ा खरचणा पड़ै। ओ काम कोई मोटै मन रो मानवी ई कर सकै। इण में कोई जात रो कारण नीं है। ऐड़ै ई एक मोटै मन रै मिनख रो किस्सो चावो है।
पोकरण रै पाखती गांव लालपुरो। रतनूवां रै जागीरी रो गांम। इण गांम रै रतनू भोजराज री उदारता विषयक ओ दूहो घणो चावो-
लायक रतनू लालपुर गिरवर सुत बड गात।
कवि भोजै री कोटड़ी रहै सभा दिन रात।।
उल्लेखणजोग है कै सिरूवै में रतनू तेजमालजी हुया। जिणांरा माईत बाल़पणै में ई गुजरग्या हा। नेनप पड़गी। इणां रो नानाणो भाखरी रै मिकसां रै अठै। तेजमालजी री मा तेजमालजी नै लेय आपरै पीहर भायां कनै आयगी। दिन लागां तेजमालजी मोटा हुया। भाग बारो दियो। घोड़ां रा मोटा वौपारी हुया। एकर चांदसमा ठाकुर लालकरनजी इणां सूं एक घोड़ो लियो पण रकम ऊभघड़ी हुई नीं जणै ठाकुरां तेजमालजी नै कह्यो कै “आप सिरूवै क्यूं रैवो? म्हारै कनै रैवो। आवण-जावण रो पंपाल़ मिटै।”[…]
» Read more