जैतो-कूंपो, मरग्या कै जीवै!!? (जनता रै अद्भुत विश्वास री कहाणी)

मारवाड़ नर-नाहरां री खाण रैयो है। एक सूं एक सूरवीर, सधीर, अर गंभीर नर पुंगव अठै जनमियां, जिणां रै पाण ओ कैताणो चावो होयो कै ‘मारवाड़ नर नीपजै, नारी जैसलमेर।’ राव रिड़मलजी री ऊजल कुल़ परंपरा में बगड़ी री बांकी धरा रा सपूत जैतो अर कूंपो आपरै अदम्य आपाण (साहस) निडरता, देशभक्ति, स्वामीभक्ति अर उदारता रै ताण मुलक में जिको माण पायो बो अपणै आप मे अतोल है। राव रिड़मलजी रै मोटै बेटे अखैजी रै बेटे पंचायण रै घरै जैता रो अर छोटे बेटे महराज रै घरै कूंपा रो जनम होयो। जद कूंपो 11वर्षां रो हो जद वि.सं.1570 में गायां रै हेत महावीर महराज रणखेत रैयो, जिणरी साख रा डिंगल़ में गीत उपलब्ध है। कवि भरमसूरजी रतनू लिखै कै पांडव श्रेष्ठ किसन रै अंतेवर (जनाना) री रुखाल़ी नीं कर सकियो अर मरण सूं डरग्यो जदकै गायां री रुखाल़ी सारु महावीर महराज वीरगति वरी-

पांडव मरै न सकियो भिड़ि भुंई, रूकै चढै मुवौ राठौड़।
किसन तणी अंतेवरि कारणि, महिर धेन काज कुल़ मौड़।।[…]

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सोढै ऊमरकोट रै, सिर पड़ियां बाहीह !

किणी राजस्थानी कवि रो ओ दूहो कितरो सतोलो है कै-

हीरा नह निपजै अठै, नह मोती निपजंत।
सिर पड़ियां खग सामणा, इण धरती उपजंत।।

आजरै संदर्भ में ओ दूहो भलांई केवल एक गर्विली उक्ति लागती हुसी जिणरै माध्यम सूं कवि आपरी मातृभूमि री अंजसजोग बडाई करी है पण जिण कवियां इण भावां रै मार्फत परवर्ती पीढी नै प्रेरणा दी है तो कोई न कोई तो कारण रह्यो ई हुसी। सूर्यमल्लजी मीसण लिखै–

बिन माथै बाढै दल़ां, पोढै करज उतार।
तिण सूरां रो नाम ले, भड़ बांधै तरवार।।[…]

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चारणों के गाँव – हरणा, मोलकी तथा हाड़ोती के अन्य मीसण गाँवों का इतिहास

बूंदी राज्य में बारहट पद सामोर शाखा के चारणों के पास था परन्तु भावी के कर्मफल से उनकी कोई संतान नहीं हुई तथा कालांतर में उनका वंश समाप्त हो गया।
इस समय मेवाड़ में दरबारी कवि ईसरदास मीसण थे जिनके पूर्वज सुकवि भानु मीसण से उनके सत्यवक्ता बने रहकर मिथ्या भाषण करने के अनुरोध को नहीं मानने की जिद से कुपित होकर चित्तौड़ के तत्कालीन राणा विक्रमादित्य ने सांसण की जागीर के मुख्य गाँव ऊंटोलाव समेत साथ के सभी उत्तम गावों की जागीर छीन कर केवल रीठ गाँव उनके लिए छोड़ दिया था। […]

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सनातन धरम रक्षक महान वीर वीरमदे सोनगरा

द अलाऊदीन खिलजी सोमनाथ री लिंग लियां मदछकियो जाल़ोर री आंटीली धरा में बड़ियो तो अठै रै अडर अर धरम रक्षक शासक कान्हड़दे आपरै आपाण रै पाण खिलजी सूं खेटा कर लिंग खोसली अर माण सहित सरना गांम में थापित करी। इणी रै अजरेल अर जबरेल सपूत वीरमदे री वीरता अर सुंदरता देखर अलाऊदीन री बेटी फिरोजा रीझगी अर हट पकड़ियो कै शादी करेला तो इणी वीरम रै साथै !नीं तो कंवारी ई भली। बादशाह कान्हड़़दे नैं कैवाय़ो पण वीरमदे नटग्यो। […]

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सोनै जेड़ी कल़ंकित वस्तू पैरी तो तीन सौ तलाक

।।जैतमाल राठौड़ अर पीठवै मीसण रै अदभुत प्रेम री कहाणी।।

पीठवो मीसण पन्द्रहवीं सदी रो मोटो चारण कवि। इण पीठवै रो गांम कोई बोगनियाई कैवै तो कोई कैवै कै पक्को नीं कै ओ कवि किण गांम रो होतो।

खैर। एकर भयंकर काल़ पड़ियो तो इण रा माईत गुजरात गया जठै जाल़िवाड़ै गांम रे झूलै समंद्रसी इण रै बाप नैं मारर इणरी बैन नैं माडै परण लीनी।  पीठवो उण दिनां आपरी मा रै कूख में हो सो इणरी मा आपरी पीठ चिराय धणी री ऐल राखण नैं इणनैं जलम दियो, अर बा आपरै धणी रो साथ करर सुरगां पूगी।[…]

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कलो भलो रजपूत कहीतो

कल्ला रायमलोत अर स्वाभिमान एक दूजै रा पर्याय मानीजै। जोधपुर रै राव मालदेव रै बेटै रायमल रो प्रतापी सपूत कल्लो (कल्याण दास) सीवाणै रो धणी। वो सीवाणो, जिण री थापना विक्रमादित्य रै बेटै वीर नारायण करी अर उण री साख रै खातर चहुंवाण वीर सातल अर सोम खिलजी सूं जूझता सुरग पथ रा राही बणिया। कोई इणनै़ सोम रै नाम सूं सोमियाणो अथवा समियाणो ई कैवै। उण दिनां अकबर रो राज हो। मोटै राजा उदयसिंहआपरी बेटी मानाबाई रो ब्याव अकबर साथै करणो तय कियो […]

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मेघवाल़ होयो तो कांई ? म्है इण नैं भाई मानूं

माड़ रो माड़वो गाम जूनो सांसण। नैणसी, हमीर जगमालोत रो दियो लिखै तो उठै रा वासी उणस़ूं ई पुराणो मानै। इणी गांम में सोढैजी संढायच रै दो बेटा – अखोजी अर भलजी। भलजी स़ंढायच रै घरै मा वीरां री कूख सूं लोक पूज्य चारण देवी देवलजी रो जलम होयो – भलिया थारा भाग, देवल सरखी दीकरी। समदां लग सौभाग, परवरियो सारी प्रिथी।। देवलजीरी शादी ऊमरकोट रै गांम खारोड़ा रा देथा बापनजी साथै होई। यूं तो देवलजी रा घणा दिव्य चमत्कार अर लोकोपकारी काम चावा है, पण कमती लोग जाणता होसी कै आपां आज जिण दलित विमर्श अर दलितोत्थान री बातां […]

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म्हारै ऊभां मेड़ते पग देवै ! ऐड़ो कुण?

राजस्थान रै मध्यकालीन वीर महेसदास कूंपावत री अदभुत वीरता विषयक बात घणी चावी है पण आ बात कमती लोग जाणै कै जद मराठां मारवाड़ माथै हमलो कियो उण बगत महाराजा विजयसिंह सूं मारवाड़ रा केई मोटा सिरदार नाराज हा। दरबार नैं सूचना मिल़ी कै माधोजी सिंधिया आपरै दल़-बल़ सैती आयो है अर मेड़तै में उणरा डेरा है। दरबार डाफाचूक होयग्या। क्यूं कै सिंधियां री झाट झालणिया तो रूठोड़ा है अर दरबार उणांनैं किण मूंडै सूं आ सूचना देवै कै मारवाड़ आफत में है!

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आऊवै धरणै रा महानायक अखोजी बारठ

मारवाड़ रै मध्यकालीन इतिहास में आऊवा रो चारण धरणो चावो है। मारवाड़ रै शासकां अर चारणां रा संबंध प्रगाढ रैया है पण जोगानजोग राजा उदयसिंह री बगत ऐ संबंध किणी गल़तफहमी रा शिकार होय बिगड़ग्या। उदयसिंह चारणां रा गांम जबत कर लिया। विरोध होयो। समझाइस होई पण राजा नीं मानियो। छेवट1643 वि. में चारणां आऊवै री आंटीली धरती माथै धरणो दियो।
आऊवो उण दिन ठाकुर गोपाल़दासजी चांपावत री जागीर रो एक गांम हो। राजा गोपाल़दासजी नैं कैवायो कै धरणो म्हारै खिलाफ है सो आप धरणो उठावो। नीतर हूं गांम खालसै कर दूंला।

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आउवा सत्याग्रह – वंश भास्कर

उमामूर्ति थप्पी सु पूजि अब, सप्तम दिन बित्तत जिम्मे सब।
अंबा की प्रतिमा के अग्गैं, ज्वलन हविस्य धूप जहं जग्गैं।।
बाद्य पटह दुन्दुभि मुख बग्गैं, लक्खन बिध पद्यन नुति लग्गैं।
भीरु सुनत सिंधुन स्वर भग्गैं, मरुप उदय पीठहु डगमग्गैं।।
अस्त्रन मैं हु उमा आवाहन, करिकरि कढ्ढि जजन लग्गे जन।
बैठैं सबन निसा सु बिहाई, इम इच्छित बेला ढिग आई।।
अर्धउदित रवि जानि तजन असु, सिवगृह सिर थप्प्यो गोविन्द सु।
खिल रहि मैं न लखो इतनों खय, इम गल छेदि गिर्यो सु इनोदय।।
पिक्खि गिरत गोबिंदहि दृढपन, तित तित मरन लगे जाचक जन।
वह खाटिक दुल्लह बिच आयो, बप्प तनय जुग मरन बतायो।।

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