जद छूटै जालोर!

दूहा लोहा सरिस दुहुं, वडौ भेद इक एह।
दूहो वेधै चित्त नै, लोहा भेदे देह।।
यानी दोहा अर लोहा री मार एक सरीखी। एक चित्त नै वेधै तो दूजो देह नै। पण लोह तो हरएक रै घाव कर सकै पण दूहो फखत समझै उणनै ईज सालै। इतिहास में ऐड़ा अनेकूं दाखला मिलै कै दूहे इतिहास बदल़ दियो। लोगां री दिनचर्या बदल़दी।[…]
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