नवदुरगा स्तवन
🌺छंद रोमकंद/त्रिभंगी🌺
तनया गिरि राजम ,बैल बिराजम, बाळक लाजम, राख सदा।
कर कंज त्रिशूलम , रूप अनूपम, चंदम पूनम, रश्मि प्रदा।
वर वांछित दातम, हे अवदातम , मो घट घातम, टाळ मया।
दुरगा नव वंदण, भै मन भंजण, वैरि विखंडण, जै विजया।1 […]
Charan Community Portal
🌺छंद रोमकंद/त्रिभंगी🌺
तनया गिरि राजम ,बैल बिराजम, बाळक लाजम, राख सदा।
कर कंज त्रिशूलम , रूप अनूपम, चंदम पूनम, रश्मि प्रदा।
वर वांछित दातम, हे अवदातम , मो घट घातम, टाळ मया।
दुरगा नव वंदण, भै मन भंजण, वैरि विखंडण, जै विजया।1 […]
भय भंजण गंजण बंड भयंकर, दण्डण दैत समस्त दळं।
वळ रुण्डण मुण्डण माळ धरे वपु, जोत अखंड जळं झळळं।
लिय चौसठ जोगण झुंड नवेलख, कोदंड दंड करं कमळं।
चँड मुंड प्रचंड उदंडण चामंड,अंब कदंब अणंद इळं।1 […]
🌺अमर शबद रा बोकडा🌺
अमर शबद रा बोकडा, रमता मेल्या राज।
आई थारै आंगणै, मेहाई महराज॥1
सरस विधा संजीवनी, सीखी सबद खरीह।
पढता जीवित होत है,कविता नहीं मरीह॥2
अमर शबद रा बोकडा, चरै भाव रो घास।
कविता बण प्रकटै सदा, कुण कर सकै विनास॥3 […]
।।रणचंडी खंडी खळां।।
नमो मसाणी, भैरवी, चामुंडा चरिताळ।
नमो डाकिनी साकिनी, दैत मार डाढाळ।।1
छिन्न मस्तिका, सांभवी, बगला, तारा, मात।
त्रिपुरसुंदरी, सोडसी, मातंगी अवदात।।2
पंचानन कमलासनी, कमल नयनि कर कंज।
शवारूढ, काली, शिवा, भय भगतां तण भंज।।3[…]
🌺त्रिभंगी छंद🌺
आंख्या अणियाळी, काजळ वाळी ,काळी काळी, गाढाळी।
सावक हिरणाळी, रसिक रुपाळी, भोळी भाळी, नखराळी।
नित रहूं निहाळी, सरल सुखाळी, करुणावाळी, मन भावण।
राधा रस कामण, रुप रीझावण, दमकै दामण, जिम सावण॥1 […]
महाभारतकार ने द्रोपदी की कृष्ण से करुण विनय को ५-७ पक्तियों में सिमटा दिया है| इसी विनय के करुण प्रसंग को लेकर श्री रामनाथजी ने अनेक दोहों व् सोरठों की रचना की है| सती नारी के आक्रोश की बहुत ही अच्छी व्यंजना इन सोरठों में हुई है|
।।दोहा।।
रामत चोपड़ राज री, है धिक् बार हजार !
धण सूंपी लून्ठा धकै, धरमराज धिक्कार !!
द्रोपदी सबसे पहले युधिष्टर को संबोधित करती हुई कहती है| राज री चौपड़ की रमत को हजार बार धिक्कार है| हे धरमराज आप को धिक्कार है जो आप ने अपनी पत्नी को (लूंठा) यानि जबर्दस्त शत्रु के समक्ष सोंप दिया|[…]
अधिनायक नवलाख औ, वरदायक विख्यात।
सुखदायक दुःख दालणी,वड आवड विख्यात॥1
यशदायी वरदायिनी, अभय दायनी आइ।
अखिल जगत अनपायनी, जयदायी जगराइ॥2
शंकरनी शाकंभरी, त्रिपुरा अरजी तोय।
वंदनीय विश्वंभरी, किंकर कीजौ मोय॥3 […]
मस्त जटी मन बैठ मढी मह बांसुरि खूब बजाय रह्यो है।
हाथ कडा पहने नित धूरजटी शिव आप रिझाय रह्यौ है।
साधक औ सुर रो शिव सेवक तानन सूं कछू गाय रह्यौ है।
आतम ने कर कृष्ण मयी परमातम राधा रिझाय रह्यौ है॥
सुंदर मोहनि मूरत बांसुरि, फेर लियां अधरां सुखकारी।
मस्त बजाय रह्यौ जिम मोहन, औ शिव है वृषभानु दुलारी।
आप बिना नह आश्रय है रख लाज हमार सुणौ जटधारी।
संत फकीर मलंग शिवागिरि पांव पडूं सुण हे अलगारी॥ […]
🌺छंद त्रिभंगी🌺
जय अलख निरंजण, भव दुःख भंजण, खळ बळ खंडण, जग मंडण।
शंकर अनुरंजण, नित रत जिण मन, प्रणव प्रभंजण, जिम गुंजण।
गुरू देव चिरंतन, आदि अनंतन, सब जग संतन, रूप दता।
नव नाथ निवंता,आणंद वंता,मन मुदितंता, नाचंता॥1॥ […]
🌺छंद त्रिभंगी🌺
काशी रा काळा, दीन दयाळा,वीर वडाळा, वपु -बाळा।
कर दंड कराळा, डाक-डमाळा, चम्मर वाळा, खपराळा।
मथ अहि मुगटाळा, ललित लटाळा, घूंघरवाळा, छमां छमा।
खं खेतरपाळा, रह रखवाळा, रूप निराळा, नमां नमां॥1॥ […]