यादों की देवी तुझै

गडियोडो धन थूं सखी, पडियौ मन संदूक।

खडो रहै प्हौरो भरूं, हाथ-कलम-बंदूक॥1

(गडा खजाना तू सखी, पडा मनोसंदूक।

खडा खडा पहरा भरुं, तान कलम -बंदूक॥1) […]

» Read more

महाकाळिय तुं मछराळिय मोगल-वीसाभाई महडू

परचा जग वासिय नक्ख प्रकाशिय रध्ध हुलासिय, अंग रयं।
त्रमळं गुण गासिय, सुक्ख निवासिय, उजळ आशिय, चाव अयं।
वरदाण विळासिय, दुःख विनासिय, साम चौरासिय, जग्ग सरे।
महाकाळिय तुं मछराळिय मोगल कांकण वाळिय ल्हेर करे।।1 […]

» Read more

केसरिया बालम कहूं

केसरिया बालम कहूं, गाढा माढां राग।
आवो घर अलबेलडा, उपजावण अनुराग॥1

केसरिया बालम कहूं, जळूं बिरह री झाळ।
आव अषाढी मेह जिम, (तो) भींजूं इण बरसाळ॥2

केसरिया बालम कहूं,नेह निभाज्यो नाह।
आय मिळो म्हाने अठे,गाढ भरण गळबांह॥3

केसरिया बालम कहूं,गाढ गुलाबी रंग।
इण तन चंदण रूंखडै,लिपट्या विरह भुजंग॥4[…]

» Read more

बिरहण धण रो ओळभौ

कंथा कंथा पेर ने, बण जातौ थूं संत।
तौ नी पंथ उडीकती, साची बात कहंत॥1
पण थूं चाल्यौ चाकरी, पकडी वाट विदेश।
इणसूं थने उडीकती, रहती राज हमेश॥2
दिन उगियां पूछुं पथिक, रोज उडाडूं काग।
तौ पण थूं आवै नहीं, फूटा मारा भाग॥3 […]

» Read more

बेटी-गिरधरदान रतनू दासोड़ी

बेटै सूं बेटी बती, आगै हुई अमाम।
गुणी लेवै घण गुमर सूं, निरणा ज्यांरा नाम।।१

बेटां वालां इण वसू, हिय पोमै हकनाक।
धर इण उपनी धीवड़ी, नमिया सुरगण नाक।।२

बेटां सूं बेटी बती, समजो सैण सुजाण।
पेखो हिमगर पामियो, महि बेटी सूं माण।।३ […]

» Read more

रंग रे दुहा रंग

भाव कथे हर भाख में,उर रा घणे उमंग।
कवि सुरसत कंठाभरण,रंग रे दुहा रंग॥1

ब्रज भासा डिंगळ तथा,गुर्जर भासा गंग।
उत्तर भारत रा अजब,दुहा छंद ने रंग॥2

नवरस री नव कल्पना,सरस उकति रे संग।
कल्पक रा कविता कथन,रंग रे दुहा रंग॥3 […]

» Read more

आई खोडियार वंदना – जयसिंह सिंहढायच

।।दोहा।।

धरा माड धरती धिनो,धिन धिन चाळक ग्राम।
धिन मादा काछैल कुळ,धिन पितु मामड धाम॥1॥
सातूं बहिनां संग मैं,शोभित बीच विवाण।
पितू मामड घर प्रगटिया,काछैला कुळ भांण॥2॥
सवंत आठसै आठ सुभ,चैत नवम शनिवार।
माड धरा मामड घरां,आप लियो अवतार॥3॥ […]

» Read more

कुरजां बिरहण यूं कहै

कुंझडियां परदेसियां,आवै अर उड जाय।
साच नेह सफरी तणो,जळ भेळी सूखाय॥1

पावस मास विदेस पिव,जळूं विरह री झाळ।
थूं कुरजां बरसात में,भींजै सरवर पाळ॥2

कुरजां थारी पांख पर,आखर लिखूं अथाह।
बालम नें बंचाय दे,बिरहण मन री आह॥3 […]

» Read more

मननें तुझको पा लिया

🌺मननें तुझको पा लिया🌺

जब तू धावा बोलती, पलकों की जागीर।
तब तब मैंने थामली, हाथ-कलम-शमसीर॥1

जब तू मुझ पर पीर का, डाले सखी अबीर।
तब मन बनता राधिका,-कान्हा ,रांझा -हीर॥2

जब तू मुझपर नेह की,करे सखी बौछार।
तब उर गोमुख से बही,कल-कल कविता-धार॥3 […]

» Read more

सरस कल्पना रा सखी

लाखौ बिणजारौ कवी, बाळद भर भर याद।
नवी पुरांणी जोडतो, उकति भाव उस्ताद॥1

यादों वाळी जान जद, आवै आंगण द्वार।
उण दिन कविता धारसी, अलंकार रो भार॥2

यादों री जद जद चले, दो धारी तलवार।
वा हीचकी लेती रहै, अठै दरद अणपार॥3 […]

» Read more
1 14 15 16 17 18 19