चिरजा करनीजी री

थल़वटराय भरोसो थारो, लेस आल़स न लावै।
आतुर भीर सुपातां आई, सिंघ हद बेग सजावै।।टेर

प्रिथमी जोर अनँत परवाड़ा, गढवाड़ा नित गावै।
देवै हरस दीहाड़ा देवी, जगत विघन मिट जावै।।
थल़वटराय भरोसो थारो……………………1[…]

» Read more

गीत त्रिकुटबंध करनीजी रो

।।गीत-त्रिकुटबंध।।
इल़ रूप करनल आजरो
हिव जनम जय हिंगल़ाज रो
इम कोम किनियां करण ऊजल़, मेह रै महमाय।
अवतार करनल आपरो,
सुध भाग रँग सोयाप रो
सोयाप मुरधर रीत सुरधर
उमँग उरधर भाव भर-भर
कोड तर-तर होड कर-कर
गहक धुनिकर गीत घर-घर
सधर सज नर नार सरभर
गुमर हरदिस गहर मनभर
अमर फणधर उरस ऊतर
उछब अवसर रिधू अवतर पहर खुशियां पाय।।1[…]

» Read more

मंडी रास दासोड़ी मढ में

।।गीत जांगड़ो।।
चवदस आसाढ चांदणी चंडी,
खळ खंडी धर खागां।
मंडी रास दासुड़ी मढ में,
रीझ अखंडी रागां।।1
कीधो उछब आज करनादे,
तद चौरासी तैड़ी।
सरसज मनां साबळी सगळी,
नाहर चढियां नैड़ी।।2 […]

» Read more

माँ करणी सूं विनती – मनोज चारण (गाडण) “कुमार”

।।छंद रोमकंद।।
इण धाम धरा पर नाम रहै, कर मात तुहीं किरपा हमपे।
करणी शरणै अब तोर पङे, धर हाथ तिहारो माँ सर पे।
कळू-काळ दकाळ करै फिरतो, माँ साय सहाय तूं ही करती।
करणी करणी बस नाम रटूं, तरणी भव पार तुहीं करती।१।

» Read more

जयो रंग करन्नल मात रमै – महाकवि मेहाजी वीठू झिणकली/खेड़ी

।।छंद -रोमकंद।।
वज भूंगल़ चंग मृदंग वल़ोबल डाक त्रंबाक वजै डमरू।
सहनाइय मादल़ भेर वखाणस संख सो झाल़र वीण सरू।
उपवै तन वाजत भाँत अनोअन पार अपार न कोय प्रमै
दुति गात प्रकासत रात चवद्दस रंग करन्नल मात रमै। […]

» Read more

🌹जय करनी जय शंकरनी🌹- कवि स्व. अजयदान जी रोहडिया

🌸दोहा🌸
जग करनी, हरनी जगत, जग भरनी जगदंब।
किनियांणी करनी नमो, काटनि क्लेश कदम्ब।। १
देत बुआ सिर डूचको, अंगुलिन भइ अनुरूप।
नाम करनी या तें दियौ, लख निज करनि अनूप।। २

🌸छंद रेणंकी🌸
बरनी नहि जाय विशद तव करनी, आदि शक्ति नति अघ हरनी।
हरनी मद मोह, कोह तम तरनी, युग युग अवतरनी धरनी।
धरनी कर त्रिशुल मुण्ड निर्जरनी, धूर्त धृष्ट जग वध करनी।
करनी जन कष्ट नष्ट कलि करनी, जय करनी!जय शंकरनी।। १[…]

» Read more

नमो करनला निहालै निजर नित नेहरी

गीत -प्रहास साणोर
नमो करनला निहाल़ै निजर नित नेहरी
बगत मा ऐहरी राख बातां।
शरम तो भुजां मुझ गेहरी शंकरी
आण मत मेहरी देर आतां।।1
सेवगां आपरां काज अग सारिया
तारिया बूडतां समंद ताणै।
जोरबल़ राकसां किता दल़ जारिया
जगत में धारिया रूप जाणै।।2[…]

» Read more

वाहर करणी वीसहथी

।।छंद – त्रिभंगी।।
मरूधरा मँझारम धिन देह धारम, वण कल़ु वारम करतारम।
सगती साधारम सकल़ संसारम, भोम उतारम अघ भारम।
संकट रा कारम तुंह सुधारम, आंण उबारम वेग अती।
धिन जांगल़ धरणी हर दुख हरणी, वाहर करणी वीसहथी।
जियै वण तूं वाहर वीसहथी।।१[…]

» Read more

श्री करनी सवैया – अज्ञात कवि

जानि सके न बड़े मुनि वृन्द बखानि सके न गिरा गुन ग्वैरहि ।
वेद बताय सके न यथा विध टारि टरै न सनातन स्वैरहि ।
आनंद के घन मे चमकै दमकै जमकै चपला जिम च्वैरहि ।
धिन्न है तो महिमा जगदम्ब निरंजन के बिच अंजन व्हैरहि।।१।।[…]

» Read more

अष्टपदी – किशोर सिंह जी ‘वार्हस्पत्य’ कृत

श्री करनी सुख करनी, अजरामर ए!
आदि शक्ति अवतार, जय देवेशि जये।।1 ।।
विश्व विमोहन कारणि, भवतारिणी ए!
जय जय त्रिगुणातीत, जय देवेशि जये।।2।।[…]

» Read more
1 3 4 5 6 7