कुबद्ध कमाई छोड बावल़ा!

कुबद्ध कमाई छोड बावल़ा!
मतकर भ्रष्टां होड बावल़ा!!
च्यार दिनां री देख चांदणी!
फैंगर मतकर कोड बावल़ा!!

लुकै नहीं अपराध लाखविध!
कूटीजै फिर भोड बावल़ा!!
लोकतंत्र में बिनां दावणै,
लेय तपड़का तोड बावल़ा![…]

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टकै-टकै मत बेच

मोत्यां मूंघो माण जगत में
अर मोत्यां री कीमत भारी।
टकै-टकै मत बेच बावळा, आ जिंदगाणी लाख टकां री।।

लख चौरासी भटक बितायां
मिनख जूण रो मोको आवै।
करम देख करतार पूरबला
करमां सारू काज भुळावै।।
कर करणी भंूडी या सखरी
बही लिखीजै बंदा थारी।
टकै-टकै मत बेच बावळा, आ जिंदगाणी लाख टकां री।।01।।

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शब्दां वाल़ी चोट देखलै!!

माची दोटमदोट देखलै!
सिद्ध श्री में खोट देखलै!
मिनड़्यां वाट न्याय री न्हाल़ै!
बांदर छीनै रोट देखलै!!

गाय सुवाड़ी ठाण बंधी है!!
खेत उजाड़ै झोट देखलै!!
घड़ै चौपड़ै छांट पड़ै नीं!!
काल़ा तन पर कोट देखलै!![…]

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पदमणी पच्चीसी

जौहर री ज्वाल़ा जल़ी, राखी रजवट रीत।
चावै जगत चित्तौड़ नैं, पदमण कियो पवीत।।1
झूली सतझाल़ा जबर, उरधर साख अदीत।
गवराया धर गुमर सूं, गौरव पदमण गीत।।2
खप ऊभो खिलजी खुटल़, जिणनै सक्यो न जीत।
जौहर कर राखी जगत, पदमण कँत सूं प्रीत।।3
सतवट राख्यो शेरणी, अगनी झाल़ अभीत।
हिंदवाणी हिंदवाण में, पदमण करी पवीत।।4
जगमगती ज्वाल़ा जची, भल़हल़ साखी भास।
परतख रचियो पदमणी, ऊजल़ियो इतिहास।।5[…]

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पद्मिनी का प्रेम

सुंदरता खुद जिससे मिलकर, सुंदरतम हो आई थी।
जिसके मन मंदिर में अपने, पिय की शक्ल समाई थी।

शील, पतिव्रत की दुनिया को, जिसने सीख सिखाई थी।
जौहर की ज्वाला में जलकर, जिसने जान लुटाई थी।

सदियों के गौरव को जिसने, अम्बर तक पहुंचाया था।
स्वाभिमान को शक्ति देकर, खिलजी से भिड़वाया था।

जीते जी राणा को चाहा, और चाह ना उसकी थी।
सत-पथ पे चलती थी हरदम, सत पे जीती मरती थी।[…]

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जनतंत्र तो झाड़ छिंयाड़ी

जनतंत्र तो झाड़ छिंयाड़ी!
खावै गोधा हरियल़ बाड़ी!
गादी ऊपर तँत्र हावी!
जन री सांप्रत माड़ी भावी!
जन रै आडी जड़ी किंवाड़ी!
तंत्र अपणो बड़ो खिलाड़ी!
खादी कातण गांधी पचियो!
बदल़ै में अपजस ई बचियो!
चसमो जाणै कठै गम्यो है!
बिनां डांगड़ी डैण थम्यो है![…]

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गद्दार तुम्हारी खैर नहीँ जो हमसे पंगा मोल लिया

मानव होकर जो पशुओं का चारा तक खा जाते हैं,
नेकी को नाचीज़ समझकर दूर बिठाकर आते हैं,
जिनके दिल से संवेदन के तारों का संपर्क कटा,
जो लाचारों की आहों पर सेंक रोटियां खाते हैं।

इस धरती पर आने वाले वहीँ लौटकर जाएंगे,
गाड़ी, बंगले, सोना, चांदी पीछे ही रह जाएंगे,
विकलांगों की वैशाखी से काला माल कमाने वाले,
तेरी कब्र खोदने हम सब बिना मजूरी आएंगे।[…]

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माटी थनै बोलणौ पड़सी – कवि रेवतदान चारण

मूंन राखियां मिनख मरैला।
धरती नेम तोड़णौ पड़सी।।
करणौ पड़सी न्याय छेड़लौ, माटी थनै बोलणौ पड़सी।

कुण धरती रौ अंदाता है, कुण धरती रौ धारणहार ?
कुण धरती रौ करता-धरता, कुध धरती रै ऊपर भार ?
किण रै हाथां खेत-खेत में, लीली खेती पाकै है ?
किण रै पांण देष री गाड़ी, अधबिच आती थाकै है ?
कहणौ पड़सी खरौ न खोटौ, सांचौ भेद खोलणी पड़सी।।
माटी थनै बोलणौ पड़सी।
मूंन राखियां मिनख मरैला।
धरती नेम तोड़णौ पड़सी।।[…]

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गजल: देख लै – कवि जी. डी. रामपुरिया

🌺गजल🌺
चीरड़ा चुगता गळी गोपाळ देख लै।
पेट सारूं सैंग ही पंपाळ देख लै।।

मोह-माया रो दिनो दिन वाधपो दीसे।
काल कुण देखी है गैला काळ देख लै।।

प्रीत री माळा है काचे सूत में पोई।
रीत रिसती जा रही परनाळ देख लै।।

चींचड़ा कुरसी रै कितरा जोर सूं चिपिया।
लपलपाती जीब गिरती लाळ देख लै।।[…]

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नमो जुड़दै नाम

सुण मोदी सरकार, सुणो तो दरद सुणावां।
मुलक आजादी मांय, क्यूं न आजाद कहावां।
रहां भोम रजथान, मान-मरजाद न मोड़़ां।
हरदम रह हद मांय, जस्स रा आखर जोड़ां।।
मदद कर्यां गुण मानस्यां, अदद अेक अरदास है।
गजराज कहै मोदी गुणो, (म्हानैं) थांसूं अणहद आस है।। 01।।[…]

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