बगत

पैला री बातां
गैलै ज्यूं बैलै क्यूं है!
बावल़ा निजरां देख
जागतो सपना देखण री लत विसार दे
बगत थारै साम्हो है-
फगत देखण री तोजी कर
होल़ी धुखती दीखै है
हमझोल्यां रै हिंयै में
प्रीत री जागा
तूं देख तो सरी […]

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मा अर मातृभाषा

हे मातृभाषा!
तूं म्हारी रग -रग में रमगी है
जिण भांत –
म्हारी जामण रो ऊजल़ो दूध
विमल़ बुद्ध देवण वाल़ो
बो न्हाल़ म्हारी
नाड़ी -नाड़ी में
रम्योड़ो
भाल़ हे !बडभागण
तैं में अर म्हारी जामण में […]

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आसरो

तल़तल़ीज्या तल़तल़ाटै सूं
हल़फल़िया
डरिया -घिरिया
आकल़ -बाकल़ होय
थकतां -थकतां ई
तकतां -तकतां ई
जोय लियो एक आसरो!
गांव रै गवाड़ में
घेर घुमेर ऊभा
आभै सूं बंतल़ करता […]

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नर ग्या चढा वँश रै नीर

गीत वेलियो
पत री बह राह अपत नै परहर, सत री कह समझनै सार।
कूड़ी कथ त्याग भजै किरता, सो जन लेवै जनम सुधार।।१

हर रो नाम राख हिरदै में, गलवै मधुर उचारै गीत।
भल वै बज्या सांप्रत भाई, जो वै गया जमारो जीत।।२ […]

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भगवत ओ नाय रटै घट भोदू

गीत वेलियो
भगवत ओ नाय रटै घट भोदू, नटका नको चितारै नाम।
पड़सी फंद चौरासी पितलज, कर र्यो कुटल़ बुरोड़ा काम।।१

ठग चाल़ै चोरी मन ठायो, परधन हड़फ करण में प्रीत।
जो तूं करै जमारो जायो, चित राघव ना लायो चीत।।२ […]

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चारणां नै समर्पित एक डिंगल़ गीत

गीत-प्रहास साणोर

करो बात नै सार इम धार नै कवियणां,साचरी चारणां कोम संभल़ो।
भूत रे भरोसै रेवसो भरम मे, बगत री मांग रे साथ बदल़ो।।१

पढावो पूत रु धीवड़्यां प्रेम सूं, रीत धर चारणां जदै रैसी।
निडरपण उरां मे बहो मग नीत पर, कोम री कीरती जगत कैसी।।२

सजो इक धार ने संगठन साबता, भूल सूं बुरी मत बात भाल़ो।
समै रै सामनै सजो मजबूत मन, टेम सूं करो मत आंख टाल़ो।।३[…]

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मत कर

दास मत बण दौर रो,तूं-
और री कीं आस मतकर।
गौर कर इतिहास गहला,
ठौर री ठकरास मत कर।।

मायतां रै माण मांही,
हाण देखै सौ हरामी।
काण कुळ री हाथ वांरै,
देण री दरखास मत कर।। […]

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कलम री कड़पाण वाल़ा

कलम री कड़पाण वाल़ा
तूं सबां सूं साव न्यारो।
मिनख तुंही देख साचो
मिनखपण ही धरम थारो।।
राम सूं अनुराग तोनै
रहीम सूं उर भाव प्यारो।
तूं नहीं हिंदु नहीं मुसल़ो
देख सदियां ओही ढारो।। […]

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लोकतंत्र रो ओई लेखो

लोकतंत्र रो ओई लेखो
दीख रही स़ो मत ना देखो
छाती जा दूजां री छेको
समझ आपरी रोटी सेको १
कंवल़ी कंवली बातां कैजै
राम भरोसै मतना रैजै
वाट सुंवोड़ी अब मत बैजै
संकट बंकट हंसतो सैजै २ […]

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रे मन चंचल

कानों मे है गूंजता,
झालर जैसा नाद।
जब भी तुझसै बात की,
मन का मिटा विषाद॥

रे मन चंचल बांवरै,
यहां तुम्हारा कौन।
जिसको तू अपना कहै,
वह पंछी है मौन॥ […]

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