रंग रे दोहा रंग – सखी!अमीणो साहिबो

काव्य का सृजन एक निरंतर प्रक्रिया है जो अनवरत कवि के मस्तिष्क में चलती रहती है। अच्छे कवि या लेखक होनें की प्रथम शर्त यह है कि आप को अच्छे पाठक होना चाहिए। कई बार हम अपने पूर्ववर्ती कवियों को पढते है तो उनके लेखन से अभिभूत हुए बगैर नहीं रह सकते। आज मैं मेरे खुद के लिखे ही कुछ दोहे आपको साझा कर रहा हूं जो मैंने डिंगल/राजस्थानी के प्रसिद्ध कवि बांकीदास आसिया की अमर पंक्ति “सखी! अमीणो साह्यबो” से प्रेरणा लेकर एक साल पहले लिखे थे। बांकीदास ने अपने ग्रंथ सूर छत्तीसी में “सखी! अमीणों साह्यबो” में उस काल के अनुरूप नायिका से वीर पत्नी के उद्गार स्वरूप वह दोहै कहलवाये थे।

मैं अपने बनाए दोहे यहाँ पर आप को साझा करूं उससे पहले कविराजा बांकीदास आसिया जिनकी एक अमर पंक्ति ने मुझ जैसे अकिंचन को लिखने का एक नया विषय दिया उनके दोहै साझा करता हूं।

सखी! अमीणों साह्यबो, बांकम सूं भरियोह।
रण बिगसे रितुराज में, ज्यूं तरवर हरियोह।।
वीर योद्धा की नायिका अपनी सहेली से कहती है “हे सखी मेरा प्रियतम वीरत्व से भरा हुआ है। वह युद्ध में इस प्रकार विकसित(खुश)होता है, जिस प्रकार बसंत रितु के आगमन पर पेड हरा भरा हो जाता है।[…]

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गीत राठोड़ पाबूजी धांधळोव रो – आसिया बांकीदास रो कह्यो

प्रथम नेह भीनौ महा क्रोध भीनौ पछै,
लाभ चमरी समर झोक लागै।
रायकवरी वरी जेण वागै रसिक,
वरी घड कवारी तेण वागै।।

हुवे मगळ धमळ दमगळ वीरहक,
रग तूठो कमध जग रूठो।
सघण वूठो कुसुम वोह जिण मौड सिर,
विखम उण मौड सिर लोह वूठो।।[…]

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बाई पद्मा अर वीर अमर सिंह

बीकानेर रा राजाजी रायसिंह जी रा भाई अमर सिंह जी हा उण बखत अकबर अर आमै खटपट व्हैगी ईण खातर अमरसिंह नै पकड़ण सारूं बादसा अकबर आरबखां नै अमरसिंह नै पकड़ लावा रो हुकम दीधो। अमरसिंह रा बड़ा भाई पिरथीराजी अकबर रै दरबार में हाँ। वां ओ हुकम सुण बादसा ने अरज कीधी।
“म्हारौ भाई अमरु हजरत रे वेमुख है जिण री तो उण ने सजा मिलणी चावै। पण वो यां रै हाथे हरगिज नीं आवैलां। ऐ पकड़वा वाळा मारिया जावेला। आ तावेदार री अरज, हजरत गांठ बांध लिरावै।”
अकबर बोल्यो “म्है ईणनै गिरफ्तार कर दिखाऊंला।”

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राणी पदमावती री गौरव गाथा

चित्तौड़ दुर्ग री बात चल्यां,
मन भारत माता मोदीजै।
पदमण रो पावन प्रेम पढ्यां,
हर हिंदुस्तानी गरबीजै।

वा रतन सिंह री रजपूती,
वा साख सपूती पदमण री।
गौरा-बादळ रो साम-धरम,
वा सीख सदीनै भलपण री।[…]

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नीं बुझेला कदै ई प्रकाश!!

चित्तौड़ !
इण धरती रो सिरमोड़ !
ईं नीं बाजै है!
इणरै कण -कण में है
स्वाभिमान री सोरम
सूरमापणै री साख
जिकी नै राखी है मरदां
माथां रै बदल़ै!
रगत सूं सींचित
उण रेत रै रावड़ -रावड़ में
सुणीजै है अजै ई मरट रै सारू
मरण सूं हेत रा सुर![…]

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पदमणी पच्चीसी

जौहर री ज्वाल़ा जल़ी, राखी रजवट रीत।
चावै जगत चित्तौड़ नैं, पदमण कियो पवीत।।1
झूली सतझाल़ा जबर, उरधर साख अदीत।
गवराया धर गुमर सूं, गौरव पदमण गीत।।2
खप ऊभो खिलजी खुटल़, जिणनै सक्यो न जीत।
जौहर कर राखी जगत, पदमण कँत सूं प्रीत।।3
सतवट राख्यो शेरणी, अगनी झाल़ अभीत।
हिंदवाणी हिंदवाण में, पदमण करी पवीत।।4
जगमगती ज्वाल़ा जची, भल़हल़ साखी भास।
परतख रचियो पदमणी, ऊजल़ियो इतिहास।।5[…]

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संकरिया सूंडाल़

किरता अपणै हाथ सूं, तोलै सबै करम्म।
सौ सुक्रत इक पाल़णै, एको साम धरम्म।।

ऐड़ो ई एक स्वामीभक्ति रो किस्सो है जुढिया रा लाल़स शंकरजी रो। शंकरजी लाल़स, लाल़स लूणैजी री वंश परंपरा में गोदोजी लाल़स सपूत अर तेजाजी रा पोता हा। जुढियो मा सैणी रो सुथान। जिण विषय में ओ दुहो चावो-

तखत दोनूं तड़ोबड़ै, जुढियो नै जोधाण।
बठै राजावां बैठणो, (अठै) सैणी तणो सुथान।।

लाल़स शंकरजी, महावीर कल्ला रायमलोत रै मर्जीदानां में सींवाणै रैवै। महावीर कल्लो अडर, साहसी अर स्वाभिमानी राजपूत हो। जिणरै विषय में महाकवि पृथ्वीराजजी राठौड़ लिखियो है-कल्लो भल्लो रजपूत कहीतो!![…]

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म्है मरियां ई कोट भिल़सी !!

बीकानेर माथै जिण दिनां महाराजा सुजाणसिंहजी रो राज तो जोधपुर माथै अभयसिंहजी रो।
जोधपुर रै राजावां री कुदीठ सदैव बीकानेर माथै रैयी ही। उणां जद ई देखियो कै बीकानेर में अबार सत्ता पतल़ी है अथवा आपसी फूट रा बीज ऊग रैया है तो उणां बीकानेर कबजावण सारु आपरो लसकर त्यार राखियो।
ओ ई काम अभयसिंहजी कियो। ऐ ई बीकानेर माथै सेना लेय आया।[…]

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परभड़ा वीरगत तिहारी परणमू

।।गीत-प्रहास साणोर।।

वहा! वहा! धर शेरगढ कूख धर बंकड़ां,
निडर नर निपजणी ओल़ नामी।
गोग रा वंशधर गाढ में गर्विला,
थल़ी रा मरद रण खाग थामी।।1

जिणै छतरांणियां जाहर नर जगत में
दियण धिन नाहरां टकर देखो।
वाहरां गयोड़ी भोम रा वीरवर
एक सूं आगल़ा एक एको।।2[…]

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शहीद प्रभू सिंह राठौड़ नें श्रध्धांजली

अड़यो ओनाड़ वो आतंक सूं सिंवाड़ै
मौद सूं फूल नह कवच मायो।
अमर कर नाम अखियात इण इळा पर
अमरपुर सिधायो चंदजायो।।

प्रभू नै पियारो होयग्यो प्रभुसिंह
सोयग्यो चुका कर कर्ज सारो।
मौयग्यो मरद वो हिन्द री भोम नै
तनक में खोयग्यो चंद-तारो।।[…]

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