मारवाड़ नर-नाहरां री खाण रैयो है। एक सूं एक सूरवीर, सधीर, अर गंभीर नर पुंगव अठै जनमियां, जिणां रै पाण ओ कैताणो चावो होयो कै ‘मारवाड़ नर नीपजै, नारी जैसलमेर।’ राव रिड़मलजी री ऊजल कुल़ परंपरा में बगड़ी री बांकी धरा रा सपूत जैतो अर कूंपो आपरै अदम्य आपाण (साहस) निडरता, देशभक्ति, स्वामीभक्ति अर उदारता रै ताण मुलक में जिको माण पायो बो अपणै आप मे अतोल है। राव रिड़मलजी रै मोटै बेटे अखैजी रै बेटे पंचायण रै घरै जैता रो अर छोटे बेटे महराज रै घरै कूंपा रो जनम होयो। जद कूंपो 11वर्षां रो हो जद वि.सं.1570 में गायां रै हेत महावीर महराज रणखेत रैयो, जिणरी साख रा डिंगल़ में गीत उपलब्ध है। कवि भरमसूरजी रतनू लिखै कै पांडव श्रेष्ठ किसन रै अंतेवर (जनाना) री रुखाल़ी नीं कर सकियो अर मरण सूं डरग्यो जदकै गायां री रुखाल़ी सारु महावीर महराज वीरगति वरी-
पांडव मरै न सकियो भिड़ि भुंई, रूकै चढै मुवौ राठौड़।
किसन तणी अंतेवरि कारणि, महिर धेन काज कुल़ मौड़।।[…]
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